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बेटी बचाओ अभियान में राजस्थान अब भी टॉप पर...झुंझुंनूं दूसरे स्थान पर फिसला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरूआत राजस्थान के झुंझुनूं जिले से की थी. जिसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिला और लगातार दो साल तक अभियान में अव्वल रहा. लेकिन इस बार झुंझुनूं दूसरे स्थान पर रहा.

झुंझुनू का प्रदेश में दूसरा स्थान...18 अंक क्यों गिरा लिंगानुपात
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Published : Jul 30, 2019, 2:27 PM IST

Updated : Jul 30, 2019, 2:47 PM IST

झुंझुनूं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरूआत राजस्थान के झुंझुनूं से की थी. जिसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिला और अभियान में लगातार दो साल तक अव्वल रहा लेकिन इस बार झुंझुनू दूसरे स्थान पर है.

झुंझुनूं का प्रदेश में दूसरा स्थान...18 अंक क्यों गिरा लिंगानुपात

पढ़े- राज्यसभा में पेश हुआ 'ट्रिपल तलाक' बिल

लैंगिक भेदभाव के लिए बदनाम रहे झुंझुनू जिले को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के लिए प्रथम स्थान हासिल हुआ था. जिसके लिए पूरे देश में झुंझुनू की वाहवाही हुई और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सभा के दौरान प्रशंसा की थी.लेकिन अब तक अव्वल रहते आया झुंझुनू इस बार पिछड़ गया और यहां लिंगानुपात में 18 अंकों की गिरावट आई है. साथ ही जोधपुर जिला इस बार प्रदेश भर में अव्वल रहा.

पढ़े- जसराम गुर्जर हत्याकांड : डॉक्टर के मुताबिक लगी थी 6 गोलियां, अलवर SP ने दिए जांच के आदेश
बता दें कि इस बार भी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में राजस्थान एक बार फिर से देश भर में अव्वल आया है. राजस्थान को यह उपलब्धि वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच बेटियों के शिक्षा स्तर पर लिंगानुपात में बेहतर सुधार करने पर हासिल हुई है.

पीसीपीएनडीटी एक्ट की कार्रवाई में कमी
झुंझुनू जिले के अंको में गिरावट की बात की जाए तो इस वर्ष यहां पर पीसीपीएनडीटी एक्ट की कार्रवाई बेहद कम हुई. पीएनडीटी एक्ट कि लगभग 100 कार्रवाई में सहयोगी रहे सामाजिक कार्यकर्ता राजन चौधरी का कहना है कि इस बार प्रशासन की कमजोर पकड़ और खुद स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के ही अवैध भ्रूण जांच में संलिप्त होने की वजह से झुंझुनू जिले के अंकों में गिरावट आई है.

झुंझुनू में लिंगानुपात की स्थिति
दरअसल झुंझुनू के लिंगानुपात पर नजर डाली जाए तो एक समय यहां पर बेहद खराब स्थिति थी और वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार एक हजार लड़कों पर केवल 837 लड़कियां थी. यही कारण था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत झुंझुनू जिले से की थी. जिसके बाद लिंगानुपात में लगातार सुधार आया और वर्तमान में झुंझुनू जिले का लिंगानुपात 1000 लड़कों पर 955 लड़कियां हैं.

झुंझुनूं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरूआत राजस्थान के झुंझुनूं से की थी. जिसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिला और अभियान में लगातार दो साल तक अव्वल रहा लेकिन इस बार झुंझुनू दूसरे स्थान पर है.

झुंझुनूं का प्रदेश में दूसरा स्थान...18 अंक क्यों गिरा लिंगानुपात

पढ़े- राज्यसभा में पेश हुआ 'ट्रिपल तलाक' बिल

लैंगिक भेदभाव के लिए बदनाम रहे झुंझुनू जिले को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के लिए प्रथम स्थान हासिल हुआ था. जिसके लिए पूरे देश में झुंझुनू की वाहवाही हुई और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सभा के दौरान प्रशंसा की थी.लेकिन अब तक अव्वल रहते आया झुंझुनू इस बार पिछड़ गया और यहां लिंगानुपात में 18 अंकों की गिरावट आई है. साथ ही जोधपुर जिला इस बार प्रदेश भर में अव्वल रहा.

पढ़े- जसराम गुर्जर हत्याकांड : डॉक्टर के मुताबिक लगी थी 6 गोलियां, अलवर SP ने दिए जांच के आदेश
बता दें कि इस बार भी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में राजस्थान एक बार फिर से देश भर में अव्वल आया है. राजस्थान को यह उपलब्धि वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच बेटियों के शिक्षा स्तर पर लिंगानुपात में बेहतर सुधार करने पर हासिल हुई है.

पीसीपीएनडीटी एक्ट की कार्रवाई में कमी
झुंझुनू जिले के अंको में गिरावट की बात की जाए तो इस वर्ष यहां पर पीसीपीएनडीटी एक्ट की कार्रवाई बेहद कम हुई. पीएनडीटी एक्ट कि लगभग 100 कार्रवाई में सहयोगी रहे सामाजिक कार्यकर्ता राजन चौधरी का कहना है कि इस बार प्रशासन की कमजोर पकड़ और खुद स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के ही अवैध भ्रूण जांच में संलिप्त होने की वजह से झुंझुनू जिले के अंकों में गिरावट आई है.

झुंझुनू में लिंगानुपात की स्थिति
दरअसल झुंझुनू के लिंगानुपात पर नजर डाली जाए तो एक समय यहां पर बेहद खराब स्थिति थी और वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार एक हजार लड़कों पर केवल 837 लड़कियां थी. यही कारण था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत झुंझुनू जिले से की थी. जिसके बाद लिंगानुपात में लगातार सुधार आया और वर्तमान में झुंझुनू जिले का लिंगानुपात 1000 लड़कों पर 955 लड़कियां हैं.

Intro: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झुंझुनूं जिले से की थी और इसका बड़ा सकारात्मक परिणाम देखने को मिला था। अभियान में लगातार दो साल तक झुंझुनू अव्वल रहा था लेकिन इस बार जरूर दूसरे स्थान पर रहा है।


Body:झुंझुनू। लैंगिक भेदभाव के लिए बदनाम रहे झुंझुनू जिले को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के लिए गत बार प्रथम स्थान हासिल हुआ था। इसके लिए पूरे देश में झुंझुनू की वाहवाही हुई थी और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसके लिए यहा हुई सभा के दौरान बड़ी प्रशंसा की थी। इस बार भी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ में राजस्थान एक बार फिर से देश भर में अव्वल आया है। राजस्थान को यह उपलब्धि वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच बेटियों के शिक्षा स्तर पर लिंगानुपात में बेहतर सुधार करने पर हासिल हुई है। वहीं अब तक बेटी बचाओ में अव्वल रहते आया झुंझुनू कुछ पिछड़ गया है। यहां लिंगानुपात में 18 अंकों की गिरावट आई है। इस बार जोधपुर जिला प्रदेश भर में अव्वल रहा है।

कम हुई पीसीपीएनडीटी एक्ट की कार्रवाई
झुंझुनू जिले अंको में गिरावट की बात की जाए तो इस वर्ष यहां पर पीसीपीएनडीटी एक्ट की कार्रवाई बेहद कम हुई । पीसीपीएनडीटी एक्ट कि लगभग 100 कार्रवाई में सहयोगी रहे सामाजिक कार्यकर्ता राजन चौधरी का कहना है कि इस बार प्रशासन की कमजोर पकड़ और खुद स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के ही अवैध भ्रूण जांच में संलिप्त होने की वजह से झुंझुनू जिले के अंकों में गिरावट आई है। इसके अलावा भी कुछ समाजीकरण भी मानते हैं।

यह झुंझुनू के लिंगानुपात की स्थिति
दरअसल झुंझुनू के लिंगानुपात पर नजर डाली जाए तो एक समय यहां पर बेहद खराब स्थिति थी और वर्ष 2011 की जनगणना पर एक हजार लड़कों पर केवल 837 लड़कियां थी। यही कारण था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत झुंझुनू जिले से ही की थी। के बाद लिंगानुपात में लगातार सुधार आया और वर्तमान में झुंझुनू जिले का लिंगानुपात 1000 लड़कों पर 955 लड़कियां हैं।


बाइट राजन चौधरी सामाजिक कार्यकर्ता





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Last Updated : Jul 30, 2019, 2:47 PM IST
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