झालावाड़. वर्तमान में पर्यावरण असंतुलन का सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वार्मिंग है. इस कारण तापमान लगातार बढ़ रहा है और मानव जीवन खतरे में पड़ता जा रहा है. ऐसे में पर्यावरण संरक्षण को लेकर पूरा विश्व चिंतित है. स्वच्छ पर्यावरण जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है इसका एहसास लोगों को कोरोना काल में बखूबी हो गया है. पौधरोपण को लेकर सरकार भी लोगों से अपील कर रही है. लेकिन जिले का वन विभाग इसे लेकर कितना गंभीर है यह इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इस बार विभाग ने निर्धारित लक्ष्य से भी कम पौधे लगाए हैं.
झालावाड़ में वन विभाग इस बार निर्धारित लक्ष्य को भी पूरा नहीं कर सका है. विभाग ने इस बार करीब एक लाख पौधे कम लगाए हैं. अब इसे वन विभाग की लापरवाही कहें या कोरोना का खौफ कि स्वयं सेवी संस्थाओं ने भी विभाग से पौधरोपण के लिए पौधे नहीं लिए. पौधरोपण के लिए विभाग की ओर से कोई प्लानिंग भी नहीं की गई जिससे पौधरोपण अभियान ढीला पड़ गया.
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झालावाड़ वन विभाग ने इस साल 5 लाख 99 हजार पौधे रोपने का लक्ष्य तय किया था लेकिन वन विभाग लक्ष्य से करीब एक लाख कम पौधे लगा पाया है. झालावाड़ वन विभाग ने इस साल 5 लाख 4 हजार पौधे ही रोपे हैं. वहीं पिछले साल भी वन विभाग अपने 5 लाख 10 हजार पौधे रोपने का लक्ष्य पूरा नहीं कर पाया था. ऐसे में ये आंकडे़ पौधरोपण को लेकर वन विभाग की लापरवाही की पोल भी खोल रहे हैं.
पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि स्वस्थ जीवन के लिए शुद्ध हवा बहुत महत्वपूर्ण होती है इसलिए पौधरोपण बेहद जरूरी होता है. सरकार और प्रशासन के अलावा संगठन एवं आम जनता भी बढ़चढ़ कर पौधरोपण करती हैं, लेकिन झालावाड़ वन विभाग की ओर से पौधरोपण अभियान को लेकर इस वर्ष दिखाई गई लापरवाही अफसोसजनक है. विभाग को अधिक से अधिक पौधे लगाकर न केवल लक्ष्य को पूरा करना चाहिए था बल्कि जितने पौधे लगाए गए हैं उनकी सुरक्षा की भी व्यवस्था भी करनी चाहिए थी.
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वहीं इसको लेकर वन विभाग के एसीएफ ओम प्रकाश जांगिड़ ने बताया कि इस वर्ष वन विभाग ने 5 लाख 99 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य लिया गया था. अब पौधारोपण अभियान पूर्ण हो चुका है जिसमे विभाग 5 लाख 4 हजार पौधे ही लग पाए हैं.
ये रहे मुख्य कारण
एसीएफ ओम प्रकाश जांगिड़ ने बताया कि पौधरोपण के निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होने के पीछे सबसे बड़ा कारण कोरोना वायरस रहा है. कोरोना और लॉकडाउन के चलते वन विभाग बड़े स्तर पर पौधरोपण के कार्यक्रम को गति नहीं दे पाया. इसके अलावा वन विभाग को पौधरोपण करने के लिए जो क्षेत्र दिए गए थे वहां पर भी बड़ी संख्या में नाले व अतिक्रमण बने हुए हैं. इसके चलते वन विभाग अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल रहा.