झालावाड़. प्रदेश में मानसून के आगमन के साथ ही पौधारोपण के कार्यक्रम भी बढ़ जाते हैं. चूंकि बारिश में पौधों के पनपने की संभावनाएं ज्यादा होती है इसलिए विभाग में लोगों द्वारा भी पौधे लगाने को ज्यादा महत्व दिया जाता है. सवाल उठता हैं कि क्या विभाग उन पौधों का उचित रखरखाव और देखभाल करता है? इसकी पड़ताल ईटीवी भारत की टीम ने अपनी ग्रीन भारत की मुहिम के जरिये की तो चौकाने वाले परिणाम सामने आये. जिले में पिछले 5 सालों में जहां पर पौधे लगाए गए थे वहां पर आज सिर्फ गड्ढे ही मौजूद हैं.
बात झालावाड़ जिले की करें तो वन विभाग ने बीते 5 वर्षों में 5437 भूमि में 19 लाख 54 हजार 52 पौधे लगाए हैं. विभाग ने यह पौधे जिले में अपनी अलग-अलग रेंजो में लगाए है, लेकिन उन पौधों की मौजूदा स्थिति की बात करें तो जितने अच्छे ये आंकड़े है पौधों की दशा उतनी ही बुरी है.
हमारी टीम झालावाड़ के डूंगरी क्षेत्र और रेलवे लाइन की दोनों तरफ पर जाकर देखा जहां पर वन विभाग ने 2014-15 और 2015-16 में तकरीबन 30 हजार पौधे लगाए थे लेकिन उन पौधों की जगह खाली गड्ढे ही नजर आए. विभाग ने पौधे तो लगा दिए लेकिन उचित सुरक्षा व्यवस्था और देखरेख के अभाव में यह पौधे खत्म हो गए. विभाग की लापरवाही का अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि पौधों के आसपास अनेक जानवर घूमते रहते है जो पौधों को खा जाते हैं.
जैसा कि वीडियो में देखा जा सकता हैं कि जहां पौधारोपण किया गया था वो जगह बिल्कुल सुख गया हैं और वहां गड्ढा बन गया हैं. इसके अलावा जो पौधे लगाये गये थे वो बिना किसी जाली या सुरक्षा घरे के लगाये गये थे, जिसके चलते इलाके में खुले रुप से घुमने वाले जानवर पौधों को खत्म कर देते हैं. साफ तौर पर विभाग कि लापरवाही का नतीजा हैं कि ये पौधे लग तो गये मगर बड़े नहीं हो पाये. जाहिर हैं कि उचित रख-रखाव व देखभाल के अभाव में अधिकतर पौधे नष्ट हो गये जहां अब सिर्फ सुखे गड्ढे रह गये हैं.