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विश्व पर्यटन दिवस: गढ़ संग्रहालय में है हाड़ौती क्षेत्र की नायाब चीजें जो पूरे विश्व में हैं अद्वितीय

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Published : Sep 27, 2019, 3:26 PM IST

आज विश्व पर्यटन दिवस पूरा विश्व मना रहा है. ऐसे में आइये आपको लिए चलते है झालावाड़ के गढ़ संग्रहालय में जहां पर हाड़ौती क्षेत्र की उन नायाब चीजों का संग्रहण किया गया है जो पूरे विश्व में अद्वितीय है.

झालावाड़ न्यूज, jhalawar news

झालावाड़. विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं झालावाड़ के गढ़ संग्रहालय के बारे में जिसमें हाड़ौती क्षेत्र की ऐसी नायाब चीजें संग्रहित हैं. जो पूरे विश्व में अद्वितीय हैं. संग्रहालय में मूर्तियां, अस्त्र शस्त्र, हथियार, हस्त निर्मित सामग्रियों को वैज्ञानिक ढंग से सुसज्जित करते हुए प्रदर्शित किया गया है. जिससे देश और विदेशी पर्यटक हाड़ौती की संस्कृति से प्रत्यक्ष रूप से परिचित हो सके.

गढ़ संग्रहालय में है हाडौती क्षेत्र की नायाब चीज़ें जो पूरे विश्व में है अद्वितीय

संग्रहालय में सबसे पहले प्रतिमा कक्ष बनाया गया है, जिसमें बौद्ध गैलरी और जैन गैलरी बनाई गई है. जिसमें बौद्ध धर्म से सम्बंधित स्थानों के बारे में बताया गया है. साथ ही जैन धर्म से सम्बंधित जानकारी भी दी गई है. देवालय गैलरी में अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियां भी रखी गई है. जिनमें सबसे खास 8वीं शताब्दी की अर्धनारीश्वर की मूर्ति, ब्रह्मा जी की मूर्ति है जो कि 10वीं शताब्दी की है. साथ ही यहां महिषा सुरमर्दिनि, हरिहर और शीतला माता की भी मूर्ती मौजूद है.

पढ़े: विश्व पर्यटन दिवस: गुलाबी नगरी में तिलक लगाकर सैलानियों का स्वागत, प्रवेश रहा नि:शुल्क

संग्रहालय में मंदिर स्थापत्य कला का बड़े ही रोचक तरीके से प्रस्तुतीकरण किया गया है. संग्रहालय में अस्त्र-शस्त्र दीर्घा भी बनाई गई है. जिसमें लकड़ी के हथियार, लोहे के हथियार, तलवार, छुर्री, बंदूक और सैनिकों की पोशाके दर्शाई गई है. संग्रहालय में राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब और रशियन राजाओं के पोर्ट्रेट भी दर्शाए गए हैं.

संग्रहालय में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र 1869 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक द्वारा बनाई गई साइकिल है. जिसे तत्कालीन राजा झाला जालिम सिंह द्वितीय द्वारा लाया गया था. वहीं यहां पर चित्रशाला भी बनाई गई है जिसमें नाथद्वारा शैली में भित्ति चित्र बनाए गए हैं. जिनमें कृष्ण लीलाओं, रामायण से संबंधित अनेक दृश्य जैसे सीता हरण और वानर सेना द्वारा रामसेतु का निर्माण दर्शाया गया है.

पढ़े: विश्व पर्यटन दिवस 2019: इस बार 'टूरिज्म एंड जॉब, अ बेटर फ्यूचर फॉर ऑल' की थीम पर मनाया जा रहा

राजा महाराजा के जमाने में विदेशी मेहमानों के लिए बनाए गए शीशमहल को भी संग्रहालय में दर्शाया गया है. जो कि पर्यटकों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र है. गौरतलब है कि झालावाड़ के गढ़ संग्रहालय का पांच करोड़ की लागत से जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण करवाया गया था. जिसे हाल ही में आम जनता के लिए खोल दिया गया है.

झालावाड़. विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं झालावाड़ के गढ़ संग्रहालय के बारे में जिसमें हाड़ौती क्षेत्र की ऐसी नायाब चीजें संग्रहित हैं. जो पूरे विश्व में अद्वितीय हैं. संग्रहालय में मूर्तियां, अस्त्र शस्त्र, हथियार, हस्त निर्मित सामग्रियों को वैज्ञानिक ढंग से सुसज्जित करते हुए प्रदर्शित किया गया है. जिससे देश और विदेशी पर्यटक हाड़ौती की संस्कृति से प्रत्यक्ष रूप से परिचित हो सके.

गढ़ संग्रहालय में है हाडौती क्षेत्र की नायाब चीज़ें जो पूरे विश्व में है अद्वितीय

संग्रहालय में सबसे पहले प्रतिमा कक्ष बनाया गया है, जिसमें बौद्ध गैलरी और जैन गैलरी बनाई गई है. जिसमें बौद्ध धर्म से सम्बंधित स्थानों के बारे में बताया गया है. साथ ही जैन धर्म से सम्बंधित जानकारी भी दी गई है. देवालय गैलरी में अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियां भी रखी गई है. जिनमें सबसे खास 8वीं शताब्दी की अर्धनारीश्वर की मूर्ति, ब्रह्मा जी की मूर्ति है जो कि 10वीं शताब्दी की है. साथ ही यहां महिषा सुरमर्दिनि, हरिहर और शीतला माता की भी मूर्ती मौजूद है.

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संग्रहालय में मंदिर स्थापत्य कला का बड़े ही रोचक तरीके से प्रस्तुतीकरण किया गया है. संग्रहालय में अस्त्र-शस्त्र दीर्घा भी बनाई गई है. जिसमें लकड़ी के हथियार, लोहे के हथियार, तलवार, छुर्री, बंदूक और सैनिकों की पोशाके दर्शाई गई है. संग्रहालय में राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब और रशियन राजाओं के पोर्ट्रेट भी दर्शाए गए हैं.

संग्रहालय में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र 1869 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक द्वारा बनाई गई साइकिल है. जिसे तत्कालीन राजा झाला जालिम सिंह द्वितीय द्वारा लाया गया था. वहीं यहां पर चित्रशाला भी बनाई गई है जिसमें नाथद्वारा शैली में भित्ति चित्र बनाए गए हैं. जिनमें कृष्ण लीलाओं, रामायण से संबंधित अनेक दृश्य जैसे सीता हरण और वानर सेना द्वारा रामसेतु का निर्माण दर्शाया गया है.

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राजा महाराजा के जमाने में विदेशी मेहमानों के लिए बनाए गए शीशमहल को भी संग्रहालय में दर्शाया गया है. जो कि पर्यटकों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र है. गौरतलब है कि झालावाड़ के गढ़ संग्रहालय का पांच करोड़ की लागत से जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण करवाया गया था. जिसे हाल ही में आम जनता के लिए खोल दिया गया है.

Intro:विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर हम आपको झालावाड़ के गढ़ संग्रहालय के बारे में बता रहे हैं जहां पर हाडोती क्षेत्र की उन नायाब चीजों का संग्रहण किया गया है जो पूरे विश्व में अद्वितीय है.


Body:विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं झालावाड़ के गढ़ संग्रहालय के बारे में जिसमें हाडौती क्षेत्र की ऐसी नायाब चीजें संग्रहित है जो पूरे विश्व में अद्वितीय हैं। संग्रहालय में मूर्तियां, अस्त्र शस्त्र, हथियार, हस्त निर्मित सामग्रियों को वैज्ञानिक ढंग से सुसज्जित करते हुए प्रदर्शित किया गया है. ताकि देश व विदेशी पर्यटक हाडौती की संस्कृति से प्रत्यक्ष रूप से परिचित हो सके. संग्रहालय में सबसे पहले प्रतिमा कक्ष बनाया गया है जिसमें बौद्ध गैलरी व जैन गैलरी बनाई गई है जिसमें बोद्ध धर्म से सम्बंधित स्थानों के बारे में बताया गया है साथ ही जैन धर्म से सम्बंधित जानकारी भी दी गयी है। देवालय गैलरी में अनेक देवी देवताओं की मूर्तियां रखी गयी है जिनमें सबसे खास 8 वीं शताब्दी की अर्धनारीश्वर की मूर्ति, ब्रह्मा जी की मूर्ति है जो कि 10 वीं शताब्दी की है। साथ ही यहाँ महिषासुरमर्दिनि, हरिहर व शीतला माता की भी मूर्ती है.

संग्रहालय में मंदिर स्थापत्य कला का बड़े ही रोचक तरीके से प्रस्तुतीकरण किया गया है.

संग्रहालय में अस्त्र-शस्त्र दीर्घा भी बनाई गई है जिसमें लकड़ी के हथियार, लोहे के हथियार, तलवार, छुर्री, बंदूक व सैनिकों की पोशाके दर्शाई गई है. संग्रहालय में राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब, व रशियन राजाओं के पोर्ट्रेट भी दर्शाए गए हैं.

यहाँ पर सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र 1869 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक द्वारा बनाई गई सायकिल है जिसे तत्कालीन राजा झाला जालिम सिंह द्वितीय द्वारा लाया गया था.
वहीं यहां पर चित्रशाला भी बनाई गई है जिसमें नाथद्वारा शैली में भित्ति चित्र बनाए गए हैं जिनमें कृष्ण लीलाओं, रामायण से संबंधित अनेक दृश्य जैसे सीता हरण व वानर सेना द्वारा रामसेतु का निर्माण दर्शाया गया है.

राजा महाराजा के जमाने में विदेशी मेहमानों के लिए बनाए गए शीशमहल को भी संग्रहालय में दर्शाया गया है। जो कि पर्यटकों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र है.


Conclusion:गौरतलब है कि झालावाड़ के गढ़ संग्रहालय का 5 करोड़ की लागत से जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण करवाया गया था जिसे हाल ही में आम जनता के लिए खोल दिया गया है.

बाइट 1 - स्कूली छात्र
बाइट 2 - स्कूली छात्र
बाइट 3 - महेंद्र शर्मा (संग्रहालय अध्यक्ष)
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