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घोड़ी पर बिठाकर निकाली बिटिया की बिंदोरी, दिया 'बेटा-बेटी एक समान' का संदेश - jhunjhunu news

सूरजगढ़ में एक परिवार ने अपनी बिटिया की बिंदोरी घोड़ी पर बिठाकर निकाली. साथ ही जिसमें सभी परिजनों ने नाच-गाकर जश्न मनाये. ऐसा कर परिवार ने रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़कर बेटा-बेटी एक समान का संदेश दिया.

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Published : Nov 20, 2019, 8:01 PM IST

सूरजगढ़ (झुंझुनू). जिले के एक परिवार ने रूढ़िवादी परंपरा को तोड़ते हुए अपनी बिटिया की शादी की रस्मों को वैसे ही निभाया,जैसे बेटों की निभाई जाती है. दुल्हन के ताऊ ने घोड़ी पर बिठाकर बिंदोरी निकाली और 'बेटे-बेटी एक समान हैं' इसका संदेश दिया.

सूरजगढ़ में बिटिया की बिंदोरी घोड़ी पर बिठाकर निकाली

सूरजगढ़ के वार्ड दो में रहने वाले देवीलाल सैनी और उम्मेद सैनी के परिवार ने भी समाज की रूढ़िवादी परंपरा को त्यागते हुए बेटी पूजा की बुधवार को होने वाली शादी से पहले उसके सारे रस्म-रिवाज लडकों की भांति किए. उम्मेद सैनी की पुत्री पूजा की शादी 20 नवंबर को है. साथ ही बेटे राकेश की शादी 22 नवंबर को है. परिवार ने पूजा और राकेश की शादी में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया है.

यह भी पढ़ें. झुंझुनू नगर परिषद में 'आधी आबादी' तय करेगी कौन बनेगा 'सभापति'

मंगलवार रात को पूजा और राकेश के ताऊ देवीलाल ने दोनों की घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकाली. परिजनों ने पूजा और राकेश को घोड़ी पर बैठाकर बैंड बाजे के साथ रस्म निभाया. जिसमें सभी परिजनों ने नाच-गाकर जश्न मनाये. वहीं शादी से पहले परिवार द्वारा निभाई जा रही रस्मों को देखकर पूजा गदगद नजर आ रही हैं. दुल्हन पूजा ने बताया की उनके परिवार में बेटियों को पूरा मान और सम्मान मिलता है. परिवार ने कभी भी उसके और उसके भाइयों के बीच कोई भेदभाव नहीं किया है. उसकी शादी में लड़कों के जैसे ही पुरे रस्म-रिवाज निभाया जा रहा है.

समाज के बदलते परिवेश और शिक्षा के विकास के कारण अब रूढ़िवादी परंपराओं को जनता धीरे-धीरे तिलांजलि देने लगी है. जहां पहले बेटियों को समाज में बोझ समझा जाता था, वहीं अब शिक्षा और जागरुकता की वजह से जनता की सोच में बदलाव देखने को मिल रहा है. आधुनिक दौर में शिक्षा के प्रसार-प्रचार से समाज में आई जागरूकता से बेटियों को भी बेटों के बराबर सम्मान मिलने लगा है. झुंझनू जिले का सूरजगढ़ कस्बा इन बातों के लिए अपनी विशेष पहचान रख रहा है.

यह भी पढ़ें. स्पेशल: सेना के जवानों की 'बिंदोरी', यहां सब शान और सम्मान में जमकर नाचे...

आपको बता दें कि शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहने वाला झुंझुनू जिला लिंगानुपात के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है. मोदी सरकार पार्ट वन के कार्यकाल में तत्कालिक झुंझुनू सांसद संतोष अहलावत ने घटते लिंगानुपात से निपटने और आमजन को बेटियों के प्रति जागरूक करने के लिए 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान' की मुहीम चलाई थी. जिसके बाद जिले में लिंगानुपात बढ़ा. पहले जिले में एक हजार लड़कों पर सात सौ तीस लड़कियां थीं. वहीं इस अभियान के बाद एक हजार लड़कों पर 930 लड़किया हो गई. जिले में अब बेटियों को पूरा मान और सम्मान दिया जा रहा है, जो पुरे देश के सामने अनूठा उदाहरण है.

सूरजगढ़ (झुंझुनू). जिले के एक परिवार ने रूढ़िवादी परंपरा को तोड़ते हुए अपनी बिटिया की शादी की रस्मों को वैसे ही निभाया,जैसे बेटों की निभाई जाती है. दुल्हन के ताऊ ने घोड़ी पर बिठाकर बिंदोरी निकाली और 'बेटे-बेटी एक समान हैं' इसका संदेश दिया.

सूरजगढ़ में बिटिया की बिंदोरी घोड़ी पर बिठाकर निकाली

सूरजगढ़ के वार्ड दो में रहने वाले देवीलाल सैनी और उम्मेद सैनी के परिवार ने भी समाज की रूढ़िवादी परंपरा को त्यागते हुए बेटी पूजा की बुधवार को होने वाली शादी से पहले उसके सारे रस्म-रिवाज लडकों की भांति किए. उम्मेद सैनी की पुत्री पूजा की शादी 20 नवंबर को है. साथ ही बेटे राकेश की शादी 22 नवंबर को है. परिवार ने पूजा और राकेश की शादी में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया है.

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मंगलवार रात को पूजा और राकेश के ताऊ देवीलाल ने दोनों की घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकाली. परिजनों ने पूजा और राकेश को घोड़ी पर बैठाकर बैंड बाजे के साथ रस्म निभाया. जिसमें सभी परिजनों ने नाच-गाकर जश्न मनाये. वहीं शादी से पहले परिवार द्वारा निभाई जा रही रस्मों को देखकर पूजा गदगद नजर आ रही हैं. दुल्हन पूजा ने बताया की उनके परिवार में बेटियों को पूरा मान और सम्मान मिलता है. परिवार ने कभी भी उसके और उसके भाइयों के बीच कोई भेदभाव नहीं किया है. उसकी शादी में लड़कों के जैसे ही पुरे रस्म-रिवाज निभाया जा रहा है.

समाज के बदलते परिवेश और शिक्षा के विकास के कारण अब रूढ़िवादी परंपराओं को जनता धीरे-धीरे तिलांजलि देने लगी है. जहां पहले बेटियों को समाज में बोझ समझा जाता था, वहीं अब शिक्षा और जागरुकता की वजह से जनता की सोच में बदलाव देखने को मिल रहा है. आधुनिक दौर में शिक्षा के प्रसार-प्रचार से समाज में आई जागरूकता से बेटियों को भी बेटों के बराबर सम्मान मिलने लगा है. झुंझनू जिले का सूरजगढ़ कस्बा इन बातों के लिए अपनी विशेष पहचान रख रहा है.

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आपको बता दें कि शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहने वाला झुंझुनू जिला लिंगानुपात के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है. मोदी सरकार पार्ट वन के कार्यकाल में तत्कालिक झुंझुनू सांसद संतोष अहलावत ने घटते लिंगानुपात से निपटने और आमजन को बेटियों के प्रति जागरूक करने के लिए 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान' की मुहीम चलाई थी. जिसके बाद जिले में लिंगानुपात बढ़ा. पहले जिले में एक हजार लड़कों पर सात सौ तीस लड़कियां थीं. वहीं इस अभियान के बाद एक हजार लड़कों पर 930 लड़किया हो गई. जिले में अब बेटियों को पूरा मान और सम्मान दिया जा रहा है, जो पुरे देश के सामने अनूठा उदाहरण है.

Intro:सूरजगढ़ (झुंझुनू )
लाल की भांति लाडो का किया लाढ़ चाव
शादी से पूर्व बेटे व बेटी की एक साथ निकाली बिंदोरी
डीजे बाजे के साथ निकली बिंदोरी में जमकर लगे ठुमके
बेटी की शादी में बिना भेदभाव के हो रहे सभी लाढ़ चाव
देवीलाल व उम्मेद सैनी ने दिया समाज को उत्कृष्ट संदेश Body:एंकर :- समाज के बदलते परिवेश और शिक्षा के विकास के कारण अब रूढ़िवादी परम्पराओ को जनता धीरे धीरे तिलांजलि देने लगी है जहां पहले बेटियों को समाज में बोझ समझा जाता था वही अब शिक्षा व जाग्रति से जनता की सोच में बदलाव देखने को मिल रहा है। आधुनिक दौर में शिक्षा के प्रसार व प्रचार से समाज में आई जागरूकता से बेटियों को भी बेटो के बराबर सम्मान मिलने लगा है। चाहे शिक्षा की बात हो चाहे सम्मान की अब लोग बेटियों को बेटों के बराबर सम्मान व हक़ देने लगे है। झन्झुनु जिले का सूरजगढ़ क़स्बा इन बातो के लिए अपनी विशेष पहचान रख रहा है।

वीओ :-आपको बता दे कि सूरजगढ़ के वार्ड दो में रहने वाले देवीलाल सैनी,उम्मेद सैनी के परिवार ने भी समाज की रूढ़िवादी परंपरा को त्यागते हुए बेटी पूजा की आज बुधवार को होने वाली शादी से पूर्व उसके सारे लाड चाव लडको की भांति किये। आपको बता दे की उम्मेद सैनी की पुत्री पूजा की शादी 20 नवंबर को तो बेटे राकेश की शादी 22 नवंबर को है। परिवार ने पूजा व राकेश की शादी में किसी प्रकार का भेदभाव नजर नहीं आ रहा है। मंगलवार रात्री को पूजा व राकेश के ताऊ देवीलाल ने दोनों की घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकाली। परिजनों ने पूजा व राकेश को घोड़ी पर बैठाकर बैंड बाजे के साथ उसकी बिंदोरी निकाली जिसमे सभी परिजनों ने नाच गाकर जश्न मनाये । शादी से पूर्व परिवार द्वारा निभाई जा रही रस्मो को देखकर गदगद नजर आ रही दुल्हन पूजा ने बताया की उनके परिवार में बेटियों को पूरा मान व सम्मान मिलता है। परिवार ने कभी भी उसके व उसके भाइयो के बिच कोई भेदभाव नहीं किया। उसकी शादी में लड़के के जैसे ही पुरे लाढ़ व चाव किये जा रहे है।

वीओ :- आपको बता दे की शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहने वाला झुंझुनू जिला लिंगानुपात के मामले में काफी पिछड़ा हुआ जिला माना जाता था। मोदी सरकार पार्ट वन के कार्यकाल में तत्कालिक झुंझुनू सांसद सांसद संतोष अहलावत ने घटते लिंगानुपात से निपटने व आमजन को बेटियों के प्रति जागरूक करने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की मुहीम चलाई थी जिसकी अपार सफलता के बाद से ही पहले जहां जिले में एक हजार लड़को पर सात सौ तीस लड़कियां थी वही इस अभियान के बाद एक हजार लड़को पर 930 लड़किया हो गई। जिले में अब बेटियों को पूरा मान व सम्मान दिया जा रहा है। जो पुरे देश के सामने अनूठा उदाहरण है।

बाईट :- पूजा सैनी,दुल्हन ,सूरजगढ़
बाईट :- देवीलाल सैनी ,दुल्हन के ताऊजी निवासी सूरजगढ़। Conclusion:
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