झालावाड़. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बीच हुए लॉकडाउन के कारण देश में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप रही थी. साथ ही बढ़ते संक्रमण के कारण धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं वैवाहिक कार्यक्रमों के आयोजन पर पूर्णतया पाबंदी लगा दी गई थी, जिसके चलते संबंधित व्यापारियों को लगभग 225 करोड़ के नुकसान का सामना करना पड़ा. ऐसे में 1 जून से केंद्र सरकार की ओर से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने से इन व्यवसायों पर सरकार की ओर से अब सशर्त कुछ छूट दे दी गई है. सरकार की ओर से दिए गए इस छूट के बाद व्यवसायियों में एक उम्मीद की किरण जगी थी कि शायद 3 महीने बाद उनकी डूबती हुई नैया एक बार फिर से पटरी पर आ जाएगी लेकिन ऐसा होता हुआ बिल्कुल भी नहीं दिख रहा.
अनलॉक में भी पुरानी बुकिंग्स हो रही कैंसिल
इस संबंध जब ईटीवी भारत की टीम ने होटल्स व मैरिज संचालकों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि शादियों का सबसे पीक सीजन तो लॉकडाउन के 3 महीनों में ही गुजर गया. इस दौरान जिले भर में 400 से अधिक शादियों की बुकिंग कैंसिल हो गई. उसके बाद अनलॉक का एक महीना भी बीत चुका है और इसमें भी शादियों की हुई बुकिंग कैंसिल हो रही है. ऊपर से सरकार ने भी कार्यक्रम में 50 लोगों के आने की ही अनुमति दे रखी है. ऐसे में इतनी कम संख्या की सीमा होने के कारण लोग मैरिज गार्डन व होटल में शादी नहीं करवा रहे हैं. इस दौरान सभी अपने घरों पर ही इन कार्यक्रमों का आयोजन करवा रहे हैं.
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लाइट, साउंड और डेकोरेशन के व्यवसाय भी हुए प्रभावित
संचालकों का कहना है कि शादी-विवाह के कार्यक्रमों से संबंधित अनेक प्रकार के व्यवसाय होते हैं. जिनमें लाइट, साउंड एंड डेकोरेशन, टेंट व केटरिंग के व्यवसाय शामिल हैं. ऐसे में मैरिज हॉल में कार्यक्रम नहीं होने से इन सबके व्यवसाय भी प्रभावित हो रहे हैं.
अनलॉक में भी नहीं हो पा रही कुछ बचत
लाइट, साउंड और डेकोरेशन व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों का कहना है कि शादी-विवाह जैसे कार्यक्रमों में सिर्फ 50 लोगों की लिमिट रखी गई है और ऊपर से इसका आयोजन भी छोटी सी जगह पर ही किया जाता है. जिससे लाइट, साउंड व डेकोरेशन के बहुत कम उपकरणों का इस्तेमाल हो रहा है. वहीं, इनको लगाने के लिए मजदूर व ट्रांसपोर्टेशन के लिए भी अलग खर्च आता है. ऐसे में अनलॉक में हो रही शादियों में भी कुछ खास बचत नहीं हो रही है.
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महज 10 से 15 हजार की होती है कमाई
टेंट व केटरिंग व्यवसाय से जुड़े हुए व्यवसायियों का कहना है कि इस दौरान घरों पर कार्यक्रमों के आयोजन हो रहे हैं, जिससे लोग टेंट और अन्य सजावटी चीजों का इस्तेमाल बहुत कम कर रहे हैं. आम दिनों में होने वाली शादी में टेंट व केटरिंग से जुड़े लोग लाखों रुपए की कमाई हो जाती थी. वहीं, अब 50 लोगों के साथ घरों पर शादी के कार्यक्रम का आयोजन होने के चलते महज 10 से 15 हजार रुपए की ही कमाई हो पाती है.
नहीं मिल रही सरकार की ओर से कोई मदद
इस संबंध में होटल व मैरिज हॉल संचालकों का कहना है कि केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर से भी अब तक किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं मिली है, यहां तक कि बिजली के बिल माफ करने के बजाय अलग से चार्ज लगाकर भेजे जा रहे हैं. ऐसे में इस दौरान हो रही शादियों से सिर्फ खर्चा ही निकल पा रहा है. व्यवसायियों का कहना है कि एक-दो दिन में शादियों का सीजन भी पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. फिर 4 महीने बाद दिवाली के आसपास दोबारा शादियों का सीजन शुरू होगा. ऐसे में पहले 3 महीने और अब आगे 4 महीने तक हमारे पास काम करने को कुछ नहीं है, जिससे हमें काफी नुकसान हो रहा है. इसकी भरपाई भी इन शादियों में होना संभव नहीं है.