झुंझुनू. जिले के बुहाना तहसील के जैतपुरा गांव के लाडले हवलदार सतपाल सिंह को मंगलवार को गमगीन माहौल के बीच लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी. शहीद हवलदार सतपाल सिंह का पार्थिव शरीर बीती रात करीब 12:30 बजे दिल्ली से बुहाना पहुंचा. पार्थिव देह को तिरंगा यात्रा के जरिए पैतृक गांव जैतपुर लाया गया. इसके बाद मंगलवार को वीरांगना विंतोष देवी व परिजनों को शहीद सतपाल सिंह के अंतिम दर्शन करवाए गए. उसके बाद पार्थिव देह को अंत्येष्टि स्थल तक ले जाया गया. यहां सेना की 22 वीं गार्ड रेजिमेंट राजरीफ की जयपुर की टुकड़ी व राजस्थान पुलिस की टीम ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. इसके बाद शहीद सतपाल सिंह का अंतिम संस्कार किया गया. उनके बेटे शांतनु ने मुखाग्नि दी.
इससे पहले सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा, सूरजगढ़ विधायक सुभाष पूनिया, जिला कलेक्टर लक्ष्मण सिंह कुड़ी, एसपी मृदुल कच्छावा व सेना के अधिकारियों ने पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की. शहीद हवलदार सतपाल सिंह की पार्थिव देह उनके घर पहुंची तो कोहराम मच गया. लोगों ने परिजनों को सांत्वना दी. शहीद की अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीणों के अलावा कई नेता और अधिकारी शामिल हुए. राजौरी आतंकी अटैक में स्थिति गंभीर होने के बाद हवलदार सतपाल का उधमपुर आर्मी अस्पताल में इलाज चल रहा था. इस दौरान वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे जाबांज के साथ बड़े भाई नायक सूबेदार राजेश साए की तरह रहे. आज जब उसी भाई के पार्थिव शरीर को लेकर वो गांव पहुंचे तो खुद को संभाल नहीं पाए और अपने अपनों को देख फफक-फफक कर रो पड़े.
सेना में जाने का मतलब मातृभूमि की रक्षा करनाः शहीद हवलदार सतपाल सिंह को अंतिम विदाई देते समय परिवार सदमे में नजर आया. लेकिन ग्लेशियर में तैनात शहीद सतपाल के बड़े भाई ने परिवार को सांत्वना दी और उनका ढांढस से बंधाया. उन्होंने परिवार के लोगों को सांत्वना देते हुए कहा कि सेना में जाने का मतलब मातृभूमि की रक्षा करना होता है. अपने प्राणों की आहुति देकर देश के लिए बलिदान होना हमारे परिवार के लिए गर्व की बात है. हमारे बीच से हमारा छोटा भाई चला गया, इस बात का दुख तो बहुत है. लेकिन वह अपने प्राणों का बलिदान देकर जिले व गांव का नाम रोशन कर गया. आज हमें उसकी शहादत पर बड़ा ही गर्व महसूस हो रहा है.
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थाने में ताऊ से लिपट कर रोए शहीद के बच्चेः शहीद हवलदार सतपाल सिंह 11 दिन तक जम्मू और उधमपुर के अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ते रहे. जहां उनके सिर व गले का ऑपरेशन हुआ. सोमवार सुबह जब थाने में शहीद का बेटा वह बेटी परिजनों के साथ पहुंचे तो वह अपने ताऊ राजेश को देखकर आंसू नहीं रोक पाए और उससे लिपट कर रोने लगे. बड़े भाई राजेश भी अपने भाई की शहादत पर अपने आप को रोक नहीं पाए वह भी बच्चों से लिपटकर रोने लगे. मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने उनका ढांढस बंधाया.
साथियों को बचाने का किया प्रयासः शहीद हवलदार सतपाल सिंह की पार्थिव देह के साथ आए गांव के ही मुकेश कुमार ने 10 अगस्त की रात्रि को हुए आतंकी हमले की पूरी जानकारी मीडिया से साझा की. उन्होंने बताया कि 10 अगस्त की रात्रि को आतंकी उरी हमले को दोहराने की साजिश से रजौरी के परगल सेक्टर में आए थे. इस दौरान उन्होंने जब सेना के जवानों पर हमला किया तो भारतीय सेना ने मुंह तोड़ जवाब देते हुए ऑपरेशन का संचालन किया. इस दौरान हवलदार सतपाल सिंह नियर टारगेट होने के कारण उनके सिर में गोली लग गई थी. लेकिन उन्होंने घायल होते हुए भी अपने साथियों को बचाने का पूरा प्रयास किया. घायल होने के बाद सतपाल सिंह को आर्मी हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने बताया कि सिर में गोली लगने की वजह से हवलदार सतपाल सिंह कोमा में चले गए. जिनका जम्मू के आर्मी हॉस्पिटल में 5 घंटे तक ऑपरेशन चला और इसके बाद उधमपुर ले जाया गया, जहां उनके गले का ऑपरेशन किया गया.