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स्पेशल रिपोर्ट: नर्मदा नहर से असिंचित क्षेत्र के किसानों को नहीं मिल रहा पानी... गुस्साए किसानों ने दी चेतावनी

जालोर जिले के सांचोर और चितलवाना उपखण्ड क्षेत्र के दर्जनों गांव नर्मदा कमांड क्षेत्र से बाहर रखने के कारण इन गांवों के किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है. ऐसे में अब किसानों ने मजबूर होकर आत्मदाह की चेतावनी दी है. साथ ही चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार व नर्मदा विभाग हमारा दर्द समझे नहीं तो नहर में गिरकर सामूहिक तौर पर पीड़ित किसान एक साथ आत्महत्या करेंगे.

Narmada canal water, irrigation in Sanchore jalore
नर्मदा नहर से असिंचित क्षेत्र के किसानों को नहीं मिल रहा पानी
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Published : Dec 2, 2019, 4:05 PM IST

सांचोर (जालोर). किसानों के खेतों के बीचों बीच से नर्मदा मुख्य नहर निकाली गयी है, लेकिन वे किसान नहर का एक बूंद भी पानी उपयोग में नही ले पाएंगे, क्योंकि उन किसानों के खेत इस क्षेत्र से असिंचित क्षेत्र रखे गए है. आखिर इस क्षेत्र को असिंचित क्षेत्र में क्यों रखा गया. इसका कारण आज तक कोई बता नहीं पाया. गत साल तक किसान पाइप डालकर खेतों की सिंचाई कर रहे थे. लेकिन इस साल किसानों को विभाग ने साफ मना कर दिया है कि अगर आपने नहर में पाइप डाला तो आपके पाइप काटे जाएंगे और आप पर कार्रवाई होगी.

नर्मदा नहर से असिंचित क्षेत्र के किसानों को नहीं मिल रहा पानी

किसानों ने सैकड़ो बीघा जमीन तैयार कर रखी है. लेकिन अब किसान ज्यों ही नहर पर पाइप डालते है तो विभाग के अधिकारी, ठेकेदार आते है और पाइप काटकर ले जाते है. आखिरकार किसानों ने परेशान होकर एकत्रित हुए और निर्णय लिया कि या तो विभाग हमें पानी दें, अगर विभाग ने हमें पानी नही दिया तो हम आत्मदाह कर लेंगे, क्योंकि हमारे खेत से नहर निकलती है और हमें ही पानी से वंचित रखा जा रहा है.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: प्याज के बढ़ते दामों ने बजट के साथ सब्जियों का जायका भी बिगाड़ दिया

दो दर्जन से ज्यादा गांव के किसान पानी से वंचित
चितलवाना उपखण्ड के दो दर्जन से अधिक गांव नर्मदा मुख्य नहर के अनकमांड क्षेत्र में है. जिन किसानों की बेशकीमती जमीन औने-पौने दाम पर लेकर इनके खेतों के बीच में से नहर निकालकर खेतों को अधिगृहित कर लिया और खेत के बीच में से नहर निकलने से खेत को भी दो टुकड़ो में बांट दिया. उस समय किसानों ने कोई विरोध नहीं किया क्योंकि किसानों ने सोचा कि नर्मदा का मीठा पानी मिलेगा और उस मीठे पानी मिलने से अच्छी फसल होगी. उससे इस नुकसान की भरपाई भी हो जाएगी, लेकिन ग्रामीणों की मानें तो सरकार ने इन किसानों के साथ ऐसा होने नहीं दिया. क्योंकि इन किसानों की भूमि असिंचित क्षेत्र में है. जिसके कारण अभी इस क्षेत्र के किसान नहर में से एक लीटर पानी भी नहीं ले पाएंगे.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: डॉक्टर्स ने दी वृद्धा को चारपाई पर आराम करने को सलाह...लेकिन जयपुर की इस संस्था ने 15 दिनों में पैरों पर किया खड़ा

पिछले साढ़े तीन साल से धरने पर किसान
किसान अपने खेतों को सिंचित क्षेत्र में शामिल करने के लिए पिछले साढ़े तीन साल से धरने पर है. किसानों का कहना है कि हम पिछले साढ़े तीन साल से जयपुर के सिंचाई मंत्री व गृह मंत्री से बात भी की, लेकिन किसी भी प्रकार से उनकी समस्या का समाधान नहीं किया. एक तरफ नर्मदा के अधिकारियों व नेताओं का कहना है कि पानी की कमी की वजह से कमांड क्षेत्र में नहीं जोड़ा जा रहा है. वहीं सांचोर क्षेत्र में कई जगह नर्मदा नहर से ओवरफ्लो पानी छोड़ा जा रहा है, जो किसानों के लिए समस्या बनी हुई है.

पढ़ें- हाल-ए-सरकार : विधायकों और पूर्व विधायकों के वेतन और पेंशन तो बढ़े, लेकिन अब तक लागू नहीं हो पाए

क्षेत्र में लूणी नदी क्षेत्र, झांकरड़ा व सेसावा के पास ओवरफ्लो पानी छोड़ा गया है. किसानों का कहना है कि जितना पानी ओवरफ्लो में छोड़ा जा रहा है. उस पानी से अनकमांड क्षेत्र को कमांड में जोड़कर पानी दिया जा सकता है. क्षेत्र के मेलावास, साहू एंव डऊकियो की ढाणी, गुड़ाहेमा, भादू एवं गोयतो की ढाणी, धरणावास, रामपुरा, तांतड़ा, वमल, वीरावा, मेघावा, कुंडकी, मणोहर, मेलावास, सहित कई गांव नर्मदा नहर के असिंचित क्षेत्र में है. जिनको किसान सिंचित क्षेत्र में जोड़ने की मांग को लेकर पिछले साढ़े तीन साल से धरने पर बैठे है, लेकिन सरकार ने इनकी बात नहीं सुनी.

पढ़ें- स्पेशल :450 सफाई कर्मचारियों की जल्द होगी भर्ती, वाल्मीकि समाज ने ईटीवी भारत का जताया आभार

2008 में आया था नहर में पानी, तब से वंचित है किसान
27 मार्च 2008 को सांचोर के सीलु गांव में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उद्धघाटन कर क्षेत्र में पानी की आपूर्ति शुरु की थी. तब से लेकर आज तक तीन बार सरकार बदली है, लेकिन किसी भी सरकार ने इन किसानों का दर्द नहीं समझा. 2008 से लेकर आज तक इन किसानों को केवल आश्वासन ही मिला. लेकिन इनकी समस्याओं का समाधान करने की बात किसी ने नहीं की. सूबे के वन एवं पर्यावरण मंत्री व क्षेत्र के विधायक सुखराम बिश्नोई को भी किसानों ने कई बार समस्याओं से अवगत करवाया, लेकिन आज तक इन किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है. आखिरकार सभी तरफ से रास्ते बंद देख किसानों ने सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी दे डाली. अब देखना यह होगा कि किसानों की चेतावनी के बाद जिम्मेदार लोग क्या कदम उठाते है.

सांचोर (जालोर). किसानों के खेतों के बीचों बीच से नर्मदा मुख्य नहर निकाली गयी है, लेकिन वे किसान नहर का एक बूंद भी पानी उपयोग में नही ले पाएंगे, क्योंकि उन किसानों के खेत इस क्षेत्र से असिंचित क्षेत्र रखे गए है. आखिर इस क्षेत्र को असिंचित क्षेत्र में क्यों रखा गया. इसका कारण आज तक कोई बता नहीं पाया. गत साल तक किसान पाइप डालकर खेतों की सिंचाई कर रहे थे. लेकिन इस साल किसानों को विभाग ने साफ मना कर दिया है कि अगर आपने नहर में पाइप डाला तो आपके पाइप काटे जाएंगे और आप पर कार्रवाई होगी.

नर्मदा नहर से असिंचित क्षेत्र के किसानों को नहीं मिल रहा पानी

किसानों ने सैकड़ो बीघा जमीन तैयार कर रखी है. लेकिन अब किसान ज्यों ही नहर पर पाइप डालते है तो विभाग के अधिकारी, ठेकेदार आते है और पाइप काटकर ले जाते है. आखिरकार किसानों ने परेशान होकर एकत्रित हुए और निर्णय लिया कि या तो विभाग हमें पानी दें, अगर विभाग ने हमें पानी नही दिया तो हम आत्मदाह कर लेंगे, क्योंकि हमारे खेत से नहर निकलती है और हमें ही पानी से वंचित रखा जा रहा है.

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दो दर्जन से ज्यादा गांव के किसान पानी से वंचित
चितलवाना उपखण्ड के दो दर्जन से अधिक गांव नर्मदा मुख्य नहर के अनकमांड क्षेत्र में है. जिन किसानों की बेशकीमती जमीन औने-पौने दाम पर लेकर इनके खेतों के बीच में से नहर निकालकर खेतों को अधिगृहित कर लिया और खेत के बीच में से नहर निकलने से खेत को भी दो टुकड़ो में बांट दिया. उस समय किसानों ने कोई विरोध नहीं किया क्योंकि किसानों ने सोचा कि नर्मदा का मीठा पानी मिलेगा और उस मीठे पानी मिलने से अच्छी फसल होगी. उससे इस नुकसान की भरपाई भी हो जाएगी, लेकिन ग्रामीणों की मानें तो सरकार ने इन किसानों के साथ ऐसा होने नहीं दिया. क्योंकि इन किसानों की भूमि असिंचित क्षेत्र में है. जिसके कारण अभी इस क्षेत्र के किसान नहर में से एक लीटर पानी भी नहीं ले पाएंगे.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: डॉक्टर्स ने दी वृद्धा को चारपाई पर आराम करने को सलाह...लेकिन जयपुर की इस संस्था ने 15 दिनों में पैरों पर किया खड़ा

पिछले साढ़े तीन साल से धरने पर किसान
किसान अपने खेतों को सिंचित क्षेत्र में शामिल करने के लिए पिछले साढ़े तीन साल से धरने पर है. किसानों का कहना है कि हम पिछले साढ़े तीन साल से जयपुर के सिंचाई मंत्री व गृह मंत्री से बात भी की, लेकिन किसी भी प्रकार से उनकी समस्या का समाधान नहीं किया. एक तरफ नर्मदा के अधिकारियों व नेताओं का कहना है कि पानी की कमी की वजह से कमांड क्षेत्र में नहीं जोड़ा जा रहा है. वहीं सांचोर क्षेत्र में कई जगह नर्मदा नहर से ओवरफ्लो पानी छोड़ा जा रहा है, जो किसानों के लिए समस्या बनी हुई है.

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क्षेत्र में लूणी नदी क्षेत्र, झांकरड़ा व सेसावा के पास ओवरफ्लो पानी छोड़ा गया है. किसानों का कहना है कि जितना पानी ओवरफ्लो में छोड़ा जा रहा है. उस पानी से अनकमांड क्षेत्र को कमांड में जोड़कर पानी दिया जा सकता है. क्षेत्र के मेलावास, साहू एंव डऊकियो की ढाणी, गुड़ाहेमा, भादू एवं गोयतो की ढाणी, धरणावास, रामपुरा, तांतड़ा, वमल, वीरावा, मेघावा, कुंडकी, मणोहर, मेलावास, सहित कई गांव नर्मदा नहर के असिंचित क्षेत्र में है. जिनको किसान सिंचित क्षेत्र में जोड़ने की मांग को लेकर पिछले साढ़े तीन साल से धरने पर बैठे है, लेकिन सरकार ने इनकी बात नहीं सुनी.

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2008 में आया था नहर में पानी, तब से वंचित है किसान
27 मार्च 2008 को सांचोर के सीलु गांव में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उद्धघाटन कर क्षेत्र में पानी की आपूर्ति शुरु की थी. तब से लेकर आज तक तीन बार सरकार बदली है, लेकिन किसी भी सरकार ने इन किसानों का दर्द नहीं समझा. 2008 से लेकर आज तक इन किसानों को केवल आश्वासन ही मिला. लेकिन इनकी समस्याओं का समाधान करने की बात किसी ने नहीं की. सूबे के वन एवं पर्यावरण मंत्री व क्षेत्र के विधायक सुखराम बिश्नोई को भी किसानों ने कई बार समस्याओं से अवगत करवाया, लेकिन आज तक इन किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है. आखिरकार सभी तरफ से रास्ते बंद देख किसानों ने सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी दे डाली. अब देखना यह होगा कि किसानों की चेतावनी के बाद जिम्मेदार लोग क्या कदम उठाते है.

Intro:जिले के सांचोर व चितलवाना उपखण्ड क्षेत्र के दर्जनों गांवों को नर्मदा कमांड क्षेत्र से बाहर रखने के कारण इन गांवों के किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है। ऐसे में अब किसानों ने मजबूर होकर आत्मदाह की चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार व नर्मदा विभाग हमारा दर्ज समझे नहीं तो नहर में गिरकर सामूहिक तौर पर पीड़ित किसान एक साथ आत्महत्या करेंगे।





Body:नर्मदा नहर से असिंचित क्षेत्र के किसानों को नहीं मिल रहा है सिंचाई के लिए पानी, नहर से सिंचाई के लिए पानी ले रहे किसानों के पाइप काट रहा है विभाग, किसानों ने परेशान होकर दी आत्मदाह की चेतावनी
सांचोर (जालोर)
जिन किसानों के खेतों के बीचों बीच से नर्मदा मुख्य नहर निकाली गयी लेकिन वे किसान नहर का एक बूंद भी पानी उपयोग में नही ले पाएंगे, क्योंकि उन किसानों के खेत इस क्षेत्र से असिंचित क्षेत्र रखे गए है।आखिर इस क्षेत्र को असिंचित क्षेत्र में क्यों रखा गया इसका कारण आज तक कोई बता नही पाया। गत साल तक किसान पाइप डालकर खेतों की सिंचाई कर रहे थे लेकिन इस साल किसानों को विभाग ने साफ मना कर दिया है कि अगर आपने नहर में पाइप डाला तो आपके पाइप काटे जाएंगे और आप पर कार्यवाही होगी। किसानों ने सैकड़ो बीघा जमीन तैयार कर रखी है लेकिन अब किसान ज्यों ही नहर पर पाइप डालते है तो विभाग के अधिकारी, ठेकेदार आते है और पाइप काटकर ले जाते है। आखिरकार किसानो ने परेशान होकर एकत्रित हुए और निर्णय लिया कि या तो विभाग हमें पानी दे अगर विभाग ने हमें पानी नही दिया तो हम आत्मदाह कर लेंगे क्योंकि हमारी इस जिंदगी में कोई सार नही है क्योंकि हमारे खेत से नहर निकलती है और हमें ही पानी से वंचित रखा जा रहा है।
दो दर्जन से ज्यादा गांव के किसान है वंचित नर्मदा के पानी से
चितलवाना उपखण्ड के दो दर्जन से अधिक गांव नर्मदा मुख्य नहर के अनकमाण्ड क्षेत्र में है जिन किसानों की बेशकीमती जमीन औने-पौने दाम पर लेकर इनके खेतों के बीच में से नहर निकालकर खेतों को अधिगृहित कर लिया और खेत के बीच में से नहर निकलने से खेत को भी दो टुकड़ो में बांट दिया। उस समय किसानों ने कोई विरोध नहीं किया क्योंकि किसानों ने सोचा कि नर्मदा का मीठा पानी मिलेगा और उस मीठे पानी मिलने से अच्छी फसल होगी उससे इस नुकसान की भरपाई भी हो जाएगी, लेकिन ग्रामीणों की मानें तो सरकार ने इन किसानों के साथ ऐसा होने नहीं दिया। क्योंकि इन किसानों की भूमि असिंचित क्षेत्र में है जिसके कारण अभी इस क्षेत्र के किसान नहर में से एक लीटर पानी भी नहीं ले पाएंगे। किसान अपने खेतों को सिंचित क्षेत्र में शामिल करने के लिए पिछले साढ़े तीन साल से धरने पर है। किसानों का कहना है कि हम पिछले साढ़े तीन साल से जयपुर के सिंचाई मंत्री व गृह मंत्री से बात भी की लेकिन किसी भी प्रकार से उनकी समस्या का समाधान नही किया। एक तरफ नर्मदा के अधिकारियों व नेताओ का कहना है कि पानी की कमी की वजह से कमांड क्षेत्र में नहीं जोड़ा जा रहा है। वही सांचोर क्षेत्र में कई जगह नर्मदा नहर से ओवरफ्लो पानी छोड़ा जा रहा है जो किसानों के लिए समस्या बनी हुई है क्षेत्र में लुणी नदी क्षेत्र, झांकरड़ा व सेसावा के पास ओवरफ्लो पानी छोड़ा गया है। किसानों का कहना है कि जितना पानी ओवरफ्लो में छोड़ा जा रहा है उस पानी से अंकमाण्ड क्षेत्र को कमांड में जोड़कर पानी दिया जा सकता है। क्षेत्र के मेलावास, साहू एंव डऊकियो की ढाणी, गुड़ाहेमा, भादू एवं गोयतो की ढाणी,ध रणावास,रामपुरा,तांतड़ा,वमल, वीरावा, मेघावा, कुंडकी, मणोहर, मेलावास,साहू एंव डऊकियों की ढाणी, गुड़ाहेमा,भादू एंव गोयतों की ढाणी, धरणावास, तांतड़ा, वमल,सहित कई गांव नर्मदा नहर के असींचित क्षेत्र में है. जिनको किसान सिंचित क्षेत्र में जोड़ने की मांग को लेकर पिछले साढ़े तीन साल से धरने पर बैठे है, लेकिन सरकार ने इनकी बात नहीं सुनी।
2008 में आया था नहर में पानी, तब से वंचित है किसान
27 मार्च 2008 को सांचोर के सीलु गांव में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उद्धघाटन कर क्षेत्र में पानी की आपूर्ति शुरु की थी। तब से लेकर आज तक तीन बार सरकार बदली है लेकिन किसी भी सरकार ने इन किसानों का दर्द नही समझा। 2008 से लेकर आज तक इन किसानों को केवल आश्वासन ही मिला। लेकिन इनकी समस्याओं का समाधान करने की बात किसी ने नही की। सूबे के वन एवं पर्यावरण मंत्री व क्षेत्र के विधायक सुखराम बिश्नोई को भी किसानों ने कई बार समस्याओं से अवगत करवाया, लेकिन आज तक इन किसानों की समस्याओं का समाधान नही हुआ है।आखिरकार सभी तरफ से रास्ते बंद देख किसानों ने सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी दे डाली। अब देखना यह होगा कि किसानों की बात सुनी जाती है या किसानों को आत्मदाह करने पर मजबूर होना पड़ेगा।

सांचोर से भजन लाल गोदारा के साथ विक्रम गर्ग की रिपोर्ट

बाईट- सुखराम लोल -किसान(सफेद साफे में)
बाईट- गोविन्द पुनिया-किसान(सिर पर सफेद दुपट्टा बंधा हुआ)
बाईट- जालाराम डारा-किसान(सिर पर मफलर बंधा हुआ)
बाईट- जगदीश सियाक-किसान(काले चंश्मे में)
बाईट- मुकेश सुथार-किसान(नीला कमीज)


Conclusion:
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