झुंझुनू. भारतीय जनता पार्टी की झुंझुनू इकाई में हालात ठीक नहीं चल रहे हैं. करीब 10 माह पहले नियुक्त जिलाध्यक्ष को दो चुनाव में करारी हार के बाद जवाब देना भारी पड़ रहा है. उन पर पूर्व सांसद संतोष अहलावत के खुलकर हमले के बाद उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी का नेतृत्व सामूहिक होता है. जीतने पर सबकी जिम्मेदारी है, तो हार पर भी सबकी जिम्मेदारी है. हमारी पार्टी व्यक्तिगत नेतृत्व की बात ही नहीं करती है और निकाय चुनाव तो राज्य सरकार के षड्यंत्र पूर्वक वार्डों का सीमांकन करने से हुआ है.
यहां पर पवन मावण्डिया जनवरी के अंतिम सप्ताह में जिलाध्यक्ष नियुक्त किए गए थे. उसके बाद पहले मंडावा विधानसभा के उपचुनाव में और बाद में हाल ही में निकाय चुनाव में पार्टी को मुंह की खानी पड़ी. मंडावा विधानसभा पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा था. लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस ने 33000 से ज्यादा मतों से भाजपा को करारी शिकस्त देकर यह सीट छीन ली.
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वहीं पार्टी अभी इस हार को भुला भी नहीं पाई थी कि नगर निकाय चुनाव में भाजपा को झुंझुनू नगर परिषद पर 60 में से केवल 10, बिसाऊ नगर पालिका में 25 में से 5 और पिलानी में केवल 3 सीटों पर ही जीत मिली. ऐसे में पार्षद कुलदीप पूनिया ने सबसे पहले जिलाध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोला. इस बीच पार्टी निर्दलीयों के साथ जोड़ तोड़ कर भी तीनों जगह जब बोर्ड नहीं बना पाई, तो भाजपा के सदस्यों ने झुंझुनू नगर परिषद में क्रॉस वोटिंग कर डाली. जिसके बाद पूर्व सांसद संतोष अहलावत खुलकर सामने आ गईं. उन्होंने कहा कि जिलाध्यक्ष का नेतृत्व कमजोर है, वहीं जिलाध्यक्ष इस पर सामूहिक जिम्मेदारी की बात कर रहे हैं.