झालावाड़. सिस्टम कोरोना से लड़ रहा है. ऑक्सीजन की कमी, रेमडेसिविर की डिमांड और व्यवस्थाओं का चरमराना हर कोई देख रहा है. ऐसे में राजस्थान के एक गांव में ऐसे भयावह हालात पर लोगों की आस्था भारी पड़ रही है. यहां लोगों ने कोरोना खत्म करने लिए अनोखा टोटका किया है.
झालावाड़ जिले की डग पंचायत समिति. ग्राम पंचायत डोबड़ा का छोटा सा गांव, जिसका नाम है घाटी. कोरोना का डर यहां भी है. लेकिन इससे लड़ने के लिए ग्रामीणों को अस्पताल से ज्यादा भगवान में विश्वास है. कोरोना से बचने के लिए ग्रामीणों ने अनूठा टोटका किया.
सुबह-सुबह 7 बजे गांव के सभी लोग अपने घरों से खाना बनाने की सामग्री और पानी लेकर अपने खेतों की ओर चल दिए. कुछ लोग जंगल की ओर चले गए. इन लोगों की मान्यता थी की सुबह 7 से शाम 7 बजे तक अगर वे गांव खाली कर जंगल में रहेंगे तो कोरोना खत्म हो जाएगा. वाकई गांव में कोई आदमी नहीं रहा. गांव सूना हो गया.
बता दें कि इस गांव के लोगों की कोटड़ा माता में आस्था है. कोटड़ा माता का मंदिर गांव के पास ही है. ग्रामीण कहते हैं कि माता ने भविष्यवाणी की थी कि गांव के सभी लोग अगर गांव से बाहर जाकर खाना बनाएं और हनुमानजी की पूजा अर्चना, यज्ञ हवन करें तो कोरोना की जल्द ही खत्म हो जाएगा. इस कथित भविष्यवाणी का पालन करने के लिए गांव वालों ने हनुमान जयंती का दिन चुना.
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मंगलवार को घाटी गांव के लोग गांव से बाहर खेतों और जंगलों में चले गए. वहीं खाना बनाया और भगवान से कोरोना संक्रमण की समाप्ति के लिए प्रार्थना की. इस दौरान बच्चे बूढ़े महिलाएं युवक युवतियां सभी भगवान से प्रार्थना करते नजर आए. सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक किसी भी व्यक्ति को गांव में जाने की अनुमति नहीं दी गई.
बल्कि गांव के चारों तरफ युवाओं ने गांव की सीमाएं सील कर चौकीदारी तक की. उधर खेतों और जंगलों में महिलाएं खाना बनाने में जुटी रहीं. सभी ने खुले आसमान के नीचे ही भोजन किया.
कोटड़ा माता की भविष्यवाणी के अनुसार ही घाटी गांव में हनुमानजी का यज्ञ हवन किया गया. भले ही इन लोगों की इस हरकत को अंधविश्वास या टोटका कहा जाए. लेकिन देश से कोरोना संक्रमण की समाप्ति के लिए इन लोगों की भावना की कद्र की जानी चाहिए.