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झालावाड़ : परंपरागत तरीके से मातमी धुन के बीच निकले चालीसवें के ताजिए

झालावाड़ में रविवार को परंपरागत तरीके से मातमी धुन के बीच हजरत इमाम हुसैन की शहादत के दिन के 40 दिन बाद ताजिए निकाले गए. इन ताजिए को कालीसिंध नदी के निकट स्थित कर्बला में ठंडा किया गया. इस दौरान बड़ी संख्या में समाज के लोग मौजूद रहे.

झालावाड़ न्यूज, jalawar news
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Published : Oct 21, 2019, 10:46 AM IST

झालावाड़. जिले में रविवार को परंपरागत तरीके से मातमी धुन के बीच ताजिए निकाले गए. इस दौरान शहर में करीब तीन दर्जन ताजिए निकाले गए. झालावाड़ की अनेक कॉलोनियों और बस्तियों में सजाए गए ताजियों को पहले तो बड़े बाजार में एकत्रित किया गया. जहां पर हुसैन हैदरी अखाड़े के उस्ताद महमूद पहलवान की अगुवाई में अखाड़ों के कलाकारों ने कई हैरतअंगेज करतब दिखाए.

परंपरागत तरीके से मातमी धुन के बीच निकले चालीसवें के ताजिए

कलाकारों ने पट्टाबाजी और तलवारबाजी का भी प्रदर्शन किया. कई ताजियों के आगे युवकों की टोली ने ढोल-ताशे पर मातमी धुन बजाई तथा कलाम भी पेश किए. ताजिए निकालने के दौरान बड़े बाजार में मातमी माहौल नजर आया. ताजियों को बड़े बाजार में एकत्रित करने के बाद प्रमुख रास्तों से होते हुए कालीसिंध नदी के काला कांकरा स्थित कर्बला ले जाया गया, जहां पर ताजियों को ठंडा किया गया.

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गौरतलब है कि हजरत इमाम हुसैन की शहादत के दिन के 40 दिन बाद मुस्लिम समाज द्वारा चालीसवां मनाया जाता है. इस अवसर पर मुस्लिम समाज के द्वारा मोहर्रम मनाया जाता है और मातमी धुन पर ताजिए निकाले जाते हैं. ऐसे में झालावाड़ में भी मोहर्रम के अवसर पर ताजिए निकाले गए.

झालावाड़. जिले में रविवार को परंपरागत तरीके से मातमी धुन के बीच ताजिए निकाले गए. इस दौरान शहर में करीब तीन दर्जन ताजिए निकाले गए. झालावाड़ की अनेक कॉलोनियों और बस्तियों में सजाए गए ताजियों को पहले तो बड़े बाजार में एकत्रित किया गया. जहां पर हुसैन हैदरी अखाड़े के उस्ताद महमूद पहलवान की अगुवाई में अखाड़ों के कलाकारों ने कई हैरतअंगेज करतब दिखाए.

परंपरागत तरीके से मातमी धुन के बीच निकले चालीसवें के ताजिए

कलाकारों ने पट्टाबाजी और तलवारबाजी का भी प्रदर्शन किया. कई ताजियों के आगे युवकों की टोली ने ढोल-ताशे पर मातमी धुन बजाई तथा कलाम भी पेश किए. ताजिए निकालने के दौरान बड़े बाजार में मातमी माहौल नजर आया. ताजियों को बड़े बाजार में एकत्रित करने के बाद प्रमुख रास्तों से होते हुए कालीसिंध नदी के काला कांकरा स्थित कर्बला ले जाया गया, जहां पर ताजियों को ठंडा किया गया.

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गौरतलब है कि हजरत इमाम हुसैन की शहादत के दिन के 40 दिन बाद मुस्लिम समाज द्वारा चालीसवां मनाया जाता है. इस अवसर पर मुस्लिम समाज के द्वारा मोहर्रम मनाया जाता है और मातमी धुन पर ताजिए निकाले जाते हैं. ऐसे में झालावाड़ में भी मोहर्रम के अवसर पर ताजिए निकाले गए.

Intro:झालावाड़ में आज परंपरागत तरीके से मातमी धुन के बीच चालीसवें के ताजिए निकाले गए. जिनको कालीसिंध नदी के निकट स्थित कर्बला में ठंडा किया गया.


Body:झालावाड़ में परंपरागत तरीके से मातमी धुन के बीच ताजिए निकाले गए. इस दौरान शहर में करीब तीन दर्जन ताजिए निकाले गए. झालावाड़ की अनेक कॉलोनियों व बस्तियों में सजाए गए ताजियों को पहले तो बड़े बाजार में एकत्रित किया गया. जहां पर हुसैन हैदरी अखाड़े के उस्ताद महमूद पहलवान की अगुवाई में अखाड़ों के कलाकारों ने कई हैरतअंगेज करतब दिखाए. कलाकारों ने पट्टाबाजी व तलवारबाजी का भी प्रदर्शन किया. कई ताजियों के आगे युवकों की टोली ने ताशे ढोल पर मातमी धुन बजाई तथा डीजे पर इस्लामी कलाम भी पेश किए गए. ताजे निकालने के दौरान बड़े बाजार में मेले जैसा माहौल बन गया. ताजियों को बड़े बाजार में एकत्रित करने के बाद चौथ माता मंदिर, धोकडे के बालाजी, मल्ल मोहल्ला व गागरोन रोड होते हुए कालीसिंध नदी के काला कांकरा स्थित कर्बला ले जाया गया. जहां पर ताजियों को ठंडा किया गया.


Conclusion:गौरतलब है कि इमाम हुसैन की शहादत के 40 दिन बाद मुस्लिम समाज के द्वारा चालीसवां मनाया जाता है. इस अवसर पर मुस्लिम समाज के द्वारा मोहर्रम मनाया जाता है और मातमी धुन पर ताजिए निकाले जाते हैं. ऐसे में झालावाड़ में भी मोहर्रम के अवसर पर ताजिए निकाले गए.
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