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संकट पर संकट: किराए की जमीन लेकर खेती करने वाले किसानों पर टूटा मुसीबतों का पहाड़ - कर्ज के चलते नहीं लौट पा रहे गांव

कोरोना बीमारी के चलते सरकार की ओर से लॉकडाउन किया गया था, जिसे पूरा हुए एक महीना से भी अधिक हो गया है. ऐसे में किसानों की समस्याएं कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. जहां एक ओर सरकार का दावा है कि अन्य क्षेत्रों के मुकाबले किसानों के लिए लॉकडाउन में ज्यादा अच्छी व्यवस्थाएं की जा रही है. वहीं, धरातल पर किसानों के हालात कुछ और ही बयां कर रहे है.

Jhalawar news, झालावाड़ की खबर
किसानों पर टूटा मुसीबतों का पहाड़
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Published : Apr 27, 2020, 3:58 PM IST

झालावाड़. लॉकडाउन को हुए एक महीने से भी ज्यादा का समय बीत चुका है. इसके चलते किसानों की समस्याएं खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है. ऐसे में उन किसानों की हालत तो और खराब है जो लीज या किराए पर खेत लेकर खेती करते है, जिसके लिए उन्हें किराया भी चुकाना भी पड़ता है. ऐसे में किसान वर्ग खासा प्रभावित हुआ है. वहीं, बात करें झालावाड़ की तो झालावाड़ जिले के बाघेर क्षेत्र में बड़ी तादाद में सब्जियों की खेती की जाती है.

किसानों पर टूटा मुसीबतों का पहाड़

झालावाड़ जिले के बाघेर क्षेत्र की सबसे खास बात ये है कि यहां पर किसान जमीन को लीज या किराए पर लेकर खेती करते हैं, जिसके तहत किसानों को 1 बीघा जमीन पर 6 महीने के लिए करीबन 10 से 15 हजार रुपए किराया चुकाना पड़ता है. यहां के किसानों के लिए यह सौदा हमेशा फायदे का रहा है और हर सीजन में यहां का किसान 1 बीघा जमीन से करीबन 2 से 3 लाख रुपए का मुनाफा भी कमाता है. लेकिन इस बार यहां के किसानों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. वहीं, खेतों में तो सब्जियों का जबरदस्त उत्पादन हो रहा है. इसके चलते सब्जियों को रोज तोड़ा भी जा रहा है, लेकिन खरीदने के लिए कोई खरीददार ही नहीं है.

पढ़ें- घर जाने की उम्मीद में करीब 24 घंटे से भूखे प्यासे झालावाड़ चेक पोस्ट पर बैठे मजदूर

किसानों ने बताया कि सब्जियों की खेती के लिए वो अपना घर-परिवार छोड़कर खेतों में ही एक सीजन के लिए झोपड़ी बनाकर रहते हैं. इस बार भी उन्होंने ऐसा ही किया, लेकिन जैसे ही सब्जियों के बेचने का टाइम आया, उसी वक्त लॉकडाउन की घोषणा हो गयी, जिसकी वजह से वो सब्जियों को बाहर के जिलों में नहीं भेज पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि झालावाड़ शहर में सब्जियों को बेचने के लिए जाते है, तो यहां पर पूरी सब्जियां नहीं बिक पाती है, जिससे उनका बहुत भारी नुकसान हो रहा है. हालत ये हो गयी है कि सब्जियों को तोड़कर रोज खेतों में ही डालना पड़ रहा है. क्योंकि, रोज सब्जी को तोड़ेंगे नहीं तो पौधे खराब होने का खतरा रहता है. किसानों ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से उनको प्रति बीघा करीब 2 से 3 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है.

बता दें कि बाघेर क्षेत्र में ऐसे 1 या 2 किसान नहीं बल्कि 70 से 80 किसान परिवार हैं, जो किराए पर जमीन लेकर खेती करते हैं. उन किसानों ने बताया कि जहां एक तरफ सब्जियां नहीं बिक रही है. वहीं, दूसरी तरफ 15 जून तक उनको जमीन भी खाली करनी है और जमान का किराया भी देना है. साथ ही सब्जियों में दवाइयों और पानी का खर्चा भी बहुत हो गया है. ऐसे में अब उनके लिए इतना भारी भरकम कर्ज चुकाना काफी मुश्किल हो गया है, जिसके चलते अब वो अपने खुद के गांव भी नहीं लौट पा रहे हैं.

झालावाड़. लॉकडाउन को हुए एक महीने से भी ज्यादा का समय बीत चुका है. इसके चलते किसानों की समस्याएं खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है. ऐसे में उन किसानों की हालत तो और खराब है जो लीज या किराए पर खेत लेकर खेती करते है, जिसके लिए उन्हें किराया भी चुकाना भी पड़ता है. ऐसे में किसान वर्ग खासा प्रभावित हुआ है. वहीं, बात करें झालावाड़ की तो झालावाड़ जिले के बाघेर क्षेत्र में बड़ी तादाद में सब्जियों की खेती की जाती है.

किसानों पर टूटा मुसीबतों का पहाड़

झालावाड़ जिले के बाघेर क्षेत्र की सबसे खास बात ये है कि यहां पर किसान जमीन को लीज या किराए पर लेकर खेती करते हैं, जिसके तहत किसानों को 1 बीघा जमीन पर 6 महीने के लिए करीबन 10 से 15 हजार रुपए किराया चुकाना पड़ता है. यहां के किसानों के लिए यह सौदा हमेशा फायदे का रहा है और हर सीजन में यहां का किसान 1 बीघा जमीन से करीबन 2 से 3 लाख रुपए का मुनाफा भी कमाता है. लेकिन इस बार यहां के किसानों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. वहीं, खेतों में तो सब्जियों का जबरदस्त उत्पादन हो रहा है. इसके चलते सब्जियों को रोज तोड़ा भी जा रहा है, लेकिन खरीदने के लिए कोई खरीददार ही नहीं है.

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किसानों ने बताया कि सब्जियों की खेती के लिए वो अपना घर-परिवार छोड़कर खेतों में ही एक सीजन के लिए झोपड़ी बनाकर रहते हैं. इस बार भी उन्होंने ऐसा ही किया, लेकिन जैसे ही सब्जियों के बेचने का टाइम आया, उसी वक्त लॉकडाउन की घोषणा हो गयी, जिसकी वजह से वो सब्जियों को बाहर के जिलों में नहीं भेज पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि झालावाड़ शहर में सब्जियों को बेचने के लिए जाते है, तो यहां पर पूरी सब्जियां नहीं बिक पाती है, जिससे उनका बहुत भारी नुकसान हो रहा है. हालत ये हो गयी है कि सब्जियों को तोड़कर रोज खेतों में ही डालना पड़ रहा है. क्योंकि, रोज सब्जी को तोड़ेंगे नहीं तो पौधे खराब होने का खतरा रहता है. किसानों ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से उनको प्रति बीघा करीब 2 से 3 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है.

बता दें कि बाघेर क्षेत्र में ऐसे 1 या 2 किसान नहीं बल्कि 70 से 80 किसान परिवार हैं, जो किराए पर जमीन लेकर खेती करते हैं. उन किसानों ने बताया कि जहां एक तरफ सब्जियां नहीं बिक रही है. वहीं, दूसरी तरफ 15 जून तक उनको जमीन भी खाली करनी है और जमान का किराया भी देना है. साथ ही सब्जियों में दवाइयों और पानी का खर्चा भी बहुत हो गया है. ऐसे में अब उनके लिए इतना भारी भरकम कर्ज चुकाना काफी मुश्किल हो गया है, जिसके चलते अब वो अपने खुद के गांव भी नहीं लौट पा रहे हैं.

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