झालावाड़. जिले के कामखेड़ा बालाजी धाम पर भक्तों का जनसैलाब उमड़ता है. यहां देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं. कोई भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए, तो कोई प्रेत आत्माओं से निजात पाने के लिए प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कामखेड़ा बालाजी धाम पर हाजिरी लगाता है.
झालावाड़ जिले का कामखेड़ा धार्मिक स्थल भूत प्रेतों के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर को लेकर लोगों का दावा है कि यहां भूतों की अदालत लगती है और प्रेत-आत्माओं को खुद बजरंग बली सजा सुनाते है. हर शनिवार और मंगलवार को चौंकाने वाला नजारा मंदिर में देखने को मिलता है. लेकिन शनिवार को चौंकाने वाला नजारा दिखाई देता है. झालावाड से 60 किलोमीटर दूर कामखेडा बालाजी का दरबार है. कहा जाता है कि कामखेड़ा बालाजी में स्थित हनुमान जी के मंदिर में भूतों की अदालत लगते हुए 1000 साल से भी ज्यादा का वक्त हो गया. यहां पर इंसानों को परेशान करने वाली प्रेतात्माओं को बजरंग बली खुद सजा सुनाते है. कामखेड़ा बालाजी धाम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां भूत और प्रेत आत्माएं खुद पेशी देने आती हैं, उन्हें बुलाया नहीं जाता.
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प्रेत आत्माएं खुद बताती हैं अपनी परेशानी
कामखेड़ा बालाजी धाम में पेशी पर आने वाली प्रेत आत्माओं की बाकायदा सुनवाई होती है. उनकी अदालत लगती है. जहां प्रेत आत्माएं हाजिरी लगा कर अपनी परेशानी खुद बताती हैं. जो प्रेत आत्माएं बेवजह लोगों को परेशान करती हैं. उन्हें इस अदालत में सजा भी दी जाती है. सबसे पहले उन्हें जंजीरो से बंधा जाता है, फिर अभिमंत्रित कीलों और दंडकरों से दंड दिया जाता है, ताकि वह दोबारा फिर से इंसानों को परेशान ना कर सकें. प्रेतबाधाओं से पीड़ित लोगों को निजात दिलाने के लिए देश भर से लोग यहां आते हैं.
मन्नत पूरी होने पर लगानी पड़ती है गुप्त देवी की हाजिरी
कामखेड़ा बालाजी आने वाले भक्तों की जब मुंह मांगी मन्नते पूरी हो जाती हैं, तो वह पहले यहां स्थित गुप्त देवी और प्रेतराज के दर्शन करते हैं. इसके बाद ही उन्हें बालाजी महाराज के मन्दिर में प्रवेश मिलता है. राजस्थान ही नहीं मध्यप्रदेश, गुजरात उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और देश के बाकी हिस्सों से यहां हर रोज हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. आम आदमी ही नहीं तमाम राज्यों के मुख्यमंत्री और मंत्री तक कामखेडा बाला जी के दरबार में मन्नत मांगते हुए कभी भी देखे जा सकते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि मंदिर ट्रस्ट यहां आने वाले भक्तों के खाने और ठहरने से लेकर पार्किंग तक का मुफ्त इंतजाम करते हैं.
नहीं आते कमजोर दिल वाले
यहां कमजोर दिल वाले लोग नहीं आते है, क्योकि मंदिर में हर ओर प्रेतबाधाओं से पीड़ित लोग चिल्ला-चिल्लाकर अपनी कहानी बयां करते नजर आते हैं. जिन्हें देखकर रूह तक कांप जाती है, लेकिन इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि प्रेतबाधाओं से पीड़ित व्यक्ति यहां आने के बाद ठीक होकर ही वापस लौटता है.
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दावा की खुद अवतरित हुए थे बालाजी
यहां के लोगों ने बताया कि हजारों साल पहले यहां एक छोटा सा चबूतरा था. जिस पर हनुमान जी की आकृति खुद ब खुद उभर आई. यह आकृति इतनी साफ है कि ऐसा लगता है जैसे किसी ने अपने हाथों से बनाया हो और मूर्ति के पास एक जल का छोटा सा कुण्ड है. जिसमें 12 महीनों पानी भरा रहता है. कामखेड़ा बालाजी को दुष्ट आत्माओं से छुटकारा दिलाने के लिए दिव्य शक्ति से प्रेरित हनुमानजी का बहुत ही शक्तिशाली मन्दिर माना जाता है.
कामखेड़ा के बालाजी की एक और खास मान्यता है कि शादी के बाद पति-पत्नी यहां रामायण पाठ कराते हैं, ताकि उनके पारिवारिक जीवन में आने वाली सारी बाधाएं पहले से ही खत्म हो जाएं.
वहीं हनुमान जी महाराज गुड़ और चना चढ़ाने से भगवान शनि की साढ़ेसाती, ढैया, नौ ग्रह के चक्कर में पढ़ने वाले जातकों के लिए यह दरबार अनूठा है जहां पर सब ग्रह की पीड़ाओं से छुटकारा मिलता है. सिर्फ यहां आकर हनुमान जी महाराज को चमेली का तेल, गुड़, चना, मावा, मिश्री इत्यादि चढ़ाने से बजरंगबली प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण कर देते है. बालाजी का ये मंदिर झालावाड़ जिले में प्रमुख प्रसिद्ध तीर्थ स्थल माना जाता है. हालांकि इस मंदिर के दावों पर ईटीवी भारत किसी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है. ना हम किसी प्रकार के अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे है.