झालावाड़. नगर परिषद की जमीनों पर अवैध पक्का निर्माण करने वालों या किसी अन्य सबलेट किराएदार को जमीन देने वालों के खिलाफ झालावाड़ नगर परिषद एक्शन मोड में आने वाली है. नगर परिषद के द्वारा सर्वे करते हुए ऐसे लोगों पर जुर्माने सहित कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि झालावाड़ नगर परिषद द्वारा शहर में मंगलपुरा, बड़ा बाजार, सर्राफा बाजार और बस स्टैंड सहित विभिन्न जगहों पर बेसहाय, जरूरमंद व रोजगार विहीन व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से कई साल पहले बेहद कम किराए पर जमीन दी गई थी. लेकिन अब उस भूमि पर उन लोगों ने या तो बिना निर्माण स्वीकृति के पक्का निर्माण करवा लिया या फिर किसी और को किराए पर दे दिया, जो कि अवैध है. जरूरमंद लोगों को किराए पर दी गई भूमि पर केवल कच्चा निर्माण करने या गुमटी रखने की ही अनुमति थी. ताकि वो अपना रोजगार कर सकें. मूल किराएदारों के अलावा कई व्यक्तियों ने विभिन्न स्थानों पर अवैध रूप से भी दुकानों का निर्माण कर लिया गया है.
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नगर परिषद की आयुक्त रूही तरन्नुम ने बताया कि नगर परिषद की टीम के द्वारा मौके पर जाकर सर्वे किया जाएगा. अगर मूल किराएदार के स्थान पर सबलेट किराएदार व्यापारिक गतिविधियां करता हुआ पाया जाता है तो मूल किराएदार का किरायानामा निरस्त करते हुए जमीन को नगर परिषद द्वारा जब्त कर लिया जाएगा. वहीं बिना निर्माण स्वीकृति के किराए की जमीन पर अवैध पक्का निर्माण करने वालों के ऊपर भी जुर्माना लगाते हुए कड़ी कार्रवाई की जाएगी. ऐसे में नगर परिषद ने चेतावनी भी जारी की है कि नगर परिषद की जमीन पर अवैध अतिक्रमण कर दुकान लगाने वाले अपना अतिक्रमण हटा लें. अन्यथा नगर परिषद द्वारा अवैध अतिक्रमण को हटाया जाएगा, जिसमें हर्जे-खर्चे की जिम्मेदारी उनकी स्वयं की होगी.
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आयुक्त तरन्नुम ने बताया कि नगर परिषद के द्वारा शहर में 204 लोगों को जमीने दी गई हैं, जिसमें उनको 5×6 साइज से लेकर 8×10 और अधिकतम 36×29 साइज की भूमि के टुकड़े दिए गए हैं, जिसमें किराएदारों से 62 पैसे प्रतिमाह से लेकर अधिकतम 200 रुपये प्रतिमाह किराया वसूला जाता है.
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वहीं नगर परिषद के इस कदम को लेकर शहरवासियों का कहना है कि झालावाड़ में जब से नगरपालिका थी, तब से ऐसी कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. नगर परिषद के द्वारा अब यह कदम उठाया जा रहा है, जो कि अच्छा है. लेकिन ऐसा लगता है कि नगर परिषद प्रशासन ने जागने में काफी देर कर दी है. क्योंकि शहर में अधिकांश जगहों पर किराएदारों ने या तो जमीन पर पक्का निर्माण कर लिया है या फिर जमीनों को ही बेच दिया है.
वहीं कई मामलों में तो मूल किराएदार के अलावा कोई अन्य व्यक्ति उनकी जमीन पर काम कर रहा है. ऐसे में अगर नगर परिषद के द्वारा इस मामले को लेकर गंभीरता से काम किया जाता है तो यह झालावाड़ के हित में होगा और झालावाड़ शहर को इसकी सख्त आवश्यकता भी है.