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झुंझुनू: श्रमिक नियोजन की छूट के बाद मनरेगा में काम करने के लिए मजदूरों में होड़

मनरेगा में श्रमिक नियोजन की छूट मिलने के 15 दिन बाद ही झुंझुनू में श्रमिकों की संख्या शून्य से 19,000 हजार पहुंच चुकी हैं. प्रत्येक पंचायत में 50 श्रमिकों का लक्ष्य इसी के साथ मंगलवार को पूरा हो चुका हैं.

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Published : May 12, 2020, 3:03 PM IST

झुंझुनू. जिले में लॉकडाउन के दौरान महात्मा गांधी नरेगा में श्रमिक नियोजन की छूट मिलने के 15 दिन बाद श्रमिकों की संख्या शून्य से 19,000 हजार पहुंच चुकी है. 15 दिन पहले जिला परिषद के सीईओ की ओर से प्रत्येक पंचायत में औसत 50 श्रमिक नियोजन का लक्ष्य दिया गया था. जो मंगलवार को पूरा हो गया है.

अब तक जो लोग मनरेगा में काम करने से झिझक महसूस कर रहे थे. वे भी उत्साह से रोजगार के लिए पंजीकरण करवा रहे हैं. शहरों में काम बंद होने के कारण काफी संख्या में लोग अपने गांवों में आ गए हैं और ग्राम पंचायतों में जॉब कार्ड बनवा रहे हैं.

मनरेगा में काम करने के लिए मजदूरों में होड़

मनरेगा की 'अपना खेत, अपना काम' योजना के प्रति भी लोग उत्साहित हैं. पिछले एक सप्ताह के दौरान जिले में 3000 से ज्यादा लोगों ने अपने खेतों में सरकारी खर्च से कुण्ड, बागवानी, समतलीकरण आदि के लिए पंजीकरण कराया है. जिला कलेक्टर की ओर से पिछले एक सप्ताह के दौरान 500 से ज्यादा व्यक्तिगत काम स्वीकृत किए गए हैं. जिला परिषद के सीईओ रामनिवास जाट ने बताया कि 15 मई तक 10 हजार व्यक्तिगत काम स्वीकृत कर मई के अंत तक सभी कामों को चालू करने और प्रत्येक ग्राम पंचायत में 100 से ज्यादा श्रमिक लगाने का लक्ष्य है.

पढ़ें: प्रवासी श्रमिकों के पैदल निकलने पर केंद्र सरकार सख्त, राज्यों को दिए निर्देश

अब भी लौट रहे मजदूर

गौरतलब है कि लॉकडाउन के तीसरे चरण में कई तरह की छूट दी गई है. लेकिन इसके बावजूद प्रवासी श्रमिकों का अपने गांव में लौटना जारी है. ऐसे में लोग अपना जॉब कार्ड बनवा रहे हैं. ताकि लॉकडाउन बढ़ने या फिर अन्य कई परिस्थितियों की वजह से वापस शहरों में नहीं लौट पाने की वजह से कम से कम उन्हें 100 दिन यहां पर रोजगार मिल सके. इसके अलावा वे साथ-साथ में अपने खेतों में भी काम कर सकें.

झुंझुनू. जिले में लॉकडाउन के दौरान महात्मा गांधी नरेगा में श्रमिक नियोजन की छूट मिलने के 15 दिन बाद श्रमिकों की संख्या शून्य से 19,000 हजार पहुंच चुकी है. 15 दिन पहले जिला परिषद के सीईओ की ओर से प्रत्येक पंचायत में औसत 50 श्रमिक नियोजन का लक्ष्य दिया गया था. जो मंगलवार को पूरा हो गया है.

अब तक जो लोग मनरेगा में काम करने से झिझक महसूस कर रहे थे. वे भी उत्साह से रोजगार के लिए पंजीकरण करवा रहे हैं. शहरों में काम बंद होने के कारण काफी संख्या में लोग अपने गांवों में आ गए हैं और ग्राम पंचायतों में जॉब कार्ड बनवा रहे हैं.

मनरेगा में काम करने के लिए मजदूरों में होड़

मनरेगा की 'अपना खेत, अपना काम' योजना के प्रति भी लोग उत्साहित हैं. पिछले एक सप्ताह के दौरान जिले में 3000 से ज्यादा लोगों ने अपने खेतों में सरकारी खर्च से कुण्ड, बागवानी, समतलीकरण आदि के लिए पंजीकरण कराया है. जिला कलेक्टर की ओर से पिछले एक सप्ताह के दौरान 500 से ज्यादा व्यक्तिगत काम स्वीकृत किए गए हैं. जिला परिषद के सीईओ रामनिवास जाट ने बताया कि 15 मई तक 10 हजार व्यक्तिगत काम स्वीकृत कर मई के अंत तक सभी कामों को चालू करने और प्रत्येक ग्राम पंचायत में 100 से ज्यादा श्रमिक लगाने का लक्ष्य है.

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अब भी लौट रहे मजदूर

गौरतलब है कि लॉकडाउन के तीसरे चरण में कई तरह की छूट दी गई है. लेकिन इसके बावजूद प्रवासी श्रमिकों का अपने गांव में लौटना जारी है. ऐसे में लोग अपना जॉब कार्ड बनवा रहे हैं. ताकि लॉकडाउन बढ़ने या फिर अन्य कई परिस्थितियों की वजह से वापस शहरों में नहीं लौट पाने की वजह से कम से कम उन्हें 100 दिन यहां पर रोजगार मिल सके. इसके अलावा वे साथ-साथ में अपने खेतों में भी काम कर सकें.

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