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पशुपालन विशेषज्ञों की सलाह: कोरोना काल में पशुओं की करे बेहतर सार- संभाल

झुंझुनू के गांवों में भी अब कोरोना की दूसरी लगर फैलने लगी है. ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्यक्ष डॉ. दयानंद ने पशुओं की संतुलित खिलायी- पिलायी में हरे चारे का विशेष महत्व बताया.

Animal Husbandry Experts Advice, पशुपालन विशेषज्ञों की सलाह
पशुपालन विशेषज्ञों की सलाह
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Published : May 26, 2021, 7:38 AM IST

झुंझुनू. कोविड-19 की दूसरी लहर शहरों के साथ-साथ गांवों में भी फैल रही है. इस संकट की घड़ी में किसान पशुओं की बेहतर सार-संभाल कर कम खर्च में अधिक लाभ प्राप्त कर सकते है. हांलाकि अभी तक पशुओं में कोरोना वायरस फैलने की पुष्टी नहीं हुई है, फिर भी सावधानी रखना बहुत जरूरी है. इसी के साथ कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्यक्ष डॉ. दयानंद ने पशुओं की संतुलित खिलायी- पिलायी में हरे चारे का विशेष महत्व बताया.

पशुपालन विशेषज्ञ डॉ. आरएस राठौड़ ने बताया कि इस समय गर्मी का मौसम चल रहा है. पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए दिन में पशुशाला में बांधे. संकर गायों का खास तोर से ध्यान रखे. लू या अधिक गर्मी में पशुओं को 200 ग्राम नमक और 40 ग्राम चीनी पानी में मिलाकर पिलाने से गर्मी का असर कम होता है.

पढ़ें- खुद को मंत्री का खास बताकर सरकारी नौकरी लगवाने के नाम पर 50 लाख रुपए की ठगी

पशुपालक विपरित परिस्थिति में कोरोना प्रोटोकाल का रखे खास ख्याल

डॉ. राठौड ने बताया कि जो पशुपालक दूध का व्यवसाय कर रहे है, वो इस विपरित परिस्थिति में विशेष ध्यान रखे. दूध की आपूर्ति करते समय मास्क और दस्ताने रखे. दूध के बरतनों को सोडा और गर्म पानी से साफ करे. दूध सप्लाई के बाद घर आते ही सबसे पहले स्नान करे और कपड़े धोए, उसके बाद ही घर में प्रवेश करे. साथ ही पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए टीकाकरण करवाएं.

इस समय बड़े पशुओं में गलघोंटू और जहरवाद (लगडिया बुखार) के टीके नजदीक के पशु अस्पताल में लगवाए. इसी प्रकार भेड-बकरियों में फडकिया रोग के टीके लगवाए, जो वायरस से फैलने वाली खतरनाक बीमारी है. पशुओं के आतंरिक परजीवियों को नष्ट करने के लिए परजीवी नाशक दवा पिलानी चाहिए. आतंरिक परजीवी नाशक दवा पशुओं को खाली पेट हर तीन महीने के अंतराल पर देनी चाहिए और हर बार दवा बदल कर देनी चाहिए.

दुधारू पशुओं के लिए खनिज लवण मिश्रण की बताई उपयोगिता

दुधारू पशुओं को स्वस्थ रखने और अधिक दूध उत्पादन के लिए खनिज लवण मिश्रण देना चाहिए. खनिज लवण मिश्रण पाऊडर और द्रव (तरल) दोनो ही फॉर्म में आता है. खनिज लवण मिश्रण 50 ग्राम /मि.लि. प्रति पशु/प्रतिदिन देना चाहिए. दुधारू गाय/भैस का दूध प्रतिदिन 10 लीटर से अधिक होने पर उसी अनुपात में 5 ग्राम /मि.लि. प्रति लीटर दूध पर बढ़ा देना चाहिए. बछड़ी-पाड़ी को दूध पहले पिलाए और दूध निकालने के बाद थनों को लाल दवा के घोल से धोना चाहिए, ताकि पशुओं में थनैला बीमारी को रोका जा सकें.

पढ़ें- SPECIAL : जंगल में मंगल की सुखद तस्वीरें...इंसानी दखल रुकने से आजादी ENJOY कर रहे जानवर

मादा पशुओं को गर्मी में आने पर 12 घंटे बाद उन्नत नस्ल के सांड से कृत्रिम गर्भाधान करवाए. संकर गायों को गर्मी में आने के 24 घंटे बाद ग्याभिन करवाए. गर्भाधान सुबह या शाम के ठंडे मौसम में ही करवाना चाहिए. दुधारू गाय को 400 ग्राम और भैस को 500 ग्राम संतुलित दाना जिसमें अनाज, दलहन चूरी, खल,बिनौला, नमक या खनिज लवण उचित अनुपात में मिले हो, प्रति लीटर दूध उत्पान के हिसाब से देना चाहिए.

झुंझुनू. कोविड-19 की दूसरी लहर शहरों के साथ-साथ गांवों में भी फैल रही है. इस संकट की घड़ी में किसान पशुओं की बेहतर सार-संभाल कर कम खर्च में अधिक लाभ प्राप्त कर सकते है. हांलाकि अभी तक पशुओं में कोरोना वायरस फैलने की पुष्टी नहीं हुई है, फिर भी सावधानी रखना बहुत जरूरी है. इसी के साथ कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्यक्ष डॉ. दयानंद ने पशुओं की संतुलित खिलायी- पिलायी में हरे चारे का विशेष महत्व बताया.

पशुपालन विशेषज्ञ डॉ. आरएस राठौड़ ने बताया कि इस समय गर्मी का मौसम चल रहा है. पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए दिन में पशुशाला में बांधे. संकर गायों का खास तोर से ध्यान रखे. लू या अधिक गर्मी में पशुओं को 200 ग्राम नमक और 40 ग्राम चीनी पानी में मिलाकर पिलाने से गर्मी का असर कम होता है.

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पशुपालक विपरित परिस्थिति में कोरोना प्रोटोकाल का रखे खास ख्याल

डॉ. राठौड ने बताया कि जो पशुपालक दूध का व्यवसाय कर रहे है, वो इस विपरित परिस्थिति में विशेष ध्यान रखे. दूध की आपूर्ति करते समय मास्क और दस्ताने रखे. दूध के बरतनों को सोडा और गर्म पानी से साफ करे. दूध सप्लाई के बाद घर आते ही सबसे पहले स्नान करे और कपड़े धोए, उसके बाद ही घर में प्रवेश करे. साथ ही पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए टीकाकरण करवाएं.

इस समय बड़े पशुओं में गलघोंटू और जहरवाद (लगडिया बुखार) के टीके नजदीक के पशु अस्पताल में लगवाए. इसी प्रकार भेड-बकरियों में फडकिया रोग के टीके लगवाए, जो वायरस से फैलने वाली खतरनाक बीमारी है. पशुओं के आतंरिक परजीवियों को नष्ट करने के लिए परजीवी नाशक दवा पिलानी चाहिए. आतंरिक परजीवी नाशक दवा पशुओं को खाली पेट हर तीन महीने के अंतराल पर देनी चाहिए और हर बार दवा बदल कर देनी चाहिए.

दुधारू पशुओं के लिए खनिज लवण मिश्रण की बताई उपयोगिता

दुधारू पशुओं को स्वस्थ रखने और अधिक दूध उत्पादन के लिए खनिज लवण मिश्रण देना चाहिए. खनिज लवण मिश्रण पाऊडर और द्रव (तरल) दोनो ही फॉर्म में आता है. खनिज लवण मिश्रण 50 ग्राम /मि.लि. प्रति पशु/प्रतिदिन देना चाहिए. दुधारू गाय/भैस का दूध प्रतिदिन 10 लीटर से अधिक होने पर उसी अनुपात में 5 ग्राम /मि.लि. प्रति लीटर दूध पर बढ़ा देना चाहिए. बछड़ी-पाड़ी को दूध पहले पिलाए और दूध निकालने के बाद थनों को लाल दवा के घोल से धोना चाहिए, ताकि पशुओं में थनैला बीमारी को रोका जा सकें.

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मादा पशुओं को गर्मी में आने पर 12 घंटे बाद उन्नत नस्ल के सांड से कृत्रिम गर्भाधान करवाए. संकर गायों को गर्मी में आने के 24 घंटे बाद ग्याभिन करवाए. गर्भाधान सुबह या शाम के ठंडे मौसम में ही करवाना चाहिए. दुधारू गाय को 400 ग्राम और भैस को 500 ग्राम संतुलित दाना जिसमें अनाज, दलहन चूरी, खल,बिनौला, नमक या खनिज लवण उचित अनुपात में मिले हो, प्रति लीटर दूध उत्पान के हिसाब से देना चाहिए.

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