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Social Media का कमाल, जंगल में फंसे 7 गुजराती पर्यटकों की सोशल मीडिया पर संदेश मिलने के बाद मंदिर ट्रस्ट और प्रशासन ने बचाई जान

सुंधा पर्वत के जंगल में फंसे 7 गुजराती पर्यटकों की सोशल मीडिया पर संदेश मिलने के बाद मंदिर ट्रस्ट और प्रशासन ने उनकी जान बचाई. सोशल मीडिया के सकारात्मक उपयोग ने 7 लोगों के जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मंदिर ट्रस्ट और प्रशासन ने 7 पर्यटकों को सुरक्षित बाहर निकाला.

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Published : Nov 8, 2019, 3:37 PM IST

रानीवाड़ा (जालोर). हर चीज के दो पहलू होते हैं, एक नकारात्मक और एक सकारात्मक. बस उपयोग करने वाले पर निर्भर है कि वह किस दिशा में जाना चाहता है. कुछ ऐसा ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म भी है, गुरुवार रात को इसके सकारात्मक उपयोग ने 7 लोगों के जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

हुआ यूं कि गुजरात से सुंधाजी घूमने आए कुछ पर्यटकों में से 7 युवा सुंधाजी से पुरण स्थल टीले देखने चले गए, लेकिन जिस जंगल के रास्ते गए थे, वापस आते समय वे रास्ता भटक गए. दिन में गए ये युवा ऐसा रास्ता भटके कि अंधेरा हो गया और फिर भी रास्ता नहीं मिल पाया. युवा घना जंगल होने के कारण डरे सहमे हुए थे. पास में खाने पीने की चीजें भी नहीं थी, पानी भी नहीं होने से हालात मुश्किल हो गए.

सोशल मीडिया पर संदेश मिलने बाद मंदिर ट्रस्ट व प्रशासन ने बचाई जान

घना अंधेरा होने लगा तो डर के मारे उन्होंने सूरत गुजरात मोबाइल पर मदद की सूचना दी, जिस पर वहां से सूरत के थाना प्रभारी बसन्त भाई को इन्होंने फोन पर आपबीती बताई. बसन्त भाई ने सबसे पहले उनके जानकार सिरोही निवासी उत्तम चौधरी को जानकारी दी.

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चौधरी ने मदद की गुहार के लिए एक व्हाट्सअप समूह में जानकारी डाली. उस समूह में जुड़े एक सदस्य ने तत्काल प्रभाव से इस सम्बंध में जालोर जिला कलेक्टर महेंद्र सोनी और सुंधा माताजी मन्दिर के सह-व्यवस्थापक जितेन्द्र सिंह को बताया. कलेक्टर सोनी ने इसे गम्भीरता से लेते हुए तत्काल प्रभाव से सम्बंधित तहसीलदार और पुलिस टीम को पानी और बिस्किट के साथ खोजबीन के लिए भेज दिया. जंगल में घना अंधेरा होने तथा भालू संरक्षित क्षेत्र होने के कारण पर्यटकों को वन्यजीवों से भी डर लग रहा था. उनकी लोकेशन नहीं मिल पा रही थी.

यह भी पढ़ेंः महाराष्ट्र के हाल के लिए भाजपा खुद जिम्मेदार : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत​​​​​​​

इधर दूसरी तरफ से व्यवस्थापक जितेंद्र सिंह ने अपनी टीम किरण कुमार चौकीदार खंगार राम देवासी, कर्मचारी वनाराम हीरागर, लक्ष्मण सिंह चौकीदार भी भेज दिए. मोबाइल पर सम्पर्क हुआ तो उनकी गूगल लोकेशन ट्रैक की गई, जिसके आधार पर सुंधा माताजी मन्दिर की टीम उन तक पहुंच गई. इसी दौरान पुलिस, वन विभाग और प्रशासन टीम भी मौके पर पहुंची. बाद में सातों युवाओं को जंगल से बाहर निकालकर सुरक्षित स्थान पर लाया गया. ये युवा रास्ता इस प्रकार से भटके कि रास्ते से दूर पहाड़ी की ऊंची चोटी पर चले गए थे. जहां घना जंगल था और भालुओं के विचरण का भी स्थान है.

ऐसे में कलेक्टर सोनी की तत्परता और जितेंद्र सिंह टीम के सहयोग से 7 पर्यटकों की जान बच गई. पर्यटक लक्ष्मण पुत्र चतराराम चौधरी, महेंद्र पुत्र रामाराम चौधरी, हरेश पुत्र दानाभाई चौधरी, नानजी भाई पुत्र कृष्ण भाई चौधरी, संजय पुत्र भूराभाई चौधरी, दिनेश पुत्र सुजाभाई चौधरी और रमेश पुत्र कृष्ण भाई चौधरी निवासी वासड़ा तहसील पाथावाड़ा जिला बनासकांठा गुजरात के निवासी हैं.

रानीवाड़ा (जालोर). हर चीज के दो पहलू होते हैं, एक नकारात्मक और एक सकारात्मक. बस उपयोग करने वाले पर निर्भर है कि वह किस दिशा में जाना चाहता है. कुछ ऐसा ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म भी है, गुरुवार रात को इसके सकारात्मक उपयोग ने 7 लोगों के जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

हुआ यूं कि गुजरात से सुंधाजी घूमने आए कुछ पर्यटकों में से 7 युवा सुंधाजी से पुरण स्थल टीले देखने चले गए, लेकिन जिस जंगल के रास्ते गए थे, वापस आते समय वे रास्ता भटक गए. दिन में गए ये युवा ऐसा रास्ता भटके कि अंधेरा हो गया और फिर भी रास्ता नहीं मिल पाया. युवा घना जंगल होने के कारण डरे सहमे हुए थे. पास में खाने पीने की चीजें भी नहीं थी, पानी भी नहीं होने से हालात मुश्किल हो गए.

सोशल मीडिया पर संदेश मिलने बाद मंदिर ट्रस्ट व प्रशासन ने बचाई जान

घना अंधेरा होने लगा तो डर के मारे उन्होंने सूरत गुजरात मोबाइल पर मदद की सूचना दी, जिस पर वहां से सूरत के थाना प्रभारी बसन्त भाई को इन्होंने फोन पर आपबीती बताई. बसन्त भाई ने सबसे पहले उनके जानकार सिरोही निवासी उत्तम चौधरी को जानकारी दी.

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चौधरी ने मदद की गुहार के लिए एक व्हाट्सअप समूह में जानकारी डाली. उस समूह में जुड़े एक सदस्य ने तत्काल प्रभाव से इस सम्बंध में जालोर जिला कलेक्टर महेंद्र सोनी और सुंधा माताजी मन्दिर के सह-व्यवस्थापक जितेन्द्र सिंह को बताया. कलेक्टर सोनी ने इसे गम्भीरता से लेते हुए तत्काल प्रभाव से सम्बंधित तहसीलदार और पुलिस टीम को पानी और बिस्किट के साथ खोजबीन के लिए भेज दिया. जंगल में घना अंधेरा होने तथा भालू संरक्षित क्षेत्र होने के कारण पर्यटकों को वन्यजीवों से भी डर लग रहा था. उनकी लोकेशन नहीं मिल पा रही थी.

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इधर दूसरी तरफ से व्यवस्थापक जितेंद्र सिंह ने अपनी टीम किरण कुमार चौकीदार खंगार राम देवासी, कर्मचारी वनाराम हीरागर, लक्ष्मण सिंह चौकीदार भी भेज दिए. मोबाइल पर सम्पर्क हुआ तो उनकी गूगल लोकेशन ट्रैक की गई, जिसके आधार पर सुंधा माताजी मन्दिर की टीम उन तक पहुंच गई. इसी दौरान पुलिस, वन विभाग और प्रशासन टीम भी मौके पर पहुंची. बाद में सातों युवाओं को जंगल से बाहर निकालकर सुरक्षित स्थान पर लाया गया. ये युवा रास्ता इस प्रकार से भटके कि रास्ते से दूर पहाड़ी की ऊंची चोटी पर चले गए थे. जहां घना जंगल था और भालुओं के विचरण का भी स्थान है.

ऐसे में कलेक्टर सोनी की तत्परता और जितेंद्र सिंह टीम के सहयोग से 7 पर्यटकों की जान बच गई. पर्यटक लक्ष्मण पुत्र चतराराम चौधरी, महेंद्र पुत्र रामाराम चौधरी, हरेश पुत्र दानाभाई चौधरी, नानजी भाई पुत्र कृष्ण भाई चौधरी, संजय पुत्र भूराभाई चौधरी, दिनेश पुत्र सुजाभाई चौधरी और रमेश पुत्र कृष्ण भाई चौधरी निवासी वासड़ा तहसील पाथावाड़ा जिला बनासकांठा गुजरात के निवासी हैं.

Intro:रानीवाड़ा (जालोर ) - सुंधा पर्वत के जंगल में फंसे 7 गुजराती पर्यटकों की सोशल मीडिया पर संदेश मिलने बाद मंदिर ट्रस्ट व प्रशासन ने बचाई जान, सोशल मीडिया के सकारात्मक उपयोग ने 7 लोगों के जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मंदिर ट्रस्ट व प्रशासन ने 7 पर्यटकों को सुरक्षित बाहर निकाला । Body:रानीवाड़ा ( जालोर)- हर चीज के दो पहलू होते है। एक नकारात्मक और एक सकारात्मक, बस उपयोग करने वाले पर निर्भर है कि वह किस दिशा में जाना चाहता है। कुछ ऐसा ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म भी है, गुरुवार रात को इसके सकारात्मक उपयोग ने 7 लोगों के जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हुआ यूं कि गुजरात से सुंधाजी घूमने आए कुछ पर्यटकों में से 7 युवा सुंधाजी से पुरण स्थल टीले देखने चले गए, लेकिन जिस जंगल के रास्ते गए थे, वापस आते समय वे रास्ता भटक गए। दिन में गए ये युवा ऐसा रास्ता भटके कि अंधेरा हो गया और फिर भी रास्ता नहीं मिल पाया। 7 युवा घना जंगल होने के कारण डरे सहमे हुए थे। पास में खाने पीने की चीजें भी नहीं थी। पानी भी नहीं होने से हालात मुश्किल हो गए। घना अंधेरा होने लगा तो डर के मारे उन्होंने सूरत गुजरात मोबाइल पर मदद की सूचना दी। जिस पर वहां से सूरत के थाना प्रभारी बसन्त भाई को इन्होंने फोन पर आपबीती बताई। बसन्त भाई ने सबसे पहले उनके जानकार सिरोही निवासी उत्तम चौधरी को जानकारी दी।

उत्तम चौधरी ने मदद की गुहार के लिए एक व्हाट्सअप समूह में जानकारी डाली। उक्त समूह में जुड़े एक सदस्य ने तत्काल प्रभाव से इस सम्बंध में जालोर जिला कलेक्टर महेंद्र सोनी और सुंधामाताजी मन्दिर के सह व्यवस्थापक जितेन्द्रसिंह को बताया। कलेक्टर सोनी ने इसे गम्भीरता से लेते हुए तत्काल प्रभाव से सम्बंधित तहसीलदार और पुलिस टीम को पानी औऱ बिस्किट के साथ खोजबीन के लिए भेज दिया। जंगल में घना अंधेरा होने के तथा भालू संरक्षित क्षेत्र होने के कारण पर्यटकों को वन्यजीवों से भी डर लग रहा था। उनकी लोकेशन नहीं मिल पा रही थी। इधर दूसरी तरफ से सहव्यवस्थापक जितेंद्र सिंह ने अपनी टीम किरण कुमार चौकीदार खंगार राम देवासी, कर्मचारी वनाराम हीरागर, लक्ष्मण सिंह चौकीदार भी भेज दिए। मोबाइल पर सम्पर्क हुआ तो उनकी गूगल लोकेशन ट्रेस की गई। जिसके आधार पर सुंधामाताजी मन्दिर की टीम उन तक पहुंच गई। इसी दौरान पुलिस, वन विभाग और प्रशासन टीम भी मौके पर पहुंची। बाद में सातों युवाओं को जंगल से बाहर निकालकर सुरक्षित स्थान पर लाया गया। ये युवा रास्ता इस प्रकार से भटके कि रास्ते से दूर पहाड़ी की ऊंची चोटी पर चले गए थे। जहां घना जंगल था और भालुओं के विचरण का भी स्थान है। ऐसे में कलेक्टर सोनी की तत्परता और जितेंद्र सिंह टीम के सहयोग से 7 पर्यटकों की जान बच गई। पर्यटक लक्ष्मण पुत्र चतराराम चौधरी , महेंद्र पुत्र रामाराम चौधरी, हरेश पुत्र दानाभाई चौधरी, नानजी भाई पुत्र कृष्ण भाई चौधरी , संजय पुत्र भूराभाई चौधरी , दिनेश पुत्र सुजाभाई चौधरी , रमेश पुत्र कृष्ण भाई चौधरी निवासी वासड़ा तहसील पाथावाड़ा जिला बनासकांठा गुजरात के निवासी थे।Conclusion:
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