जालोर. भारत कृषि प्रधान देश है. वर्तमान में किसानों के आर्थिक हालात सबसे खराब है. एक तरफ कर्ज का बोझ है तो दूसरी तरफ सरकार भी किसानों को इससे उभारने के लिए कोई प्रयास करती नजर नहीं आ रही है. किसानों की आत्महत्या की खबर भी न्यू नॉर्मल बन कर रह गई है. सरकारों को चाहिए कि वो किसानों को कृषि संबंधित सहायता उपलब्ध कराए. चाहे वो आधुनिक संसाधन उपलब्ध कराना हो या उनको अलग-अलग सब्सिडी देकर राहत प्रदान करना.
राज्य में कृषि कनेक्शनों वाले प्रत्येक बिजली बिल पर पहले किसानों को 833 रुपए की छूट मिलती थी, लेकिन इस छूट पर राज्य सरकार ने एक साल से कुंडली मार रखी है. जिसके कारण किसानों को मिलने वाली करोड़ों की राहत राशि अधर में झूल रही है. पहले किसानों को कहा गया कि बिजली के बिलों में डीबीटी छूट की राशि आप जमा करवा दें, बाद में आपको राशि वापस मिल जाएगी, लेकिन एक साल से ज्यादा समय हो गया है, जमा करवाई हुई रकम किसानों को वापस नहीं मिली है. अब सरकार ने यह छूट ही बंद कर दी है.
जिले के 65 हजार किसानों को झटका
जालोर जिले में कुल 371174 बिजली के कनेक्शन हैं. जिनमें से 280729 घरेलू कनेक्शन हैं. वहीं, 65 हजार के करीब कृषि कनेक्शन और 25 हजार औद्योगिक कनेक्शन हैं. आसान भाषा में समझें तो अकेले जालोर जिले के 65 हजार कृषि कनेक्शन पर हर बिल के साथ मिलने वाली 833 रुपए की छूट अब बंद हो गई है. हर दो महीने में एक बार बिजली का बिल आता है. उस हिसाब से एक कनेक्शन पर साल में 6 बार बिजली का बिल आता है. प्रत्येक बिल पर 833 रुपए की छूट के हिसाब से देखें तो सालभर में 5000 रुपए की छूट मिलती थी. जो अब बंद हो गई है.
32 करोड़ से अधिक की सब्सिडी रोकी
जिले में 65 हजार कृषि कनेक्शन हैं. अगर सालाना एक बिल पर 5 हजार रुपए की छूट मान कर चलें तो कुल 32 करोड़ 50 लाख रुपए की सब्सिडी के माध्यम से मिलने वाली छूट किसानों को बंद हो गई है. ये राशि अकेले जालोर जिले की है. पूरे प्रदेश की बात करें तो सब्सिडी के तहत किसानों को मिलने वाली छूट सैंकड़ों करोड़ों में पहुंच जाएगी. साथ ही पहले दो महीने में एक बार बिजली का बिल आता था. जो अब हर महीने आ रहा है. जिससे किसानों को प्रत्येक बिल के साथ अतिरिक्त जितने भी शुल्क होते हैं वो अब किसानों को साल में 12 बार भरने पड़ रहे हैं.
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बिजली की दरों में बढ़ोतरी
सरकार की तरफ से कहा गया था कि बिजली बिलों की दरों में बढ़ोतरी नहीं की जाएगी. साथ ही 8 घंटे बिजली देने की बात कही गई थी. लेकिन अब 1 साल से बिजली की दरों में भी बढ़ोतरी कर दी गई है. किसानों का आरोप है कि बिजली भी समय से नहीं आती है. किसान छोगाराम चौधरी ने ईटीवी भारत को बताया कि सरकार की तरफ से किसानों को कोई छूट नहीं दी जा रही है और जो छूट दी जा रही थी उसको भी बंद कर दिया गया है. किसानों के पास बीज खरीदने तक के पैसे नहीं हैं. विजलेंस की टीम बिजली के कनेक्शन काट रही है.
जहां किसानों की माली हालात पहले से ही खराब थी. कोरोना ने किसानों की आर्थिक कमर और तोड़ दी. उनके पास ना तो बीज के पैसे हैं ना ही बिजली बिल भरने के. प्रदेशभर में लगातार किसान संगठन अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार की तरफ से लगातार किसानों के हितों की अनदेखी उनको कर्ज के दलदल में धकेल रही है.