झुंझुनू. झुंझुनू एक शिक्षित जिला माना जाता है लेकिन पोषण के मामले में यहां की स्थिति को बहुत बेहतर नहीं कहा जा सकता है. पोषण के मामले में नेशनल लेवल पर बात की जाए तो 599 में से झुंझुनू का स्थान 252 है. ऐसे में जिले में एक अभिनव प्रयोग किया जा रहा है, जिससे स्थिति बहुत बेहतर हो सकती है.
इसमें जिले की सभी आंगनबाड़ियों में पोषण वाटिका लगाई जाएगी. जिसमें पोषण और विशेषकर आयरन वाली सब्जियां उगाई जाएंगी. ऐसे में जब बच्चों को पोषाहार दिया जाएगा, तो उनको यह सब्जियां भी पोषाहार में शामिल कर दी जाएंगी. इससे उनका पोषण बढ़ जाएगा.
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पोषण पखवाड़े की भी शुरुआत-
जिले में भी शनिवार से पोषण पखवाड़े की शुरुआत की गई है और पोषण के मामले में जिले में भी इसमें बेहद काम करने की जरूरत है, क्योंकि महिलाओं और पुरुषों की बात की जाए तो इसमें वह महिलाएं ज्यादा शामिल है, जिनको पोषण नहीं मिलने की वजह से वे एनीमिया से पीड़ित हो जाती है. यानी उनका हीमोग्लोबिन का स्तर 10 से भी कम होता है. महिलाओं के एनीमिया से पीड़ित हो जाने की वजह से एक तो प्रसव के दौरान उनकी मौत का खतरा ज्यादा रहता है, तो दूसरी ओर से बच्चे के भी एनीमिया होने का खतरा ज्यादा रहता है.
केवीके में शुरू किया गया पखवाड़ा-
ऐसे में राष्ट्रीय पोषण पखवाड़े के तहत झुंझुनू में कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर में यह पखवाड़ा शुरू किया गया है. इसमें महिला और अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक विप्लव न्यौला ने कहा कि पोषण वाटिका से छोटे बच्चों के पोषण में उल्लेखनीय सुधार होने की आशा है. वहीं सीडीपीओ ज्योति रेप्सवाल ने कहा कि घर में सामान्य भोजन यानी पालक चना और अन्य कई खाद्य पदार्थों में भी आयरन की बड़ी मात्रा होती है और इसलिए वे थोड़ा सा खान-पान के बारे में ध्यान देकर उचित पोषण ले सकती हैं.
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कार्यक्रम में काउंसलर इशिता दहिया ने पोषण पखवाड़े की जरूरत और यहां की स्थिति के बारे में जानकारी दी. इसमें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मधु हिसारिया, केवीके आबूसर के निदेशक डॉ दयानंद ने महिलाओं और आए अन्य लोगों को पोषण के बारे में जानकारी दी.