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झुंझुनूः शहीद राजेंद्र सिंह को दी गई नम आंखों से अंतिम विदाई, 4 महीने के बेटे ने दी मुखाग्नि - martyr Rajendra Singh funeral

झुंझुनू जिले के खेतड़ी में कश्मीर के तंगधार क्षेत्र में हिमस्खलन में शहीद हुए हरड़िया ग्राम पंचायत की ढाणी ढहरवाला के जवान राजेंद्र सिंह का शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. वहीं, शहीद राजेंद्र सिंह को उनके 4 महीने के पुत्र ने मुखाग्नि दी तो वहां मौजूद लोगों की आंखे नम हो गई.

शहीद राजेंद्र सिंह की विदाई, martyr Rajendra Singh News
शहीद राजेंद्र सिंह को दी गई नम आंखों से अंतिम विदाई
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Published : Dec 7, 2019, 6:56 PM IST

खेतड़ी (झुंझुनू). जिले के खेतड़ी में कश्मीर के तंगधार क्षेत्र में हिमस्खलन में शहीद हुए हरड़िया ग्राम पंचायत की ढाणी ढहरवाला के जवान राजेंद्र सिंह का शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. वहीं, शहीद राजेंद्र सिंह को उनके 4 महीने के पुत्र ने मुखाग्नि दी तो वहां मौजूद लोगों की आंखे भर आई. बता दें कि शुक्रवार देर शाम शहीद जवान के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव लाया गया.

शहीद राजेंद्र सिंह को दी गई नम आंखों से अंतिम विदाई

वहीं, शहीद राजेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह बबाई पहुंच गया था, जिसके बाद सैकड़ों युवा तिरंगा यात्रा के साथ उनके घर तक गए. शहीद राजेंद्र सिंह का शव उनके घर पहुंचते ही वहां का माहौल गमगीन हो गया. बता दें कि शहीद की अंतिम शव यात्रा के दौरान स्कूली बच्चों और युवाओं ने हाथों में तिरंगा लेकर गगनभेदी नारे लगाए.

पढ़ें- साहवा के लाडले शहीद कमल कुमार को हजारों नम आंखों ने दी अंतिम विदाई

अंतिम संस्कार से पूर्व जयपुर से आई 20 जाट रेजिमेंट के जवानों और पुलिस की टुकड़ी ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. शहीद के चार महीने के बेटे करण कृष्णिया ने देश के लिए वीरगति को प्राप्त होने वाले पिता शहीद राजेंद्र सिंह को मुखाग्नि दी. शहीद की बेटी अंशु ने कहा कि उनके पापा राजेंद्र सिंह ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुती दी है जिसे वह नमन करती है. उन्होनें कहा कि मैं भी सेना में जाकर पिता का नाम रोशन करूंगी.

शहीद जवान राजेंद्र सिंह का जीवन परिचय

हरड़िया पंचायत की ढाणी ढहरवाले के शहीद राजेंद्र सिंह का जन्म 25 जून 1983 को रोहताश कृष्णिया के घर में हुआ था. राजेंद्र सिंह 31 दिसंबर 2001 को सेना में भर्ती हुए थे. वर्तमान में वह सेना की 2 जाट रेजीमेंट में कश्मीर के तंगधार इलाके में तैनात थे. उनका विवाह गोरधनपुरा निवासी सरोज देवी के साथ 2003 में हुआ था. शहीद राजेंद्र सिंह को एक 14 वर्ष की बेटी अंशु और 4 महीने का बेटा करण कृष्णिया है. शहीद राजेंद्र सिंह के पिता रोहताश कृष्णिया का करीब 8 साल पूर्व और माता रजकौरी का करीब 3 साल पूर्व देहांत हो चुका है. वहीं, शहीद राजेंद्र सिंह एक छोटा भाई किशनलाल है जो गांव में ही रहकर खेती बाड़ी का कार्य करता है.

करीब 10 फीट की चट्टान गिरने से वीरगति को प्राप्त हुए थे राजेंद्र सिंह

शहीद राजेंद्र सिंह के शव के साथ आए सेना के जवानों ने बताया कि राजेंद्र सिंह जम्मू कश्मीर के तंगधार इलाके में अपने साथियों के साथ पोस्ट पर डयूटी कर रहे थे. उन्होंने बताया कि 4 दिसंबर की शाम को अचानक आए बर्फीले तूफान के कारण हिमस्खलन हो गया. हिमस्खलन होने से बर्फ की करीब 10 फीट की चट्टान उन पर आ गिरी, जिससे वह उसके नीचे दब गए.

हिमस्खलन होने की सूचना पर हवास फोर्स की टीम मौके पर पहुंची और सर्चिंग अभियान चलाया. जवानों ने बताया कि पहले उनका मोबाइल और फिर टॉर्च मिली. वहीं, टीम की ओर से काफी देर तक बर्फ की खुदाई करने के बाद राजेंद्र सिंह को निकाला तो राजेंद्र सिंह देश के लिए वीरगति को प्राप्त हो चुके थे.

खेतड़ी (झुंझुनू). जिले के खेतड़ी में कश्मीर के तंगधार क्षेत्र में हिमस्खलन में शहीद हुए हरड़िया ग्राम पंचायत की ढाणी ढहरवाला के जवान राजेंद्र सिंह का शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. वहीं, शहीद राजेंद्र सिंह को उनके 4 महीने के पुत्र ने मुखाग्नि दी तो वहां मौजूद लोगों की आंखे भर आई. बता दें कि शुक्रवार देर शाम शहीद जवान के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव लाया गया.

शहीद राजेंद्र सिंह को दी गई नम आंखों से अंतिम विदाई

वहीं, शहीद राजेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह बबाई पहुंच गया था, जिसके बाद सैकड़ों युवा तिरंगा यात्रा के साथ उनके घर तक गए. शहीद राजेंद्र सिंह का शव उनके घर पहुंचते ही वहां का माहौल गमगीन हो गया. बता दें कि शहीद की अंतिम शव यात्रा के दौरान स्कूली बच्चों और युवाओं ने हाथों में तिरंगा लेकर गगनभेदी नारे लगाए.

पढ़ें- साहवा के लाडले शहीद कमल कुमार को हजारों नम आंखों ने दी अंतिम विदाई

अंतिम संस्कार से पूर्व जयपुर से आई 20 जाट रेजिमेंट के जवानों और पुलिस की टुकड़ी ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. शहीद के चार महीने के बेटे करण कृष्णिया ने देश के लिए वीरगति को प्राप्त होने वाले पिता शहीद राजेंद्र सिंह को मुखाग्नि दी. शहीद की बेटी अंशु ने कहा कि उनके पापा राजेंद्र सिंह ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुती दी है जिसे वह नमन करती है. उन्होनें कहा कि मैं भी सेना में जाकर पिता का नाम रोशन करूंगी.

शहीद जवान राजेंद्र सिंह का जीवन परिचय

हरड़िया पंचायत की ढाणी ढहरवाले के शहीद राजेंद्र सिंह का जन्म 25 जून 1983 को रोहताश कृष्णिया के घर में हुआ था. राजेंद्र सिंह 31 दिसंबर 2001 को सेना में भर्ती हुए थे. वर्तमान में वह सेना की 2 जाट रेजीमेंट में कश्मीर के तंगधार इलाके में तैनात थे. उनका विवाह गोरधनपुरा निवासी सरोज देवी के साथ 2003 में हुआ था. शहीद राजेंद्र सिंह को एक 14 वर्ष की बेटी अंशु और 4 महीने का बेटा करण कृष्णिया है. शहीद राजेंद्र सिंह के पिता रोहताश कृष्णिया का करीब 8 साल पूर्व और माता रजकौरी का करीब 3 साल पूर्व देहांत हो चुका है. वहीं, शहीद राजेंद्र सिंह एक छोटा भाई किशनलाल है जो गांव में ही रहकर खेती बाड़ी का कार्य करता है.

करीब 10 फीट की चट्टान गिरने से वीरगति को प्राप्त हुए थे राजेंद्र सिंह

शहीद राजेंद्र सिंह के शव के साथ आए सेना के जवानों ने बताया कि राजेंद्र सिंह जम्मू कश्मीर के तंगधार इलाके में अपने साथियों के साथ पोस्ट पर डयूटी कर रहे थे. उन्होंने बताया कि 4 दिसंबर की शाम को अचानक आए बर्फीले तूफान के कारण हिमस्खलन हो गया. हिमस्खलन होने से बर्फ की करीब 10 फीट की चट्टान उन पर आ गिरी, जिससे वह उसके नीचे दब गए.

हिमस्खलन होने की सूचना पर हवास फोर्स की टीम मौके पर पहुंची और सर्चिंग अभियान चलाया. जवानों ने बताया कि पहले उनका मोबाइल और फिर टॉर्च मिली. वहीं, टीम की ओर से काफी देर तक बर्फ की खुदाई करने के बाद राजेंद्र सिंह को निकाला तो राजेंद्र सिंह देश के लिए वीरगति को प्राप्त हो चुके थे.

Intro:Body:खेतड़ी के शहीद राजेन्द्र सिंह को जब चार माह के पुत्र ने मुखाग्नि दी तो मौजूद लोगों की आंखों में आ गए आंसू...... पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया अंतिम संस्कार

खेतड़ी/झुंझुनूं
झुंझुनू जिले के खेतड़ी उपखंड के हरड़िया पंचायत की ढाणी ढहरवाला के राजेंद्र सिंह कश्मीर के तंगधार क्षेत्र में हिमस्खलन से हुए शहीद का शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया। युवाओं ने बबाई के पास बनी हवाई पट्टी से लेकर शहीद राजेंद्र सिंह के पैतृक गांव तक डीजे व बाइकों पर हाथों में झंडा लेकर तिरंगा यात्रा निकाली। शहीद राजेंद्र सिंह का शव सुबह करीब साढे दस बजे बबाई पहुंच गया था, जिसके बाद सैकड़ो युवा तिरंगा यात्रा के साथ उनके घर तक गए। शहीद राजेंद्र सिंह का शव उनके घर पहुंचते ही वहां का माहौल गमगीन हो गया जिसे देखकर उनकी पत्नी बेसुद हो गई तथा बेटी अंशु का रो-रो कर बुरा हाल हो रहा था। घर में सेना के जवानों की ओर से शहीद राजेंद्र सिंह की अंतिम क्रिया क्रम की रस्म रिवाज करवाई गई तथा ग्रामीणों को अंतिम दर्शन करवाने के लिए पार्थिव देह को रखवाया गया, जहां मौजूद ग्रामीणों ने पुष्प अर्पित कर अंतिम विदाई दी। इसके बाद घर से करीब एक किलोमीटर दूर सेफरागुवार रोड़ पर शहीद राजेंद्र सिंह को अंत्येष्टी के लिए ले जाया गया। शहीद की अंतिम शव यात्रा के दौरान स्कूली बच्चों व युवाओं ने हाथों में तिरंगा लेकर शहीद राजेंद्र सिंह अमर रहे, जब तक सुरज चांद रहेगा राजेंद्र सिंह तेरा नाम रहेगा के गगनभेदी नारे लगाए। अंतिम संस्कार से पूर्व जयपुर से आई 20 जाट रेजिमेंट के जवानों व पुलिस की टुकड़ी ने गार्ड ऑफ आनर दिया। सेना के जवानों ने हवाई फायर कर मातमी धून के साथ शहीद राजेंद्र सिंह को विदाई दी। सेना के अधिकारियों ने जब शहीद राजेंद्र सिंह की बेटी अंशु को राष्ट्रीय ध्वज प्रदान किया तो वहां मौजूद हजारों की भीड़ की आंखे नम हो गई तथा गगनभेदी नारे लगाकर शहीद की बेटी का हौंसला बढ़ाया। शहीद के चार माह के बेटे करण कृष्णिया ने देश के लिए वीरगति को प्राप्त होने वाले पिता शहीद राजेंद्र सिंह को मुखाग्नि दी।


बेटी ने कहा पापा की शहादत को नमन, मै भी देश सेवा कर पापा का करूंगी नाम रोशन
शहीद राजेंद्र सिंह का शव जब उनके घर पहुंचा तो पूरे घर में कोहराम सा मच गया। उनकी पत्नी सरोज देवी बेसुद सी हो रही थी, लेकिन उनके पास ही बैठी 14 वर्ष की बेटी अंशु ने अपने पापा की शहादत पर गर्व करते हुए उनको संभाल रही थी। शहीद की बेटी अंशु ने कहा कि उनके पापा राजेंद्र सिंह ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुती दी है जिसे वह नमन करती है। उन्होनें कहा कि मै भी सेना में जाकर पिता का नाम रोशन करूंगी

शहीद राजेंद्र सिंह का जीवन परिचय
हरड़िया पंचायत की ढाणी ढहरवाले के शहीद राजेंद्र सिंह का जन्म 25 जून 1983 को रोहताश कृष्णिया के घर में हुआ था। राजेंद्र सिंह 31 दिसंबर 2001 को सेना में भर्ती हुए थे। वर्तमान में वह सेना की 2 जाट रेजीमेंट में कश्मीर के तंगधार ईलाके में तैनात थे। उनका विवाह गोरधनपुरा निवासी सरोज देवी के साथ 2003 में हुआ था। राजेंद्र सिंह के एक 14 वर्ष की बेटी अंशु व चार माह का बेटा करण कृष्णिया है। शहीद राजेंद्र सिंह के पिता रोहताश कृष्णिया का करीब आठ साल पूर्व तथा माता रजकौरी का करीब तीन साल पूर्व देहांत हो चुका है। शहीद राजेंद्र सिंह एक छोटा भाई किशनलाल है जो गांव में ही रहकर खेती बाड़ी का कार्य करता है।


करीब दस फिट की चट्टान गिरने से वीरगति को प्राप्त हुए थे राजेंद्र सिंह
शहीद राजेंद्र सिंह के शव के साथ आए सेना के जवानों ने बताया कि राजेंद्र सिंह जम्मु कश्मीर के तंगधार ईलाके में अपने साथियों के साथ पोस्ट पर डयूटी कर रहे थी कि 4 दिसंबर की शाम को अचानक आए बफीर्ले तुफान के कारण हिमस्खलन हो गया। हिमस्खलन होने से बर्फ की करीब दस फिट की चट्टान उन पर आ गिरी, जिससे वह उसके नीचे दब गए। हिमस्खलन होने की सूचना पर हवास फोर्स की टीम मौके पर पहुंची तथा सर्चिंग अभियान चलाया तो पहले इनका मोबाइल, फिर टार्च मिली। टीम द्वारा काफी देर तक बर्फ की खुदाई करने के बाद राजेंद्र सिंह को निकाला तो राजेंद्र सिंह देश के लिए वीरगति का प्राप्त हो चुके थे।

बाईट- डॉ जितेंद्र सिंह, विधायक खेतड़ी
एस के नेहरा, मेजर
अंशु, शहीद की बेटीConclusion:
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