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झुंझुनू: विश्व प्रसिद्ध खाटू श्याम मंदिर में चढ़ने वाले निशान की हुई स्थापना

झुंझुनू जिले के सूरजगढ़ कस्बे के वार्ड-22 के प्राचीन श्याम मंदिर और श्याम दरबार में रविवार को श्याम निशानों की स्थापना के साथ ही जयकारों का शोर भी शुरू हो गया. प्राचीन श्याम मंदिर में आचार्य अभिषेक चौमाल की मौजूदगी में झुंझुनू की पूर्व सांसद संतोष अहलावत और सुरेंद्र अहलावत ने निशान की पूजा अर्चना कर उसकी स्थापना की.

श्याम निशान की स्थापना,  Surajgarh Jhunjhunu News
झुंझुनू में श्याम निशानों की हुई स्थापना
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Published : Mar 14, 2021, 7:35 PM IST

सूरजगढ़ (झुंझुनू). देश भर में मिनी खाटूधाम के रूप में पहचान रखने वाले झुंझुनू जिले के सूरजगढ़ कस्बे में श्याम के जयकारों की गूंज रविवार को जोर शोर से शुरू हो गई. कस्बे के वार्ड-22 के प्राचीन श्याम मंदिर और श्याम दरबार में रविवार को श्याम निशानों की स्थापना के साथ ही जयकारों का शोर भी शुरू हो गया. प्राचीन श्याम मंदिर में आचार्य अभिषेक चौमाल की मौजूदगी में झुंझुनू की पूर्व सांसद संतोष अहलावत और सुरेंद्र अहलावत ने निशान की पूजा अर्चना कर उसकी स्थापना की.

पढ़ें: सांसद बोहरा ने स्वास्थ्य केन्द्रों पर पहुंचकर कोविड वैक्सीन के लिए लोगों को किया प्रेरित

प्राचीन श्याम मंदिर में 20 मार्च तक सुबह शाम निशानों की महाआरती होगी. उसके बाद 21 मार्च को महंत मनोहरलाल, नत्थूराम, बजरंगलाल और पूर्णमल के सानिध्य में निशानधारी जय सिंह के नेतृत्व हजारों पदयात्रियों का जत्था खाटू के लिए रवाना होगा. वहीं, श्याम दरबार में सिलवासा प्रवासी किशोर पारीक और आनंद अग्रवाल ने विधिवत पूजा अर्चना के बाद निशान की स्थापना की. इस मंदिर में 19 मार्च तक सुबह शाम महाआरती होगी, जिसके बाद 20 मार्च को महंत हजारीलाल सैनी, हरिराम, ओमप्रकाश, जुगलकिशोर और कुरड़ाराम के सानिध्य में 373 वीं विशाल पदयात्रा खाटू श्याम मंदिर के लिए रवाना होगी. दोनों ही मंदिरों के निशान द्वादशी को बाबा के चरणों में अर्पित कर शिखरबंद पर चढ़ाए जाएंगे.

झुंझुनू में श्याम निशानों की हुई स्थापना

पढ़ें: भारतीय जनता पार्टी झंवर मंडल की दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आगाज

बता दें कि सीकर जिले के खाटू नगर में बने विश्व प्रसिद्ध श्याम मंदिर के शिखरबंद पर केवल सूरजगढ़ कस्बे के श्याम मंदिरों के निशान चढ़ाए जाते हैं. वैसे तो फाल्गुन मास में बाबा के लक्खी मेले में देश भर के कोने कोने से लाखों पदयात्री बाबा के निशान लेकर आते हैं, लेकिन बाबा के मंदिर के गुंबद पर केवल सूरजगढ़ के श्याम मंदिरों के निशान ही चढ़ते हैं, जो साल भर तक बाबा के मंदिर पर लहराते हुए सूरजगढ़ निशान की शोभा बढ़ाते हैं. यही कारण है कि इस निशान की कस्बे ही नहीं, बल्कि पूरे देश में विशेष मान्यता रहती है. इस निशान पदयात्रा में देश के कोन- कोने से हजारों किलोमीटर दूर से आए श्रद्धालु भी हिस्सा लेते हैं.

सूरजगढ़ (झुंझुनू). देश भर में मिनी खाटूधाम के रूप में पहचान रखने वाले झुंझुनू जिले के सूरजगढ़ कस्बे में श्याम के जयकारों की गूंज रविवार को जोर शोर से शुरू हो गई. कस्बे के वार्ड-22 के प्राचीन श्याम मंदिर और श्याम दरबार में रविवार को श्याम निशानों की स्थापना के साथ ही जयकारों का शोर भी शुरू हो गया. प्राचीन श्याम मंदिर में आचार्य अभिषेक चौमाल की मौजूदगी में झुंझुनू की पूर्व सांसद संतोष अहलावत और सुरेंद्र अहलावत ने निशान की पूजा अर्चना कर उसकी स्थापना की.

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प्राचीन श्याम मंदिर में 20 मार्च तक सुबह शाम निशानों की महाआरती होगी. उसके बाद 21 मार्च को महंत मनोहरलाल, नत्थूराम, बजरंगलाल और पूर्णमल के सानिध्य में निशानधारी जय सिंह के नेतृत्व हजारों पदयात्रियों का जत्था खाटू के लिए रवाना होगा. वहीं, श्याम दरबार में सिलवासा प्रवासी किशोर पारीक और आनंद अग्रवाल ने विधिवत पूजा अर्चना के बाद निशान की स्थापना की. इस मंदिर में 19 मार्च तक सुबह शाम महाआरती होगी, जिसके बाद 20 मार्च को महंत हजारीलाल सैनी, हरिराम, ओमप्रकाश, जुगलकिशोर और कुरड़ाराम के सानिध्य में 373 वीं विशाल पदयात्रा खाटू श्याम मंदिर के लिए रवाना होगी. दोनों ही मंदिरों के निशान द्वादशी को बाबा के चरणों में अर्पित कर शिखरबंद पर चढ़ाए जाएंगे.

झुंझुनू में श्याम निशानों की हुई स्थापना

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बता दें कि सीकर जिले के खाटू नगर में बने विश्व प्रसिद्ध श्याम मंदिर के शिखरबंद पर केवल सूरजगढ़ कस्बे के श्याम मंदिरों के निशान चढ़ाए जाते हैं. वैसे तो फाल्गुन मास में बाबा के लक्खी मेले में देश भर के कोने कोने से लाखों पदयात्री बाबा के निशान लेकर आते हैं, लेकिन बाबा के मंदिर के गुंबद पर केवल सूरजगढ़ के श्याम मंदिरों के निशान ही चढ़ते हैं, जो साल भर तक बाबा के मंदिर पर लहराते हुए सूरजगढ़ निशान की शोभा बढ़ाते हैं. यही कारण है कि इस निशान की कस्बे ही नहीं, बल्कि पूरे देश में विशेष मान्यता रहती है. इस निशान पदयात्रा में देश के कोन- कोने से हजारों किलोमीटर दूर से आए श्रद्धालु भी हिस्सा लेते हैं.

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