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कोरोना वॉरियर्स...ये जज्बे की जंग है, 'बजरंग' की राह में चुनौतियों का मोल नहीं

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Published : Apr 19, 2020, 7:48 PM IST

वाकिफ कहां जमाना हमारी उड़ान से, वो और थे जो हार गए आसमान से. हजार बर्क गिरे लाख आंधियां उठें, वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं. इन लाइनों के मर्म को बॉस नानग गांव निवासी बजरंग अच्छी तरह से समझते हैं. वो कोरोना को हारने के लिए पूरी ताकत से जुटे हुए हैं.

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दिव्यांग बजरंग के हौसले को सलाम...

झुंझुनू. नाम है 'बजरंग लाल' पुत्र चेताराम कुमावत, निवासी गांव बॉस नानग. पेशे से शिक्षक उम्र 53 साल और एक पैर से पूरी तरह दिव्यांग. हर सुबह कोरोना के हॉट-स्पॉट बने झुंझुनू जिले के वार्ड 41 में वार्ड प्रभारी के रूप में घर-घर सर्वे करने पहुंच जाते हैं. आप सोच सकते हैं कि उम्र और दिव्यांग होने की वजह से निश्चित ही प्रशासन उनकी ड्यूटी इस कार्य से काट सकता था. लेकिन उन्होंने कहा कि यदि मुझको जिम्मेदारी मिली है तो मैं उसे पूरी ताकत से निभाऊंगा.

दिव्यांग बजरंग के हौसले को सलाम...

बचपन में एक पैर कट जाने के कारण सेना में भर्ती नहीं हो सके. उसके बाद शिक्षक बने बजरंग लाल अब तक जरूरतमंदों को नगर परिषद से 81 राशन किट और 21 हजार नकदी दिलवा चुके हैं. रोजाना वार्ड में घूम-घूमकर बाहर से आने वालों का भी सर्वे कर रहे हैं. निश्चित ही ऐसे कोरोना योद्धाओं को सलाम किया जाना चाहिए और इसी जज्बे के साथ हम कोरोना से चल रहे युद्ध में निश्चित ही जीत पाएंगे.

समाज में भी रहकर लड़ा जा सकता है युद्ध...

बजरंग ने बचपन में अपनी मां से कहा था कि मैं सेना में भर्ती होकर देश सेवा करूंगा. लेकिन उनकी अपंगता के कारण उनका सेना में सेलेक्शन नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि कर्मवीर की तरह कोरोना की जंग में लड़ाई लड़कर आज मेरे कलेजे को संतुष्टि मिल रही है. कोरोना वायरस आपदा से निपटने के लिए परम वीर पीरू सिंह राजकीय माध्यमिक विद्यालय झुंझुनू के बजरंग लाल कुमावत 27 मार्च से वार्ड नंबर 41 में ड्यूटी पर लगे हुए हैं. अपनी कर्मठता के साथ वार्डवासियों के सर्वे में जुटे हुए हैं.

यह भी पढ़ेंः झुंझुनूः फर्ज की राह में शादी की रस्में रह गईं अधूरी...

वे उन परिवारों का सर्वे कर रहे हैं, जिन्हें वर्तमान हालात में सहायता की जरूरत है. उनका कहना है कि मुझे इस कार्य में बहुत संतुष्टि मिलती है. हमारे सभी शिक्षकगण क्लास में पढ़ाई के अलावा ऐसी आपदाओं में हमेशा अग्रणी रहेंगे.

जब बजरंग जाते हैं वार्ड में...

ऐसे में बजरंग लाल वार्ड 41 में जब सर्वे के लिए निकलते हैं तो उनके साथी अन्य लोगों को कहते हैं कि देखिए यह दिव्यांग होने के बावजूद इतना मेहनत कर रहे हैं. कम से कम आप देश को बचाने के लिए घरों में रह सकते हैं. आपकी सेवा के लिए घरों से निकले हैं और सर्वे करने के बाद 81 परिवारों के यहां पर अन्न भिजवाया हैं.

बजरंग सरकार की ओर से जो सहायता मिलती है, उसके आवेदन तैयार करवाकर 21 हजार लोगों तक भिजवाए हैं. ऐसे में अन्य लोगों को तो केवल घरों पर रहकर ही सरकार की सहायता करनी है. गौरव सेनानी शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष और उन्हीं के स्कूल प्राचार्य पूर्व सैनिक राजपाल फोगाट भी बताते हैं कि उन्होंने उनकी ड्यूटी कटवाने की बात भी कही. लेकिन बजरंग लाल ने पूरी तरह से मना कर दिया.

झुंझुनू. नाम है 'बजरंग लाल' पुत्र चेताराम कुमावत, निवासी गांव बॉस नानग. पेशे से शिक्षक उम्र 53 साल और एक पैर से पूरी तरह दिव्यांग. हर सुबह कोरोना के हॉट-स्पॉट बने झुंझुनू जिले के वार्ड 41 में वार्ड प्रभारी के रूप में घर-घर सर्वे करने पहुंच जाते हैं. आप सोच सकते हैं कि उम्र और दिव्यांग होने की वजह से निश्चित ही प्रशासन उनकी ड्यूटी इस कार्य से काट सकता था. लेकिन उन्होंने कहा कि यदि मुझको जिम्मेदारी मिली है तो मैं उसे पूरी ताकत से निभाऊंगा.

दिव्यांग बजरंग के हौसले को सलाम...

बचपन में एक पैर कट जाने के कारण सेना में भर्ती नहीं हो सके. उसके बाद शिक्षक बने बजरंग लाल अब तक जरूरतमंदों को नगर परिषद से 81 राशन किट और 21 हजार नकदी दिलवा चुके हैं. रोजाना वार्ड में घूम-घूमकर बाहर से आने वालों का भी सर्वे कर रहे हैं. निश्चित ही ऐसे कोरोना योद्धाओं को सलाम किया जाना चाहिए और इसी जज्बे के साथ हम कोरोना से चल रहे युद्ध में निश्चित ही जीत पाएंगे.

समाज में भी रहकर लड़ा जा सकता है युद्ध...

बजरंग ने बचपन में अपनी मां से कहा था कि मैं सेना में भर्ती होकर देश सेवा करूंगा. लेकिन उनकी अपंगता के कारण उनका सेना में सेलेक्शन नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि कर्मवीर की तरह कोरोना की जंग में लड़ाई लड़कर आज मेरे कलेजे को संतुष्टि मिल रही है. कोरोना वायरस आपदा से निपटने के लिए परम वीर पीरू सिंह राजकीय माध्यमिक विद्यालय झुंझुनू के बजरंग लाल कुमावत 27 मार्च से वार्ड नंबर 41 में ड्यूटी पर लगे हुए हैं. अपनी कर्मठता के साथ वार्डवासियों के सर्वे में जुटे हुए हैं.

यह भी पढ़ेंः झुंझुनूः फर्ज की राह में शादी की रस्में रह गईं अधूरी...

वे उन परिवारों का सर्वे कर रहे हैं, जिन्हें वर्तमान हालात में सहायता की जरूरत है. उनका कहना है कि मुझे इस कार्य में बहुत संतुष्टि मिलती है. हमारे सभी शिक्षकगण क्लास में पढ़ाई के अलावा ऐसी आपदाओं में हमेशा अग्रणी रहेंगे.

जब बजरंग जाते हैं वार्ड में...

ऐसे में बजरंग लाल वार्ड 41 में जब सर्वे के लिए निकलते हैं तो उनके साथी अन्य लोगों को कहते हैं कि देखिए यह दिव्यांग होने के बावजूद इतना मेहनत कर रहे हैं. कम से कम आप देश को बचाने के लिए घरों में रह सकते हैं. आपकी सेवा के लिए घरों से निकले हैं और सर्वे करने के बाद 81 परिवारों के यहां पर अन्न भिजवाया हैं.

बजरंग सरकार की ओर से जो सहायता मिलती है, उसके आवेदन तैयार करवाकर 21 हजार लोगों तक भिजवाए हैं. ऐसे में अन्य लोगों को तो केवल घरों पर रहकर ही सरकार की सहायता करनी है. गौरव सेनानी शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष और उन्हीं के स्कूल प्राचार्य पूर्व सैनिक राजपाल फोगाट भी बताते हैं कि उन्होंने उनकी ड्यूटी कटवाने की बात भी कही. लेकिन बजरंग लाल ने पूरी तरह से मना कर दिया.

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