ETV Bharat / state

SPECIAL: 'चेरापूंजी' का एहसास कराने वाली 'झीर नर्सरी' उजड़ी, लापरवाही पड़ी भारी

झालावाड़ में 'चेरापूंजी' का एहसास कराने वाली 'झीर नर्सरी' उजड़ने की कगार पर पहुंचती जा रही है. आज उचित देखरेख के अभाव में और आंधी तूफान के कारण यहां के अधिकतर बांस के पेड़ टूट गए हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Jheer Nursery Latest News, condition of Jheer nursery of Jhalawar
झीर पर भारी लापरवाही
author img

By

Published : Sep 25, 2020, 10:31 PM IST

झालावाड़. जिले में सबसे ज्यादा बारिश और हरियाली के कारण झालावाड़ को राजस्थान का चेरापूंजी कहा जाता है. ऐसे में झालावाड़ में चेरापूंजी का एहसास यहां की झीर नर्सरी करवाती है. ये नर्सरी कभी गुच्छेदार बांस के पेड़ों से इतनी आबाद रहती थी कि सूरज की किरणें भी जमीन तक नहीं पहुंच पाती थी, लेकिन आज उचित देखरेख के अभाव में और आंधी तूफान के कारण यहां के अधिकतर बांस के पेड़ टूट गए हैं. इसके कारण झीर नर्सरी पूरी तरह से उजड़ने की कगार पर पहुंचती जा रही है.

झीर पर भारी लापरवाही

झालावाड़ से भवानीमंडी मार्ग पर स्थित झीर नर्सरी जिले की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है. यहां पर सड़क के दोनों ओर लगे गुच्छेदार बांस के पेड़ ऊपर जाकर आपस में मिलते हुए पूर्वोत्तर भारत में होने का एहसास करवाता है. ये गुच्छेदार बांस पेड़ इतने आकर्षक लगते थे कि यहां से गुजरने वाला हर एक व्यक्ति यहां पर रुक कर जाया करता था. लेकिन लॉकडाउन के दौरान आए आंधी-तूफान में यह झीर नर्सरी उजड़ गई और रही-सही कसर प्रशासन की लापरवाही ने पूरी कर दी.

Jheer Nursery Latest News, condition of Jheer nursery of Jhalawar
झीर नर्सरी उजड़ी

पढ़ें- Special : देशभर में प्रसिद्ध हैं नागौर में बनी धातु और प्लास्टिक की चूड़ियां, कोरोना काल में 60 फीसदी घटी मांग

बांस के पेड़ टूटकर सड़क के ऊपर झूलते रहते हैं...

प्रशासनिक लापरवाही का अंदाजा इस बात से लग सकता है कि बांस के पेड़ टूटकर सड़क के ऊपर झूलते रहते हैं. इससे सड़क पर दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है. इसके बावजूद 4 महीने बीत जाने के बाद भी प्रशासन ने ना तो टूटे हुए बांस के पेड़ों को हटाना उचित समझा और ना ही नर्सरी की कोई सुध ली.

Jheer Nursery Latest News, condition of Jheer nursery of Jhalawar
उचित देखरेख की जरूरत

राहगीरों ने बताया कि पहले जब भी वो यहां से गुजरते थे तो झीर नर्सरी में रुक कर जाते थे क्योंकि यहां पर उन्हें सुकून मिलता था. यहां पर बांस के पेड़ बहुत खूबसूरत लगते थे. साथ ही यहां पर इतनी छाया रहती थी कि सूरज की किरणें जमीन तक नहीं पहुंच पाती थी. वहीं यहां पर बांस के बहुत घने पेड़ हुआ करते थे, जिससे गर्मियों में भी ठंडक का एहसास होता था, लेकिन आंधी-तूफान और प्रशासनिक लापरवाही से अब झीर नर्सरी उजड़ चुकी है.

दुर्घटना और लूटपाट का खतरा

झीर नर्सरी में अब पेड़ों के टूट जाने के कारण गर्मी का एहसास होने लग जाता है. राहगीरों का कहना है कि कि प्रशासन ने यहां पर उजाले के लिए लाइट की व्यवस्था भी नहीं की हुई है, जिसके कारण दुर्घटना और लूटपाट का खतरा भी बना रहता है.

Jheer Nursery Latest News, condition of Jheer nursery of Jhalawar
दुर्घटना और लूटपाट का खतरा

पढ़ें- Special: सरकार के 260 कर्मचारी ही डकार गए गरीबों निवाला, अब होगी वसूली

वहीं, झीर नर्सरी में साईं बाबा का प्रसिद्ध मंदिर भी है. ऐसे में मंदिर के पुजारी ने बताया कि वो वर्षों से मंदिर में सेवा करते हुए यहां रह रहे हैं, लेकिन इस साल पहली बार ये देखने को मिला है कि नर्सरी में बहुत कम पेड़ रह गए हैं. उनका कहना है कि नर्सरी उजड़ने की कगार पर पहुंच गई है.

Jheer Nursery Latest News, condition of Jheer nursery of Jhalawar
पौधों की उम्र पूरी हो जाने के कारण टूट गए हैं

पौधों की उम्र पूरी हो जाने के कारण टूट गए हैंः वन विभाग

इसको लेकर वन विभाग के एसीएफ ओम प्रकाश जांगिड़ ने बताया कि आंधी तूफान और बांस के पौधों की उम्र पूरी हो जाने के कारण यह टूट गए हैं. उनका कहना है कि बजट की कमी के कारण इनकी कटाई नहीं करवाई जा सकी है. ऐसे में उच्च स्तर से बजट की मांग की गई है. जांगिड़ का कहना है कि जल्द ही बजट आने के बाद पीडब्ल्यूडी के सहयोग से पेड़ों को सड़क से हटाते हुए व्यवस्थित कर दिया जाएगा.

झालावाड़. जिले में सबसे ज्यादा बारिश और हरियाली के कारण झालावाड़ को राजस्थान का चेरापूंजी कहा जाता है. ऐसे में झालावाड़ में चेरापूंजी का एहसास यहां की झीर नर्सरी करवाती है. ये नर्सरी कभी गुच्छेदार बांस के पेड़ों से इतनी आबाद रहती थी कि सूरज की किरणें भी जमीन तक नहीं पहुंच पाती थी, लेकिन आज उचित देखरेख के अभाव में और आंधी तूफान के कारण यहां के अधिकतर बांस के पेड़ टूट गए हैं. इसके कारण झीर नर्सरी पूरी तरह से उजड़ने की कगार पर पहुंचती जा रही है.

झीर पर भारी लापरवाही

झालावाड़ से भवानीमंडी मार्ग पर स्थित झीर नर्सरी जिले की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है. यहां पर सड़क के दोनों ओर लगे गुच्छेदार बांस के पेड़ ऊपर जाकर आपस में मिलते हुए पूर्वोत्तर भारत में होने का एहसास करवाता है. ये गुच्छेदार बांस पेड़ इतने आकर्षक लगते थे कि यहां से गुजरने वाला हर एक व्यक्ति यहां पर रुक कर जाया करता था. लेकिन लॉकडाउन के दौरान आए आंधी-तूफान में यह झीर नर्सरी उजड़ गई और रही-सही कसर प्रशासन की लापरवाही ने पूरी कर दी.

Jheer Nursery Latest News, condition of Jheer nursery of Jhalawar
झीर नर्सरी उजड़ी

पढ़ें- Special : देशभर में प्रसिद्ध हैं नागौर में बनी धातु और प्लास्टिक की चूड़ियां, कोरोना काल में 60 फीसदी घटी मांग

बांस के पेड़ टूटकर सड़क के ऊपर झूलते रहते हैं...

प्रशासनिक लापरवाही का अंदाजा इस बात से लग सकता है कि बांस के पेड़ टूटकर सड़क के ऊपर झूलते रहते हैं. इससे सड़क पर दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है. इसके बावजूद 4 महीने बीत जाने के बाद भी प्रशासन ने ना तो टूटे हुए बांस के पेड़ों को हटाना उचित समझा और ना ही नर्सरी की कोई सुध ली.

Jheer Nursery Latest News, condition of Jheer nursery of Jhalawar
उचित देखरेख की जरूरत

राहगीरों ने बताया कि पहले जब भी वो यहां से गुजरते थे तो झीर नर्सरी में रुक कर जाते थे क्योंकि यहां पर उन्हें सुकून मिलता था. यहां पर बांस के पेड़ बहुत खूबसूरत लगते थे. साथ ही यहां पर इतनी छाया रहती थी कि सूरज की किरणें जमीन तक नहीं पहुंच पाती थी. वहीं यहां पर बांस के बहुत घने पेड़ हुआ करते थे, जिससे गर्मियों में भी ठंडक का एहसास होता था, लेकिन आंधी-तूफान और प्रशासनिक लापरवाही से अब झीर नर्सरी उजड़ चुकी है.

दुर्घटना और लूटपाट का खतरा

झीर नर्सरी में अब पेड़ों के टूट जाने के कारण गर्मी का एहसास होने लग जाता है. राहगीरों का कहना है कि कि प्रशासन ने यहां पर उजाले के लिए लाइट की व्यवस्था भी नहीं की हुई है, जिसके कारण दुर्घटना और लूटपाट का खतरा भी बना रहता है.

Jheer Nursery Latest News, condition of Jheer nursery of Jhalawar
दुर्घटना और लूटपाट का खतरा

पढ़ें- Special: सरकार के 260 कर्मचारी ही डकार गए गरीबों निवाला, अब होगी वसूली

वहीं, झीर नर्सरी में साईं बाबा का प्रसिद्ध मंदिर भी है. ऐसे में मंदिर के पुजारी ने बताया कि वो वर्षों से मंदिर में सेवा करते हुए यहां रह रहे हैं, लेकिन इस साल पहली बार ये देखने को मिला है कि नर्सरी में बहुत कम पेड़ रह गए हैं. उनका कहना है कि नर्सरी उजड़ने की कगार पर पहुंच गई है.

Jheer Nursery Latest News, condition of Jheer nursery of Jhalawar
पौधों की उम्र पूरी हो जाने के कारण टूट गए हैं

पौधों की उम्र पूरी हो जाने के कारण टूट गए हैंः वन विभाग

इसको लेकर वन विभाग के एसीएफ ओम प्रकाश जांगिड़ ने बताया कि आंधी तूफान और बांस के पौधों की उम्र पूरी हो जाने के कारण यह टूट गए हैं. उनका कहना है कि बजट की कमी के कारण इनकी कटाई नहीं करवाई जा सकी है. ऐसे में उच्च स्तर से बजट की मांग की गई है. जांगिड़ का कहना है कि जल्द ही बजट आने के बाद पीडब्ल्यूडी के सहयोग से पेड़ों को सड़क से हटाते हुए व्यवस्थित कर दिया जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.