झालावाड़. अवैध खनन के काले कारोबार में क्षेत्र के ही कुछ जिम्मेदार भी शामिल हैं जो दिनदहाड़े और खुलेआम रेत का अवैध भंडारन भवनों के पीछे कर रहे हैं. इधर राजस्व विभाग के जिम्मेदार अनजान बने बैठे हुए हैं. मौजूदा परिस्थियों को देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि झालावाड़ का जावर थाना क्षेत्र अवैध उत्खनन का गढ़ बन गया है.
बताया जाता है कि यहां से जावर थाना की कुछ किलोमीटर दूर खेरखेडा मार्ग पर स्थित अडेरी नदी तो अवैध खनन का गढ़ बन चुका है. प्रतिदिन 100 से अधिक वाहन काली रेत निकालकर खुलेआम बेची जा रही है. इसके बाद भी कार्रवाई के नाम पर खनिज अधिकारी सिर्फ औपचारिकता निभाते हैं. दबी जुबान में ऐसा भी कहा जाता है कि इस विषय में विभाग जब भी वाहनों पर कार्रवाई करती है तो कुछ नेताओं का संरक्षण इन कारोबारियों को मिल जाता है. इससे पुलिस को भी पकड़े गए वाहन मजबूरी में छोड़ने पड़ते हैं.
पढ़ें : भीलवाड़ा : कार को कंटेनर ने मारी टक्कर, हादसे में सास-बहू सहित 3 महिलाओं की मौत
पहाड़ी क्षेत्र में बड़ी मात्रा में पत्रों का अवैध खनन कर गहरी खाइयों में तब्दील कर दिया गया है जो आने वाले समय में राहगीरों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. आलम यह है कि क्षेत्र में कामखेड़ा-नान्देड़ा पहाड़ियों पर खनन पर अंकुश नहीं लग पाया है. रेत माफिया झालावाड़ जिले के इस क्षेत्र में दिन-रात अवैध पत्थर खनन कर पहाड़ी को नष्ट करने में जुटे हैं. यहां सबसे बुरे हालात कामखेड़ा-नान्देडा पहाड़ी के बने हैं. खनन से पहाड़ों की हरियाली गायब हो रही है. इससे तेजी से वन्यजीवों का आश्रय छिन रहा है. हद तो यह है कि पुलिस थानों के सामने से ही पीली मिट्टी, काली रेत, पत्थर के भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली और डंपर निकर रहे हैं फिर भी प्रशासन मुक दर्शक बना हुआ है.