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राजस्थान की हॉट सीट सूरजगढ़, कांग्रेस के पांच बार के विधायक के सामने भाजपा की पूर्व सांसद - सूरजगढ़ कांग्रेस प्रत्याशी श्रवण कुमार

Rajasthan Election 2023, राजस्थान के झुंझुनू जिले की सूरजगढ़ सीट हॉट सीट बन गई है. यहां एक तरफ कांग्रेस की तरफ से पांच बार के विधायक श्रवण कुमार हैं, तो दूसरी ओर भाजपा की तरफ से पूर्व सांसद संतोष अहलावत चुनावी मैदान में हैं. दोनों प्रत्याशी जाट समाज से आते हैं. ऐसे में समझिए कैसे दोनों के बीच वोट बंट सकते हैं...

Surajgarh Assembly Seat Congress Candidate
Surajgarh Assembly Seat BJP Candidate
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 11, 2023, 7:24 AM IST

झुंझुनू. जिले की सूरजगढ़ सीट पर एक तरफ पांच बार के विधायक और गत बार के कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी हैं तो दूसरी ओर पूर्व सांसद भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहीं हैं. युवाओं में लोकप्रिय अपने बागी प्रत्याशी सतीश गजराज को भाजपा मनाने में सफल रही. हालांकि, भाजपा ने सिटिंग विधायक सूभाष पूनिया का टिकट काटकर पूर्व सांसद को मैदान में उतारा है.

यह हैं विधानसभा के जातिगत समीकरण : इस विधानसभा में जिले के सबसे ज्यादा 282161 मतदाता हैं. यह जाट बाहुल्य सीट है और करीब 80 हजार जाट मतदाता हैं, लेकिन दोनों ही प्रत्याशियों के जाट होने से यह वोट आपस में बंट जाएंगे. यहां पर अनुसूचित जाति के 50 हजार, यादवों के 40 हजार, ब्राह्मणों के 25 हजार, राजपूतों के 15 हजार मतदाता हैं, बाकी 80 हजार अन्य जातियों के वोट हैं.

पढे़ं. मान-मनौव्वल के बाद जयपुर की तस्वीर साफ, 199 प्रत्याशी मैदान में डटे, बीजेपी-कांग्रेस में सीधा मुकाबला

दिगम्बर सिंह भी हार गए थे चुनाव : वर्ष 2014 में तत्कालीन विधायक संतोष अहलावत सांसद बन गईं और यहां से पार्टी ने अपने कद्दावर जाट नेता दिगम्बर सिंह को चुनाव मैदान में उतारा. तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेहद नजदीकी होने से पूरी पार्टी उन्हें जीताने के लिए मैदान में उतरी, लेकिन इसके बावजूद बाहरी का ठप्पा लगने से दिगम्बर सिंह यह चुनाव हार गए. बताया जाता है कि इसमें सांसद अहलावत ने भी मन से दिगम्बर सिंह का साथ नहीं दिया और इससे तत्कालीन मुख्यमंत्री राजे बेहद नाराज हुईं थीं, इसलिए बाद में अहलावत का विधायक और सांसद दोनों का टिकट काट दिया गया था.

कांग्रेस प्रत्याशी श्रवण कुमार का मजबूत पक्ष :

  1. पांच बार के विधायक होने से क्षेत्र में मजबूत पकड़
  2. गत चुनाव में हारने के बाद भी क्षेत्र में लगातार सक्रिय
  3. गत बार विधायक और लोकसभा दोनों चुनाव हारने से सहानुभूति की लहर

कमजोर पक्ष :

  1. थाने कचहरी की राजनीति करने का आरोप
  2. कार्यकर्ताओं के साथ किसी भी हद तक खड़े रहने से जनता का विरोध
  3. बढ़ती उम्र और पुत्र का भी विरोध

पढ़ें. हाड़ौती की सभी सीटों पर तस्वीर साफ, कहीं पत्नी ने पति के लिए तो कहीं भतीजी ने चाची के लिए वापस लिया नाम

भाजपा प्रत्याशी संतोष अहलावत का मजबूत पक्ष :

  1. गत बार सांसद और विधायक का टिकट कटने के बाद भी पार्टी के साथ खड़े रहना
  2. क्षेत्र में लम्बे समय तक स्कूल चलाने से लोगों से जुड़ाव
  3. पार्टी की केन्द्रीय लीडरशीप से सीधा जुड़ाव

कमजोर पक्ष :

  1. पार्टी के अन्य नेताओं का मन से साथ न होना
  2. एक चुनाव में पार्टी के बड़े नेता दिगम्बर सिंह के साथ भीतरघात का आरोप
  3. करीब पांच साल से निष्क्रियता

झुंझुनू. जिले की सूरजगढ़ सीट पर एक तरफ पांच बार के विधायक और गत बार के कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी हैं तो दूसरी ओर पूर्व सांसद भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहीं हैं. युवाओं में लोकप्रिय अपने बागी प्रत्याशी सतीश गजराज को भाजपा मनाने में सफल रही. हालांकि, भाजपा ने सिटिंग विधायक सूभाष पूनिया का टिकट काटकर पूर्व सांसद को मैदान में उतारा है.

यह हैं विधानसभा के जातिगत समीकरण : इस विधानसभा में जिले के सबसे ज्यादा 282161 मतदाता हैं. यह जाट बाहुल्य सीट है और करीब 80 हजार जाट मतदाता हैं, लेकिन दोनों ही प्रत्याशियों के जाट होने से यह वोट आपस में बंट जाएंगे. यहां पर अनुसूचित जाति के 50 हजार, यादवों के 40 हजार, ब्राह्मणों के 25 हजार, राजपूतों के 15 हजार मतदाता हैं, बाकी 80 हजार अन्य जातियों के वोट हैं.

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दिगम्बर सिंह भी हार गए थे चुनाव : वर्ष 2014 में तत्कालीन विधायक संतोष अहलावत सांसद बन गईं और यहां से पार्टी ने अपने कद्दावर जाट नेता दिगम्बर सिंह को चुनाव मैदान में उतारा. तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेहद नजदीकी होने से पूरी पार्टी उन्हें जीताने के लिए मैदान में उतरी, लेकिन इसके बावजूद बाहरी का ठप्पा लगने से दिगम्बर सिंह यह चुनाव हार गए. बताया जाता है कि इसमें सांसद अहलावत ने भी मन से दिगम्बर सिंह का साथ नहीं दिया और इससे तत्कालीन मुख्यमंत्री राजे बेहद नाराज हुईं थीं, इसलिए बाद में अहलावत का विधायक और सांसद दोनों का टिकट काट दिया गया था.

कांग्रेस प्रत्याशी श्रवण कुमार का मजबूत पक्ष :

  1. पांच बार के विधायक होने से क्षेत्र में मजबूत पकड़
  2. गत चुनाव में हारने के बाद भी क्षेत्र में लगातार सक्रिय
  3. गत बार विधायक और लोकसभा दोनों चुनाव हारने से सहानुभूति की लहर

कमजोर पक्ष :

  1. थाने कचहरी की राजनीति करने का आरोप
  2. कार्यकर्ताओं के साथ किसी भी हद तक खड़े रहने से जनता का विरोध
  3. बढ़ती उम्र और पुत्र का भी विरोध

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भाजपा प्रत्याशी संतोष अहलावत का मजबूत पक्ष :

  1. गत बार सांसद और विधायक का टिकट कटने के बाद भी पार्टी के साथ खड़े रहना
  2. क्षेत्र में लम्बे समय तक स्कूल चलाने से लोगों से जुड़ाव
  3. पार्टी की केन्द्रीय लीडरशीप से सीधा जुड़ाव

कमजोर पक्ष :

  1. पार्टी के अन्य नेताओं का मन से साथ न होना
  2. एक चुनाव में पार्टी के बड़े नेता दिगम्बर सिंह के साथ भीतरघात का आरोप
  3. करीब पांच साल से निष्क्रियता
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