झुंझुनू. जिले में भूमिगत जल नीचा चले जाने और नहरी पानी की आपूर्ति सुचारू नहीं होने के कारण पेयजल के लिए गांव में हर साल परेशानी होती है. जिले के बुहाना और सूरजगढ़ ब्लॉक में भूजल नीचा जाने के कारण विभाग के परंपरागत जलस्रोत रहे नलकूपों की बार-बार मोटर जलने की शिकायतें आ रही हैं. जलदाय विभाग ने बजट का बहाना बनाकर समस्या से मुंह मोड़ लिया है.
जलदाय विभाग का कहना है कि ऐसे परंपरागत जलस्रोतों की मरम्मत ग्राम पंचायतों की ओर से की जाती रही है, इसलिए आगे भी यह खर्चा पंचायतें ही वहन करेंगी. वहीं, ग्राम पंचायतों की ओर से जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनिवास जाट का कहना है कि जब टीएसएस कुओं का बिजली बिल जलदाय विभाग भरता है तो समस्त रख रखाव भी जलदाय विभाग ही करें. राज्य सरकार ने केवल जनता जल योजनाओं के संधारण का दायित्व ग्राम पंचायतों को दिया है, जिसका निर्वहन पंचायती राज संस्थाओं की ओर से भलीभांति किया जा रहा है.
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रामनिवास जाट का कहना है कि इसके बाद भी जलदाय विभाग के पास समय विशेष के लिए बजट नहीं होने की स्थिति में जलदाय विभाग के तकमीने के आधार पर तात्कालिक उपाय के तौर पर कोई पंचायत साल में एक-दो बार किसी जलस्रोत को ठीक करवा सकती है. जलदाय विभाग की ओर से इस कार्य के लिए पूरी तरह से ग्राम पंचायतों पर जिम्मेदारी डालना विभागीय जिम्मेदारी से बचने जैसा कार्य है.
जलदाय विभाग के बड़े-बड़े दावे
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में जलदाय विभाग की ओर से 4500 हैंडपंप, प्रतिवर्ष 50 से अधिक नए नलकूप की दर से अबतक 3 हजार से अधिक नलकूप खुदवाने, परंपरागत जलस्रोतों के रूप में चिन्हित करीब एक हजार खुले कुओं से जलदोहन करने और कुम्भाराम लिफ्ट नहर से झुंझुनू, अलसीसर, खेतड़ी ब्लॉक में हर घर को पानी उपलब्ध करवाने का दावा किया जा रहा है. इसके बावजूद जलसंकट के निवारण की जिम्मेदारी पंचायतों के पास है, जबकि उनके पास इतना बजट ही नहीं होता है.