झुंझुनूं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरूआत राजस्थान के झुंझुनूं से की थी. जिसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिला और अभियान में लगातार दो साल तक अव्वल रहा लेकिन इस बार झुंझुनू दूसरे स्थान पर है.
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लैंगिक भेदभाव के लिए बदनाम रहे झुंझुनू जिले को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के लिए प्रथम स्थान हासिल हुआ था. जिसके लिए पूरे देश में झुंझुनू की वाहवाही हुई और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सभा के दौरान प्रशंसा की थी.लेकिन अब तक अव्वल रहते आया झुंझुनू इस बार पिछड़ गया और यहां लिंगानुपात में 18 अंकों की गिरावट आई है. साथ ही जोधपुर जिला इस बार प्रदेश भर में अव्वल रहा.
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बता दें कि इस बार भी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में राजस्थान एक बार फिर से देश भर में अव्वल आया है. राजस्थान को यह उपलब्धि वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच बेटियों के शिक्षा स्तर पर लिंगानुपात में बेहतर सुधार करने पर हासिल हुई है.
पीसीपीएनडीटी एक्ट की कार्रवाई में कमी
झुंझुनू जिले के अंको में गिरावट की बात की जाए तो इस वर्ष यहां पर पीसीपीएनडीटी एक्ट की कार्रवाई बेहद कम हुई. पीएनडीटी एक्ट कि लगभग 100 कार्रवाई में सहयोगी रहे सामाजिक कार्यकर्ता राजन चौधरी का कहना है कि इस बार प्रशासन की कमजोर पकड़ और खुद स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के ही अवैध भ्रूण जांच में संलिप्त होने की वजह से झुंझुनू जिले के अंकों में गिरावट आई है.
झुंझुनू में लिंगानुपात की स्थिति
दरअसल झुंझुनू के लिंगानुपात पर नजर डाली जाए तो एक समय यहां पर बेहद खराब स्थिति थी और वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार एक हजार लड़कों पर केवल 837 लड़कियां थी. यही कारण था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत झुंझुनू जिले से की थी. जिसके बाद लिंगानुपात में लगातार सुधार आया और वर्तमान में झुंझुनू जिले का लिंगानुपात 1000 लड़कों पर 955 लड़कियां हैं.