भीनमाल (जालोर). शहर के सात निंबडी के पास नवलकेश्वर कॉलोनी भीनमाल में बंदरों की टोली सुबह-सुबह बिस्किट खाने के लिए आती ही रहती है. हमेशा की तरह आज भी बंदरों की टीम बिस्किट खाने के लिए आ रही थी. लेकिन आज की सुबह हर रोज की तरह नहीं थी. रास्ते में आते समय एक छोटा बंदर उछल-कूद करते हुए बिजली के तार से सट गया, जिससे करंट लगने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई.
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बंदर की मौत के बाद इंसानों का इंसानियात जगा और उन्हें बंदर का रूप हिंदुओं के पवित्र देवता भगवान बजरंगबली में दिखा. इसके बाद इंसानों ने बंदर को भगवान बजरंगबली का ही रूप मानकर हिंदू विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया. इंसानों ने बंदर को हिंदू रीति रिवाज के साथ गोमूत्र और गंगाजल से स्नान करवाकर धार्मिक रीति रिवाज से बंदर को गड्ढा खोदकर केदारनाडडी गोचर भूमि में समाधि दी.
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भीनमाल शहर में कई समाजसेवी हैं, जो पशु-पक्षियों और जीव-जंतुओं के प्रति सकारात्म कार्य करते रहे हैं. जिससे लोगों के अंदर समाजसेवियों के प्रति सम्मान भाव भी है. यहां किसी भी जीव-जंतुओं की मृत्यु होने जाने पर उन्हें सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार मृत्योपरांत समाधि देकर जीवों के प्रति दया भाव प्रकट करता है. ऐसे ही समाजसेवियों में एक सामाजसेवी कृष्ण राजपुरोहित भी है, जो लंबे समय से इस मुहिम में जुटे हुए हैं. इसके साथ कई ऐसे सामाजसेवी है, जो इस नेक काम को करते रहते हैं और अपने अंदर मानवता बचाएं हुए हैं.