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Sheetla Mata Puja 2023 : जानें शीतला सप्तमी कब है ? कैसे करे माता का पूजन, क्या है मंत्र, महिलाएं ये बोले आरती

इस साल शीतला माता का 'शीतल सप्तमी' पर्व चैत्र कृष्ण सप्तमी तिथि मंगलवार यानी 14 मार्च को है. इस दिन महिलाएं अपने पुत्र की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं.

शीतला माता का 'शीतल सप्तमी' व्रत
शीतला माता का 'शीतल सप्तमी' व्रत
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Published : Mar 12, 2023, 10:51 AM IST

झालावाड़. इस साल महिलाओं को प्रिय देवी शीतला माता का 'शीतल सप्तमी' पर्व चैत्र कृष्ण सप्तमी तिथि मंगलवार यानी 14 मार्च को है. इसे चौराहा पर्व भी कहते हैं. यह व्रत विशेष रूप से पुत्रों की दीर्घायु के लिए रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता को घर पर एक दिन पहले बने ठंडे या बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. फिर इसी भोग को प्रसाद यानी भोजन के रूप में ग्रहण करने की परंपरा है.

मान्यता के अनुसार, जिस घर में चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि को शीतला सप्तमी/अष्टमी व्रत का रखा जाता है. ऐसा करने से घर में सुख-शांति, ऐश्वर्य बनी रहती है और लोगों के प्रति वचनबद्धता से भी मुक्ति मिलती है. कुछ महिलाओं द्वारा सप्तमी की तरह ही चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर शीतला-अष्टमी की पूजा करने का भी विधान है.

महिलाएं कैसे करें माता का पूजन: शीतला की पूजा विधि महिलाएं चैत्र कृष्ण सप्तमी अर्थात शीतला सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर माता शीतला का ध्यान करें बाद में व्रतधारी प्रातः कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करें. इसके बाद विधि-विधान से स्वादयुक्त गंध-पुष्प आदि से माता शीतला की पूज अर्चना करें. महिलाएं इस दिन चावल, हल्दी, चने की दाल और लोटे के बर्तन में पानी भरकर शीतला माता का पूजन करें.

शीतला माता का पूजन करते समय 'हृं श्रीं शीतलायै नम:' मंत्र का जाप करें. माता शीतला को जल अर्पित करने के बाद जल के कुछ बूंदों को अपने ऊपर भी छिड़कें. फिर एक दिन पहले बनाए गए (ठंडे) खाद्य पदार्थ, मेवे, मीठा, पूआ, पूरी, दाल-भात, भूने चावल और गुड-चावल के व्यंजन आदि का भोग माता को लगाए. तत्पश्चात शीतला स्तोत्र का पाठ पढ़ें और कथा सुनें.

ऐसा माना जाता है कि शीतला माता का वास वट वृक्ष में होता है, इसलिए इस दिन महिलाएं वट वृक्ष का पूजा करना ना भूलें. माता को चढ़ाएं जल में से बह रहे जल में से थोड़ा सा जल अपने लोटे में एकत्र कर लें. फिर इसे परिवार के सभी सदस्य के आंखों पर व घर के सभी हिस्सों में छिड़क दें, मान्यतानुसार यह जल पवित्र होने से इससे घर की और शरीर की शुद्धि होती है. बाद में बासी भोजन को ही ग्रहण करें.

पढ़ें: धौलपुर: शीतला माता के मंदिरों पर उमड़ा आस्था का सैलाब, महिलाओं ने बसोड़े का लगाया भोग

ज्ञात हो कि इस व्रत के दिनों में घरों में ताजा यानी गर्म भोजन नहीं बनाया जाना चाहिए. अत: एक दिन पहले अर्थात ठंडे या बासी भोजन को ही माता शीतला को अर्पित करने और परिवार के साथ उसी भोजन को ग्रहण करने की परंपरा है.

इस मंत्र का उच्चारण 'वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगंबरराम्‌, मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्। 'शीतले त्वं जगन्माता, शीतले त्वं जगत् पिता। शीतले त्वं जगद्धात्री, शीतलायै नमो नमः'। 'हृं श्रीं शीतलायै नम:'

यह आरती बोलें : शीतला माता की आरती शीतलता जया माता. मैया जय शीतला माता, आदि ज्योति महारानी सब फल की द्रष्टा. जय शीतला माता. रत्न सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता, ऋद्धि-सिद्धि चंवर धूलवें, जगमग छविता. जय शीतला माता. 'ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नम:'विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता, वेद पुराण बरनत पार नहीं पाता. जय शीतला माता. इन्द्र मृदंग लहरावत चन्द्र वीणा हाथा, सूरज तालते नारद मुनि गाता. जय शीतला माता. घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता, करे भक्तजन आरती लखी-लखि हरहाता. जय शीतला माता. ब्रह्म रूप वरदानी तु तीन काल ज्ञाता, भक्तन को सुख देनौ मातु-पिता-भ्राता. जय शीतला माता, जो भी ध्यान दें, प्रेम भक्ति दें, सकल मनोरथ पावे, भवनिधि तर जाता है.

जय शीतला माता. रोग से जो पीड़ित कोई शरण आता है, कोढ़ी पावे निर्मल काया, अंध नेत्र पाता।जय शीतला माता. बंज बेटों को पावे दारिद कट जाता है, ताको भजै जो नहीं, सिरतुनि पछिताता।जय शीतला माता. शीतल करती जननी तू ही है जग त्राता, उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की हानि।जय शीतला माता. दास विचित्र कर जोड़ सुन मेरी माता, भक्ति आपनी दीजे और न कुछ भाता.

झालावाड़. इस साल महिलाओं को प्रिय देवी शीतला माता का 'शीतल सप्तमी' पर्व चैत्र कृष्ण सप्तमी तिथि मंगलवार यानी 14 मार्च को है. इसे चौराहा पर्व भी कहते हैं. यह व्रत विशेष रूप से पुत्रों की दीर्घायु के लिए रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता को घर पर एक दिन पहले बने ठंडे या बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. फिर इसी भोग को प्रसाद यानी भोजन के रूप में ग्रहण करने की परंपरा है.

मान्यता के अनुसार, जिस घर में चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि को शीतला सप्तमी/अष्टमी व्रत का रखा जाता है. ऐसा करने से घर में सुख-शांति, ऐश्वर्य बनी रहती है और लोगों के प्रति वचनबद्धता से भी मुक्ति मिलती है. कुछ महिलाओं द्वारा सप्तमी की तरह ही चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर शीतला-अष्टमी की पूजा करने का भी विधान है.

महिलाएं कैसे करें माता का पूजन: शीतला की पूजा विधि महिलाएं चैत्र कृष्ण सप्तमी अर्थात शीतला सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर माता शीतला का ध्यान करें बाद में व्रतधारी प्रातः कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करें. इसके बाद विधि-विधान से स्वादयुक्त गंध-पुष्प आदि से माता शीतला की पूज अर्चना करें. महिलाएं इस दिन चावल, हल्दी, चने की दाल और लोटे के बर्तन में पानी भरकर शीतला माता का पूजन करें.

शीतला माता का पूजन करते समय 'हृं श्रीं शीतलायै नम:' मंत्र का जाप करें. माता शीतला को जल अर्पित करने के बाद जल के कुछ बूंदों को अपने ऊपर भी छिड़कें. फिर एक दिन पहले बनाए गए (ठंडे) खाद्य पदार्थ, मेवे, मीठा, पूआ, पूरी, दाल-भात, भूने चावल और गुड-चावल के व्यंजन आदि का भोग माता को लगाए. तत्पश्चात शीतला स्तोत्र का पाठ पढ़ें और कथा सुनें.

ऐसा माना जाता है कि शीतला माता का वास वट वृक्ष में होता है, इसलिए इस दिन महिलाएं वट वृक्ष का पूजा करना ना भूलें. माता को चढ़ाएं जल में से बह रहे जल में से थोड़ा सा जल अपने लोटे में एकत्र कर लें. फिर इसे परिवार के सभी सदस्य के आंखों पर व घर के सभी हिस्सों में छिड़क दें, मान्यतानुसार यह जल पवित्र होने से इससे घर की और शरीर की शुद्धि होती है. बाद में बासी भोजन को ही ग्रहण करें.

पढ़ें: धौलपुर: शीतला माता के मंदिरों पर उमड़ा आस्था का सैलाब, महिलाओं ने बसोड़े का लगाया भोग

ज्ञात हो कि इस व्रत के दिनों में घरों में ताजा यानी गर्म भोजन नहीं बनाया जाना चाहिए. अत: एक दिन पहले अर्थात ठंडे या बासी भोजन को ही माता शीतला को अर्पित करने और परिवार के साथ उसी भोजन को ग्रहण करने की परंपरा है.

इस मंत्र का उच्चारण 'वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगंबरराम्‌, मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्। 'शीतले त्वं जगन्माता, शीतले त्वं जगत् पिता। शीतले त्वं जगद्धात्री, शीतलायै नमो नमः'। 'हृं श्रीं शीतलायै नम:'

यह आरती बोलें : शीतला माता की आरती शीतलता जया माता. मैया जय शीतला माता, आदि ज्योति महारानी सब फल की द्रष्टा. जय शीतला माता. रत्न सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता, ऋद्धि-सिद्धि चंवर धूलवें, जगमग छविता. जय शीतला माता. 'ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नम:'विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता, वेद पुराण बरनत पार नहीं पाता. जय शीतला माता. इन्द्र मृदंग लहरावत चन्द्र वीणा हाथा, सूरज तालते नारद मुनि गाता. जय शीतला माता. घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता, करे भक्तजन आरती लखी-लखि हरहाता. जय शीतला माता. ब्रह्म रूप वरदानी तु तीन काल ज्ञाता, भक्तन को सुख देनौ मातु-पिता-भ्राता. जय शीतला माता, जो भी ध्यान दें, प्रेम भक्ति दें, सकल मनोरथ पावे, भवनिधि तर जाता है.

जय शीतला माता. रोग से जो पीड़ित कोई शरण आता है, कोढ़ी पावे निर्मल काया, अंध नेत्र पाता।जय शीतला माता. बंज बेटों को पावे दारिद कट जाता है, ताको भजै जो नहीं, सिरतुनि पछिताता।जय शीतला माता. शीतल करती जननी तू ही है जग त्राता, उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की हानि।जय शीतला माता. दास विचित्र कर जोड़ सुन मेरी माता, भक्ति आपनी दीजे और न कुछ भाता.

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