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आरएलपी-भाजपा गठबंधन की खबरों के बीच जानें मंडावा विधानसभा सीट के समीकरण - मंडावा उपचुनाव

मंडावा विधानसभा के उपचुनाव में अभी समय है. लेकिन, गठबंधन के माइनस प्लस को लेकर जरूर चुनावी चर्चाओं का दौर जरूर चल रहा है. अभी भाजपा और आरएलपी के गठबंधन को लेकर नेताओं के बयान आ रहे हैं और ऐसे में मंडावा विधानसभा के उपचुनाव में क्या समीकरण बन रहे हैं. इस पर एक नजर डालते हैं.

मंडावा विधानसभा का समीकरण
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Published : Jun 23, 2019, 4:38 PM IST

झुंझुनूं. लोकसभा चुनाव के बाद राजस्थान में नागौर की खींवसर और झुंझुनू की मंडावा विधानसभा में उपचुनाव होने तय हो गए हैं. विधानसभा चुनाव में भी हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन बने रहने की खबरों के बाद राजनीतिक हलकों में नई चर्चाएं हैं. गठबंधन बना रहता है तो यह तय है कि यह सीट भाजपा को ही दी जानी है क्योंकि, मंडावा विधानसभा में भाजपा विधायक के ही सांसद बनने से यह सीट खाली हुई है.

लंबे समय से कांग्रेस का गढ़
मंडावा विधानसभा लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रही है. लेकिन यहां हार जीत का अंतर मामूली मतों का ही रहा है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को संभवतया उम्मीद है कि यदि हनुमान बेनीवाल पांच सात हजार वोट भी इधर-उधर कर देंगे तो उनकी यह सीट पक्की हो जाएगी, जो विपक्ष के रूप में पार्टी के लिए संजीवनी का काम करेगी. यह सीट इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली है और ऐसे में पार्टी से खोना नहीं चाहेगी.

मंडावा विधानसभा का समीकरण

यह रहा इन चुनावों में जीत का अंतर

  • वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रीटा चौधरी ने तत्कालीन निर्दलीय प्रत्याशी वर्तमान भाजपा सांसद नरेंद्र कुमार खीचड़ को केवल 405 मतों से हराया था.
  • वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में नरेंद्र कुमार खीचड़ ने ही निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में निर्दलीय रीटा चौधरी को 17118 मतों से शिकस्त दी थी. हालांकि उस समय कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान कांग्रेस की टिकट लेकर आए थे, वहीं रीटा चौधरी बागी हो गई थी. इसलिए जीत का अंतर बढ़ गया था.
  • वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नरेंद्र कुमार खीचड़ ने कांग्रेस की रीता चौधरी को 2346 मतों से शिकस्त दी है, यानी जीत का अंतर मामूली ही रहा है.

अब यदि हनुमान बेनीवाल अपने कोटे से 57 हजार वोटों को इधर-उधर करेंगे तो भाजपा के लिए सीट एकदम पक्की हो जाएगी. इसलिए संभवतया यहां पर पार्टी हनुमान बेनीवाल को साथ में लेने के मूड में है.

झुंझुनूं. लोकसभा चुनाव के बाद राजस्थान में नागौर की खींवसर और झुंझुनू की मंडावा विधानसभा में उपचुनाव होने तय हो गए हैं. विधानसभा चुनाव में भी हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन बने रहने की खबरों के बाद राजनीतिक हलकों में नई चर्चाएं हैं. गठबंधन बना रहता है तो यह तय है कि यह सीट भाजपा को ही दी जानी है क्योंकि, मंडावा विधानसभा में भाजपा विधायक के ही सांसद बनने से यह सीट खाली हुई है.

लंबे समय से कांग्रेस का गढ़
मंडावा विधानसभा लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रही है. लेकिन यहां हार जीत का अंतर मामूली मतों का ही रहा है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को संभवतया उम्मीद है कि यदि हनुमान बेनीवाल पांच सात हजार वोट भी इधर-उधर कर देंगे तो उनकी यह सीट पक्की हो जाएगी, जो विपक्ष के रूप में पार्टी के लिए संजीवनी का काम करेगी. यह सीट इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली है और ऐसे में पार्टी से खोना नहीं चाहेगी.

मंडावा विधानसभा का समीकरण

यह रहा इन चुनावों में जीत का अंतर

  • वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रीटा चौधरी ने तत्कालीन निर्दलीय प्रत्याशी वर्तमान भाजपा सांसद नरेंद्र कुमार खीचड़ को केवल 405 मतों से हराया था.
  • वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में नरेंद्र कुमार खीचड़ ने ही निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में निर्दलीय रीटा चौधरी को 17118 मतों से शिकस्त दी थी. हालांकि उस समय कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान कांग्रेस की टिकट लेकर आए थे, वहीं रीटा चौधरी बागी हो गई थी. इसलिए जीत का अंतर बढ़ गया था.
  • वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नरेंद्र कुमार खीचड़ ने कांग्रेस की रीता चौधरी को 2346 मतों से शिकस्त दी है, यानी जीत का अंतर मामूली ही रहा है.

अब यदि हनुमान बेनीवाल अपने कोटे से 57 हजार वोटों को इधर-उधर करेंगे तो भाजपा के लिए सीट एकदम पक्की हो जाएगी. इसलिए संभवतया यहां पर पार्टी हनुमान बेनीवाल को साथ में लेने के मूड में है.

Intro:मंडावा विधानसभा के उपचुनाव में अभी समय है लेकिन गठबंधन के माइनस प्लस को लेकर जरूर चुनावी चर्चाओं का दौर जरूर चल रहा है। अभी भाजपा और आरएलपी के गठबंधन को लेकर नेताओं के बयान आ रहे हैं और ऐसे में मंडावा विधानसभा के उपचुनाव में क्या समीकरण बन रहे हैं इस पर एक नजर डालते हैं।



Body:झुंझुनू। लोकसभा चुनाव के बाद राजस्थान में नागौर की खींवसर और झुंझुनू की मंडावा विधानसभा में उपचुनाव होने तय हो गए हैं । विधानसभा चुनाव में भी हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन बने रहने की खबरों के बाद राजनीतिक हलकों में नई चर्चाएं हैं। गठबंधन बना रहता है तो यह तय है कि यह सीट भाजपा को ही दी जानी है क्योंकि, मंडावा विधानसभा में भाजपा विधायक के ही सांसद बनने से यह सीट खाली हुई है। _

लंबे समय से कांग्रेस का गढ़
मंडावा विधानसभा लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रही हो लेकिन यहां हार जीत का अंतर मामूली मतों का ही रहा है और ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को संभवतया उम्मीद है कि यदि हनुमान बेनीवाल पांच सात हजार वोट भी इधर-उधर कर देंगे तो उनकी यह सीट पक्की हो जाएगी, जो विपक्ष के रूप में पार्टी के लिए संजीवनी का काम करेगी। यह सीट इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली है और ऐसे में पार्टी से खोना नहीं चाहेगी।



यह रहा इन चुनावों में जीत का अंतर
-वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रीटा चौधरी ने तत्कालीन निर्दलीय प्रत्याशी वर्तमान भाजपा सांसद नरेंद्र कुमार खीचड़ को केवल 405 मतों से हराया था।
- वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में नरेंद्र कुमार खीचड़ ने ही निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में निर्दलीय रीटा चौधरी को 17118 मतों से शिकस्त दी थी। हालांकि उस समय कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ चंद्रभान कांग्रेस की टिकट लेकर आए थे, वहीं रीटा चौधरी बागी हो गई थी। इसलिए जीत का अंतर बढ़ गया था।
- वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नरेंद्र कुमार खीचड़ ने कांग्रेस की रीता चौधरी को 2346 मतों से शिकस्त दी है, यानी जीत का अंतर मामूली ही रहा है। अब यदि हनुमान बेनीवाल अपने कोटे से 57 हजार वोटों को इधर-उधर करेंगे तो भाजपा के लिए सीट एकदम पक्की हो जाएगी। इसलिए संभवतया यहां पर पार्टी हनुमान बेनीवाल को साथ में लेने के मूड में है।


व्हाइट राजेंद्र चौधरी वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक समीक्षक




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