झुंझुनू. हवलदार नरेश कुमार का पार्थिव शरीर शनिवार को झुंझुनू के बगड़ कस्बे में पहुंचा. जहां पर झुंझुनू सांसद नरेंद्र खीचड़, सैनिक कल्याण राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा, भाजपा नेता बबलू चौधरी सहित उनको श्रद्धांजलि देने वालों का सैलाब उमड़ पड़ा. शहीद नरेश कुमार का राजकीय सम्मान के साथ बगड़ पर उनकी निजी जमीन पर अंतिम संस्कार किया (Jhunjhunu martyr funeral) गया.
शहीद के पिता ने कहा कि तीनों बेटे ने तैयारी की थी. मगर शहीद नरेश कुमार का ही सेना में चयन हुआ. शहीद ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए. उनको इस बात का गर्व है. जनप्रतिनिधियों ने शहीद के परिवार को ढांढस बंधाया और कहा कि झुंझुनू जिला सैनिकों का जिला है. उन्हें गर्व है कि वे ऐसे जिले से ताल्लुक रखते हैं जहां शहीदों की संख्या ज्यादा है.
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वर्ष 2012 में हुई थी शादी: उनकी शादी 2012 में हुई थी. उनकी बेटी मानवी कक्षा 5 में व 9 साल का बेटा नमन कक्षा तीन में पढ़ता है. वे मां के साथ आगरा में रहते हैं. बड़ा भाई सुरेश खेती-बाड़ी, तो छोटा भाई मुकेश प्राइवेट नौकरी करता है. उनकी मां सुनीता देवी व पिता महेंद्रसिंह बड़े बेटे के साथ गांव में रहते हैं.
मूल रूप से हरियाणा के सागवान गांव के रहने वाला उनका परिवार करीब 10 वर्ष से बगड़ में रह रहा है. दो महीने पहले ही उनकी आगरा से जम्मू में ड्यूटी लगी थी. 10 दिन पहले ही वे गांव आकर गए थे. बुधवार शाम को मोबाइल पर बड़े भाई से बात भी हुई. वर्ष 2007 में सेना में भर्ती हुए नरेश की 2 माह बाद ही सेवानिवृति होनी थी. शहीद नरेश कुमार आर्मी की स्पेशल फोर्स 7th पारा बटालियन में सेवारत थे. उनकी ड्यूटी जम्मू कश्मीर के चौकीबल में थी. अचानक से उनको सांस की तकलीफ और वे शहीद हो गए.