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रैन बसेरे की मांग: 'हमारी भी सुन लो सरकार, कार्यालय आते हैं तो कई बार सड़क पर रात गुजारनी पड़ती है'

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Published : Jan 8, 2020, 1:33 PM IST

मनोहरथाना कस्बे में क्षेत्रवासी रैन बसेरे की मांग कर हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी कार्यालय दूर होने से कई बार नगर में रूकना होता है. वहां रैन बसेरा नहीं होने से उन्हें सड़क पर रात गुजारनी होती है.

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मनोहरथाना में रैन बसेरे की मांग...

मनोहरथाना (झालावाड़). मनोहरथाना कस्बे में लंबे समय से क्षेत्रवासी रैन बसेरे की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अफसर इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. जिसकी वजह से गांवों से शहर आने-जाने वाले यात्री सड़क किनारे या दुकानों के टीन शेड में रात गुजारने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

मनोहरथाना में रैन बसेरे की मांग...

बता दें कि तहसील की आबादी डेढ़ लाख से अधिक है. यहां पर गांवों तक यातायात के साधन उपलब्ध ना होता है. जिसकी वजह से सरकारी कार्यालय तक जाने वाले ग्रामीणों को रात होने पर रात्रि विश्राम के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है. बारिश के समय यह परेशानी और बढ़ जाती है. वहीं यातायात के साधन और रात्रि विश्राम की स्थायी व्यवस्था ना होने से सर्वाधिक परेशानी का सामना महिलाओं को करना पड़ता है. दुकान के बाहर लगे टीन शेड के नीचे या खुले आसमान तले बैठ कर रात गुजारना पड़ती है.

यह भी पढ़ें. गांवां री सरकार: मनोहरथाना में पंच-सरपंच के लिए बुधवार सुबह साढ़े दस बजे से नामांकन प्रक्रिया

इस दौरान चोर उच्चकों द्वारा छेड़छाड़ का भी भय बना रहता है. जिसके चलते अनहोनी की आंशका बनी रहती है. क्षेत्रवासियों ने मांग की है कि जल्द ही रैन बसेरा बनना चाहिए. जिससे ग्रामीण अंचलों से आने-जानेवाले लोग रात्रि विश्राम कर सकें. वहीं ठंड लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन प्रशासन रैनबसेरा बनाने की ओर ध्यान ही नहीं दे रहा है. जिससे मुसाफिर ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं.

मनोहरथाना (झालावाड़). मनोहरथाना कस्बे में लंबे समय से क्षेत्रवासी रैन बसेरे की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अफसर इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. जिसकी वजह से गांवों से शहर आने-जाने वाले यात्री सड़क किनारे या दुकानों के टीन शेड में रात गुजारने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

मनोहरथाना में रैन बसेरे की मांग...

बता दें कि तहसील की आबादी डेढ़ लाख से अधिक है. यहां पर गांवों तक यातायात के साधन उपलब्ध ना होता है. जिसकी वजह से सरकारी कार्यालय तक जाने वाले ग्रामीणों को रात होने पर रात्रि विश्राम के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है. बारिश के समय यह परेशानी और बढ़ जाती है. वहीं यातायात के साधन और रात्रि विश्राम की स्थायी व्यवस्था ना होने से सर्वाधिक परेशानी का सामना महिलाओं को करना पड़ता है. दुकान के बाहर लगे टीन शेड के नीचे या खुले आसमान तले बैठ कर रात गुजारना पड़ती है.

यह भी पढ़ें. गांवां री सरकार: मनोहरथाना में पंच-सरपंच के लिए बुधवार सुबह साढ़े दस बजे से नामांकन प्रक्रिया

इस दौरान चोर उच्चकों द्वारा छेड़छाड़ का भी भय बना रहता है. जिसके चलते अनहोनी की आंशका बनी रहती है. क्षेत्रवासियों ने मांग की है कि जल्द ही रैन बसेरा बनना चाहिए. जिससे ग्रामीण अंचलों से आने-जानेवाले लोग रात्रि विश्राम कर सकें. वहीं ठंड लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन प्रशासन रैनबसेरा बनाने की ओर ध्यान ही नहीं दे रहा है. जिससे मुसाफिर ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं.

Intro:फुटपाथ, सड़क किनारे, दुकानों के सामने
टीन शेड में रात गुजारने के लिए मजबूर हो रहे हैं

मनोहर थाना में तमाम सरकारी अर्ध सरकारी कार्यालय हैं परंतु यहां पर बीते कई दिनों से रेन बसेरे की सुविधा उपलब्ध नहीं। जबकि यहां पर उपखंड कार्यालय कोर्ट पंचायत समिति आदि होने के उपरांत भी यहां पर रैन बसेरे की सुविधा उपलब्ध नहीं।


बाइट रामलाल साहू व्यापारीBody:फुटपाथ, सड़क किनारे, दुकानों के सामने
टीन शेड में रात गुजारने के लिए मजबूर हो रहे हैं।


मनोहरथाना ///झालावाड़ जिले के मनोहरथाना कस्बे में

लंबे समय से नगर में रैन बसेरा की मांग लोगों द्वारा की जा रही है, लेकिन जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अफसर इस आेर ध्यान नहीं दे रहे हैं। परिणाम स्वरूप गांवों से शहर आने जाने वाले यात्री सड़क किनारे या दुकानों के टीन शेड में रात गुजारने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

बारिश के समय यह परेशानी और बढ़ जाती है जब पानी गिरने पर रुकने का कहीं ठिकाना नहीं रहता है। तहसील की आबादी डेढ़ लाख से अधिक है। यहां पर गांवों तक यातायात के साधन उपलब्ध ना होने राजकीय व निजी कार्य से तहसील, उपखंड कार्यालय, पंचायत समिति, पीडब्ल्यूडी सहित सभी मुख्यालय तक आने व रात्रि में वापिस गांव ना जाने वाले ग्रामीणों को रात्रि विश्राम के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। यातायात के साधन व रात्रि विश्राम की स्थाई व्यवस्था ना होने से सर्वाधिक परेशानी का सामना महिलाओं को करना पड़ता है।

दुकान के बाहर लगे टीन शेड के नीचे या खुले आसमान तले बैठ कर रात गुजारना पड़ती है। इस दौरान चोर उच्चकों के से छेड़छाड़ का भी भय बना रहता है। जिसके चलते अनहोनी की आंशका बनी रहती है। रैन बसेरा की मांग काे लेकर नगर के----सभी क्षेत्रवासी आदि ने बताया कि जल्द ही रैन बसेरा बनना चाहिए ताकि ग्रामीण अंचलों से आने जाने वालोे लोग रात्रि विश्राम कर सकें।

बाइट------ राम लाल साहूConclusion:ठंड लगातार बढ़ती जा रही है, पारा लुढ़क रहा है लेकिन प्रशासन खामोशी की चादर ओढ़े बैठा है। मुसाफिर ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं ।

दुकान के बाहर लगे टीन शेड के नीचे या खुले आसमान तले बैठ कर रात गुजारना पड़ती है
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