झुंझुनू. भामाशाह योजना में पहले भी फर्जीवाड़े के कई मामले सामने आए हैं. ऐसे में अब फ्री इलाज की सुविधा देने वाली ये योजना को बंद होने की स्थिति में है. क्योंकि प्राइवेट अस्पतालों को सरकार की ओर से 6 माह से पुन:भुगतान नहीं किया गया है.
दरअसल, भामाशाह योजना के लाभ के लिए खाद्य सुरक्षा योजना से जुड़े होना आवश्यक है. ऐसे में सरकारी नौकरी करने वाले भी तथ्य छिपाकर इस योजना लाभ लेते पाए गए हैं. जिसे देखते हुए प्रशासन अलर्ट हो गए है.
237 लोगों की हुई पहचान
बता दें कि झुंझुनू क्षेत्र में 237 ऐसे लोगों की पहचान हुई है, जिन्होंने सरकारी लाभ के पद पर रहते हुए खाद्य सुरक्षा योजना में 960 क्विंटल गेहूं उठा लिए. प्रशासन ऐसे लोगों से करीब 26 लाख की रिकवरी करेगा. एसडीएम सुरेंद्र कुमार यादव ने इसके लिए आदेश जारी किए हैं. अब तक 122 लोगों से 26 लाख रुपए की वसूले जा चुके हैं.
योजना के बारे में-
राज्य सरकार की ओर से गरीबों, मजदूरों और सीमांत लघु किसानों को खाद्य सुरक्षा योजना के माध्यम से 2 किलो गेहूं मुहैया कराया जाता है. जिले में बड़ी संख्या में लोगों ने सरकारी सेवाओं में रहते हुए, पेंशन होने के बावजूद तथ्य छिपाकर अपना नाम खाद्य सुरक्षा योजना में जुड़वा लिया. ये लोग लंबे समय तक 2 किलो गेहूं उठाते रहे.
पिछले दिनों प्रदेश स्तर पर इसकी शिकायत के बाद सरकार ने इसकी जांच कराई. मलसीसर ब्लॉक में एसडीएम ने एक्शन लिया है. अन्य आठ ब्लॉक में भी जांच करवाई जा रही है.
बता दें कि एसडीएम ने पटवारी ग्राम सचिव की टीम बनाकर उपखंड क्षेत्र के गांव में जांच कराई. जिसमें 237 लोगों के नाम सामने आए जिन्हें करीब 26 लाख लौटाने के लिए नोटिस दिए गए हैं. एसडीएम सुरेंद्र यादव ने बताया कि फर्जीवाड़ा कर गेहूं उठाने वालों ने समय रहते रुपए जमा नहीं कराए, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी.
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प्रशासन को 1 किलो गेहूं देने पर 27 रुपए लागत आती है. इसमें गेहूं की खरीद, ट्रांसपोर्ट और राशन डीलर का कमीशन शामिल है. इसी हिसाब से फर्जीवाड़े में शामिल लोगों से प्रशासन वसूली करेगा. एसडीएम ने ऐसे लोगों को 7 दिन में रुपए लौटाने के नोटिस दिए हैं.