झुंझुनू. आजाद देश की पहली सुबह के साथ ही शिक्षा की अलख जगाने का काम हमारे नीति निर्माताओं ने किया था. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे कस्बे से रूबरू करवाते हैं, जिसकी कुल जनसंख्या भले ही बमुश्किल 3 हजार हो, लेकिन बाहर से यहां पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 20 हजार से भी ज्यादा थी. जी हां देश के जाने-माने उद्योगपति आनंद पीरामल, रामचंद्र रूंगटा और बीएल माहेश्वरी की धरती बगड़ कस्बे में आजादी के समय छह सीनियर सेकेंडरी स्कूल थे.
भले ही इस छोटे से कस्बे की आबादी बेहद कम रही हो, लेकिन बाहर से आने वाले छात्रों को देखते हुए उसी समय इसको ग्राम पंचायत की जगह नगरपालिका बनाया गया. कस्बे की हर गली छात्रों से गुलजार और चहकते हुए बाजार के साए में सराबोर हुआ करती थी. पास में लगे हुए हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के साथ समूचे उत्तर भारत से पढ़ने के लिए बड़ी संख्या में छात्र और छात्राएं यहां आते थे. ज्यादातर संस्थाओं के खुद के हॉस्टल हुआ करते थे. लेकिन समय के साथ बदलना हर किसी के लिए जरूरी होता है और जो नहीं बदला वह अप्रासंगिक हो गया. यही बगड़ कस्बे की कहानी है जो कभी उत्तर भारत का एक शिक्षा का बड़ा केंद्र हुआ करता था. आज एक छोटे से सामान्य कस्बे की तरह विकास की बाट जो रहा है.
जड़ें कमजोर तो फल कैसे लगेगा
बगड़ के उद्योगपति घरानों का उस समय अपने मूल स्थानों से बड़ा प्रेम था और इसलिए वे केवल शिक्षा के केंद्रों की स्थापना तक ही सीमित नहीं रहे. बल्कि हर समय उनकी चिंता भी करते थे. बाहर से आने वाले छात्रों की सुख सुविधाओं से लेकर शिक्षा के स्टैंडर्ड तक कम से कम साल में एक बार आकर जरूर जांच करते थे. समय बदला, सेठ साहूकारों की अगली पीढ़ी आ गई और उसका अपनी जड़ों से जुड़ाव नहीं रहा तो स्थानीय रूप से काम करने वाले लोगों के हाथ में शिक्षा केंद्रों के संचालन की जिम्मेदारी आ गई.
इसके साथ ही यह शिक्षा का पराभाव होने लगा. कुछ अंग्रेजी का जमाना आ गया और सेठ साहूकारों की पुराने स्कूल कॉलेजों में अभी भी पुराना ढर्रा चलता रहा है. जो समय के साथ आउट डेट हो गया. अब कुछ स्कूल बंद हो गए हैं, कुछ अभी चल रहे हैं लेकिन विद्यार्थियों की संख्या बेहद कम है. कुछ संस्थान नए खुले हैं और समय के साथ चलने का प्रयास कर रहे हैं.
देश के सबसे बड़े उद्योगपति घराने की बेटी की ससुराल है बगड़
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी की बेटी ईशा की शादी आनंद पीरामल के साथ तय हुई है. आनंद पीरामल जोकि पीरामल ग्रुप के संस्थापक सेठ पीरामल के प्रपौत्र हैं और अजय पीरामल के बेटे हैं. आनंद पीरामल मूल रूप से राजस्थान के झुंझुनू के बगड़ कस्बे के रहने वाले हैं. भारत के सबसे अमीर व्यक्ति की बेटी ईशा अब इस कस्बे की बहू है.
पूरी तरह से बंद हो गया है एक बड़ा संस्थान
बगड़ में आजादी से पहले बीएल माहेश्वरी ट्रस्ट की ओर से बड़ी संख्या में स्कूल और कॉलेज चलाई जाती थी. लेकिन ये संस्था दिनांक 01 अप्रैल 2017 को बंद कर दी गई है. बीएल माहेश्वरी उच्च माध्यमिक विद्यालय, बगड़ शेखावाटी क्षेत्र में प्राचीनतम और अत्यन्त प्रतिष्ठित संस्थान है. इसकी स्थापना स्वर्गीय सेठ बीएल माहेश्वरी ने सन 1914 में प्राथमिक स्कूल के रूप में समाज के गरीब और आम लोगों तक शिक्षा प्रदान कराने के उद्देश्य से की थी.
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स्कूल के वर्तमान भवन का उद्घाटन 6 दिसंबर 1931 में जयपुर के तत्कालीन महाराजाधिराज सवाई मानसिंहजी के कर-कमलों द्वारा हुआ था. सन 1986 में बीएल पब्लिक स्कूल (अंग्रेजी माध्यम) की स्थापना हुई. इसमें बीएल माहेश्वरी उच्च माध्यमिक विद्यालय, बीएल माहेश्वरी पब्लिक स्कूल, बीएल माहेश्वरी प्राथमिक विद्यालय, बीएल माहेश्वरी बॉयज हॉस्टल, बीएल माहेश्वरी गर्ल्स हॉस्टल, बीएल माहेश्वरी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और श्रीमती सरस्वती बाई माहेश्वरी बाल क्रीड़ा केंद्र आदि चला करते थे.
छोटी काशी के रूप में भी विख्यात
यह कस्बा चारों तरफ से मंदिरों से और मस्जिदों से घिरा हुआ है. एक तरफ पाबुजी महाराज का प्रमुख मंदिर है. वहीं दूसरी और प्रमुख मुस्लिम समुदाय की दरगाह है. साथ ही प्रमुख चन्द्रनाथ का आश्रम है. यहा पे श्याम मंदिर, हनुमान मंदिर और बहुत सारे शिव मंदिर है. देखा जाये तो यह एक पूर्णतया धार्मिक कस्बा है. वर्तमान बगड़ नगर आज पिलानी के बाद शिक्षा की दृष्टि से दूसरा स्थान रखता है. इसका धरा नाम 'छोटी काशी' भी माना जा सकता है.
यहां का शैक्षिक संस्थानों का इतिहास
- सेठ गंगाधर शिव भगवान पटवारी महाविद्यालय (स्थापनाः आजादी से पहले)
- पीरामल बालिका प्राथमिक विद्यालय (स्थापनाः 1937)
- सेठ घनश्याम दास आनंदीलाल रूंगटा सीनियर सेकेंडरी स्कूल (स्थापना आजादी के समय)
- माखरिया पुस्तकालय (स्थापनाः 1930)
- श्री हनुमान बक्स गोगराज बगड़िया सीसे पब्लिक स्कूल (स्थापनाः 30 अगस्त 1984)
- डॉक्टर मोहनलाल पीरामल गर्ल्स पीजी महाविद्यालय (स्थापनाः 1997)
- श्री एसपी रूंगटा आचार्य संस्कृत महाविद्यालय (स्थापनाः 17 जून 1886)