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जालोर के कालूराम ने 33 हजार किलोमीटर साइकिल यात्रा कर कायम की मिसाल

जालोर के कालूराम रावल युवाओं के लिए मिसाल हैं. वे 60 वर्ष की आयु में साईकिल से यात्रा कर नए आयाम स्थापित कर रहे हैं. ईटीवी भारत के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने अपने अनुभव साझा किए हैं.

कालूराम रावल
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Published : May 1, 2019, 11:47 PM IST

जालोर. कुछ करने का जज्बा और जुनून हो तो इसमें उम्र बाधा नहीं बनती. 60 वर्ष की आयु के एक व्यक्ति ने इस कहावत को सच कर दिखाया है. दरअसल, जालोर के बुजुर्ग कालूराम रावल 33 हजार किलोमीटर साइकिल यात्रा कर चुके हैं.

देश में नशा मुक्ति का अभियान को लेकर 60 साल के बुजर्ग कालूराम रावल साइकिल से सद्भावना यात्रा निकाल रहे हैं. यह यात्रा उन्होंने अप्रैल 2011 में यह यात्रा शुरू की थी. जिसे अब 9 साल हो गए हैं. लोगों को जागरूक करने के लिए कालूराम रावल अब तक 33 हजार किमी की यात्रा साइकिल से कर चुके हैं. वे लोकसभा चुनाव के बाद फिर से यह यात्रा शुरू करेंगे.

ईटीवी भारत से बातचीत में कालूराम रावल ने सद्भावना यात्रा को लेकर जानकारी दी है. साथ ही उन्होंने यात्रा के दौरान अपने अनुभव भी साझा किए हैं. रावल ने बताया कि उनकी जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आए. इसके बावजूद वे अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटे. उनमें देश को एक अनोखा संदेश देने का जुनून है.

शुरूआत में जब कालूराम ने घर से साइकिल पर सद्भावना यात्रा शुरु की तो लोगों उनका मजाक उड़ाया. लेकिन यात्रा जैसे- जैसे बढ़ी इसकी लोकप्रियता भी बढ़ती गई. इस दौरान उन्हें सरकारी और निजी संस्थाओं से कई प्रमाण पत्र भी मिले. उनकी फाइल प्रमाण पत्रों से भरी है. उन्होंने बताया कि वे जहां जाते हैं वहां अनुशासन, योग और पर्यावरण की रक्षा की बात करते हैं.

राजस्थान के 60 वर्षीय व्यक्ति ने की 33 हजार किलोमीटर साईकिल यात्रा

कालूराम बताते हैं कि साइकिल में टॉनिक शक्ति होती है. इसलिए हर घर में साइकिल होनी चाहिए. साइकिलिंग किसी पावर बीटा से कम नहीं है. यह स्वास्थ्य के लिए जरूरी है. वहीं जब हम पेट्रोल डीजल गाड़ी से दूर रहते हैं तो पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है. कालूराम रावल का एक नारा है कि हर घर में वाईकिल नहीं साइकिल रखो, साइकिल में टॉनिक ओर वीटा है इससे शक्ति मिलती है.

साइकिल से सदभावना यात्रा निकालने के पीछे के उद्देश्य का जिक्र करते हुए रावल कहते हैं कि को हर हाल में हमें टूटने से बचाना है. टूटती भारतीय संकृति के लिए जागरूकता जरूरी है. इसलिए देश के लोगों में राष्ट्रभक्ति भक्ति जगाने की कोशिश कर रहा हूं. देश में अच्छे लोग बहुत हैं. उनके अंदर जनजागृति जगाने व सर्वधर्म, सदभावना, राष्ट्र प्रेम व अमन शांति का पैगाम देने के लिए साइकिल से यात्रा शुरू की है.

रावल कहते हैं कि वे यात्रा के माध्यम से में जगह जगह लोगों के नशे से बचने की सलाह देते हैं. उन्होंने कहा कि नशे ने व्यक्ति से साथ ही देश को भी खोखला कर दिया है. कम उम्र में महिलाएं विधवा हो रही है. नशे के कारण आज भारत की आधी आबादी बर्बाद होने के कगार पर है.

नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के फैन हैं रावल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कालूराम रावल से सबसे प्रिय नेता हैं. रावल कहते हैं कि मोदी ने देश के लिए अच्छा काम किया है. गुजरात में शराब बंदी की और वर्तमान प्रधानमंत्री रहते हुए भी देश के हित में कई कदम उठाए. वहीं नीतीश कुमार ने अपने राज्य में शराब बंदी कर नशे पर लगाम लगाने की कोशिश की. जिसके कारण उनके फोटो मेरी साइकिल पर है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा कई अन्य नेता हैं, जिनसे वे प्रभावित हैं और उन्हें अपना आदर्श मानते हैं. वहीं रावल ने कांग्रेस से सवाल किया है.

हिंदी भाषा को सर्वमान्य बनाने के लिए रावल का संघर्ष जारी
कालूराम रावल देश में हिंदी भाषा को लेकर भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं. वे कहते हैं कि उनकी यात्रा उद्देश्य लोगों में हिन्दी भाषा के प्रति प्रेम जगाने को लेकर भी है. रावल ने बताया कि सद्भावना यात्रा के दौरान वे भारत के कई ऐसे क्षेत्रों में गए जहां हिंदी को प्राथमिकता नहीं दी जाती है. वहां स्थानीय भाषाओं का महत्व है. अपनी सद्भावना यात्रा के दौरान कालूराम रावल हिंद गीतों के जरिए लोगों से जुड़े. रावल ने बताया कि गैर हिन्दीभाषी क्षेत्रों के लोगों को हिन्दी बोलना नहीं आता. लेकिन वे हिन्दी गानों को सुनना पसंद करते हैं.

देश भ्रमण पर लिखेंगे किताब
कालूराम रावल अप्रैल 2011 में गुजरात से सद्भावना यात्रा की शुरुआत की थी. वे अब तक कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक और अहमदाबाद से लेकर जलियावाला बाग और अमृतसर स्वर्ण मंदिर तक यात्रा कर चुके हैं. इस दौरान वे जिस रास्ते से गुजरे वहां के लोगों और नशा मुक्ति, पर्यावरण रक्षा और सद्भावना के प्रति जागरूक किया है. बता दें कि रावल के परिवार में उनके 5 बेटे व 4 बेटियां हैं. इसके अलावा पत्नी, 6 पौते और 4 चार पोतियां हैं. रावल परिवार की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं.

जालोर. कुछ करने का जज्बा और जुनून हो तो इसमें उम्र बाधा नहीं बनती. 60 वर्ष की आयु के एक व्यक्ति ने इस कहावत को सच कर दिखाया है. दरअसल, जालोर के बुजुर्ग कालूराम रावल 33 हजार किलोमीटर साइकिल यात्रा कर चुके हैं.

देश में नशा मुक्ति का अभियान को लेकर 60 साल के बुजर्ग कालूराम रावल साइकिल से सद्भावना यात्रा निकाल रहे हैं. यह यात्रा उन्होंने अप्रैल 2011 में यह यात्रा शुरू की थी. जिसे अब 9 साल हो गए हैं. लोगों को जागरूक करने के लिए कालूराम रावल अब तक 33 हजार किमी की यात्रा साइकिल से कर चुके हैं. वे लोकसभा चुनाव के बाद फिर से यह यात्रा शुरू करेंगे.

ईटीवी भारत से बातचीत में कालूराम रावल ने सद्भावना यात्रा को लेकर जानकारी दी है. साथ ही उन्होंने यात्रा के दौरान अपने अनुभव भी साझा किए हैं. रावल ने बताया कि उनकी जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आए. इसके बावजूद वे अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटे. उनमें देश को एक अनोखा संदेश देने का जुनून है.

शुरूआत में जब कालूराम ने घर से साइकिल पर सद्भावना यात्रा शुरु की तो लोगों उनका मजाक उड़ाया. लेकिन यात्रा जैसे- जैसे बढ़ी इसकी लोकप्रियता भी बढ़ती गई. इस दौरान उन्हें सरकारी और निजी संस्थाओं से कई प्रमाण पत्र भी मिले. उनकी फाइल प्रमाण पत्रों से भरी है. उन्होंने बताया कि वे जहां जाते हैं वहां अनुशासन, योग और पर्यावरण की रक्षा की बात करते हैं.

राजस्थान के 60 वर्षीय व्यक्ति ने की 33 हजार किलोमीटर साईकिल यात्रा

कालूराम बताते हैं कि साइकिल में टॉनिक शक्ति होती है. इसलिए हर घर में साइकिल होनी चाहिए. साइकिलिंग किसी पावर बीटा से कम नहीं है. यह स्वास्थ्य के लिए जरूरी है. वहीं जब हम पेट्रोल डीजल गाड़ी से दूर रहते हैं तो पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है. कालूराम रावल का एक नारा है कि हर घर में वाईकिल नहीं साइकिल रखो, साइकिल में टॉनिक ओर वीटा है इससे शक्ति मिलती है.

साइकिल से सदभावना यात्रा निकालने के पीछे के उद्देश्य का जिक्र करते हुए रावल कहते हैं कि को हर हाल में हमें टूटने से बचाना है. टूटती भारतीय संकृति के लिए जागरूकता जरूरी है. इसलिए देश के लोगों में राष्ट्रभक्ति भक्ति जगाने की कोशिश कर रहा हूं. देश में अच्छे लोग बहुत हैं. उनके अंदर जनजागृति जगाने व सर्वधर्म, सदभावना, राष्ट्र प्रेम व अमन शांति का पैगाम देने के लिए साइकिल से यात्रा शुरू की है.

रावल कहते हैं कि वे यात्रा के माध्यम से में जगह जगह लोगों के नशे से बचने की सलाह देते हैं. उन्होंने कहा कि नशे ने व्यक्ति से साथ ही देश को भी खोखला कर दिया है. कम उम्र में महिलाएं विधवा हो रही है. नशे के कारण आज भारत की आधी आबादी बर्बाद होने के कगार पर है.

नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के फैन हैं रावल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कालूराम रावल से सबसे प्रिय नेता हैं. रावल कहते हैं कि मोदी ने देश के लिए अच्छा काम किया है. गुजरात में शराब बंदी की और वर्तमान प्रधानमंत्री रहते हुए भी देश के हित में कई कदम उठाए. वहीं नीतीश कुमार ने अपने राज्य में शराब बंदी कर नशे पर लगाम लगाने की कोशिश की. जिसके कारण उनके फोटो मेरी साइकिल पर है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा कई अन्य नेता हैं, जिनसे वे प्रभावित हैं और उन्हें अपना आदर्श मानते हैं. वहीं रावल ने कांग्रेस से सवाल किया है.

हिंदी भाषा को सर्वमान्य बनाने के लिए रावल का संघर्ष जारी
कालूराम रावल देश में हिंदी भाषा को लेकर भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं. वे कहते हैं कि उनकी यात्रा उद्देश्य लोगों में हिन्दी भाषा के प्रति प्रेम जगाने को लेकर भी है. रावल ने बताया कि सद्भावना यात्रा के दौरान वे भारत के कई ऐसे क्षेत्रों में गए जहां हिंदी को प्राथमिकता नहीं दी जाती है. वहां स्थानीय भाषाओं का महत्व है. अपनी सद्भावना यात्रा के दौरान कालूराम रावल हिंद गीतों के जरिए लोगों से जुड़े. रावल ने बताया कि गैर हिन्दीभाषी क्षेत्रों के लोगों को हिन्दी बोलना नहीं आता. लेकिन वे हिन्दी गानों को सुनना पसंद करते हैं.

देश भ्रमण पर लिखेंगे किताब
कालूराम रावल अप्रैल 2011 में गुजरात से सद्भावना यात्रा की शुरुआत की थी. वे अब तक कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक और अहमदाबाद से लेकर जलियावाला बाग और अमृतसर स्वर्ण मंदिर तक यात्रा कर चुके हैं. इस दौरान वे जिस रास्ते से गुजरे वहां के लोगों और नशा मुक्ति, पर्यावरण रक्षा और सद्भावना के प्रति जागरूक किया है. बता दें कि रावल के परिवार में उनके 5 बेटे व 4 बेटियां हैं. इसके अलावा पत्नी, 6 पौते और 4 चार पोतियां हैं. रावल परिवार की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं.

Intro:बुजर्ग कालूराम ने 60 साल की उम्र में देश को बदलने के लिए साइकिल से शुरू की सदभावना यात्रा, अभी तक 33 हजार किमी तक का तय किया सफर
- कालूराम रावल को कई जगहों पर किया गया सम्मानित
- जम्मू कश्मीर में पथराव के बीच शांति का पैगाम लेकर गए थे रावल
- हिंदी भाषा को मान्यता व नशा मुक्ति अभियान को लेकर अपने स्तर पर चला रहे है अभियान
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व शराब बंदी के कारण नीतीश कुमार के फैन
- कांग्रेस से सवाल राजीव गांधी व इन्द्रिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री रहे लेकिन संजय गांधी की हत्या किसने की उसके हत्यारों को सजा नहीं दिला पाए
- कालूराम रावल का एक नारा है कि हर घर में वाईकिल नहीं साइकिल रखो, साइकिल में टॉनिक ओर वीटा है इससे शक्ति मिलती है
जालोर
कुछ करने का जज्बा और जुनून हो तो इसमें उम्र बाधा नहीं बनती। यह कारनामा किया है 60 साल के एक बुजर्ग कालूराम रावल ने। देश के वर्तमान हालत को बदलने व नशा मुक्ति का अभियान को लेकर 60 साल के बुजर्ग कालूराम रावल साइकिल से सदभावना यात्रा निकाल रहे है और इस यात्रा में कालूराम रावल अभी तक 33 हजार किमी की यात्रा साइकिल से कर चुके है और लोकसभा चुनाव के बाद वापस यात्रा शुरू करेंगे। उनसे खास बात की है ईटीवी भारत के संवाददाता विक्रम गर्ग ने...
दुनिया को बदलने के लिए निकले कालूराम रावल की जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आये और लेकिन दुनिया को बदलने का सवार जुनून को लेकर घर से साइकिल पर सदभावना यात्रा की शुरुआत की तो लोगों एक बार तो मजाक में लिया, लेकिन यह यात्रा जैसे जैसे बढ़ी तो उनकी लोकप्रियता भी बढ़ती गई। अब उनके पास में प्रमाण पत्र की फ़ाइल इतनी बड़ी है कि अगर कोई देखता है तो एक बार दांतों तले अंगुली दबा देता है। ग्राम पंचायत की छोटी स्कूल से लेकर विधानसभा के प्रमाण पत्र है। बातचीत में उन्होंने बताया कि में जहाँ भी जाता हूं वहा पर अनुशासन, योग व पर्यावरण की रक्षा की बात करता है। वो बताते है कि साइकिल में टॉनिक शक्ति होती है इसलिए हर घर में वाईकिल नहीं साइकिल रखो। साइकिल में टॉनिक ओर वीटा है जिससे शक्ति होती है। इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होता है। रावल के अनुसार उनके साइकिल पर सदभावना यात्रा निकालने के पीछे के उद्देश्य को बताते है कि हमारा विभाजन होने जा रहा है देश टूटने जा रहा है देश की संस्कृति टूट रही है इसलिए देश के लोगों में राष्ट्रभक्ति भक्ति जगाने की कोशिश कर रहा हूं। देश में अच्छे लोग बहुत है उनके अंदर जनजागृति जगाने व सर्वधर्म, सदभावना, राष्ट्र प्रेम व अमन शांति का पैगाम देने के लिए साइकिल से यात्रा शुरू की है। इसी यात्रा के माध्यम से में जगह जगह नशे मुक्ति की आवाज उठाता हु। रावल कहते है कि देश को नशे ने खोखला कर दिया है। कम उम्र में महिलाएं विधवा हो रही है जिसका कारण नशा है नशे के कारण आज भारत की आधी आबादी बर्बाद होने के कगार पर है।
नरेंद्र मोदी व नीतीश कुमार के फैन
कालूराम रावल देश के देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बड़े फैन हैं। वह कहते हैं कि मोदी ने देश के लिए अच्छा काम किया गुजरात में नशाबंदी की और वर्तमान प्रधानमंत्री रहते हुए भी देश के हित में कई कदम उठाए। वहीं नीतीश कुमार ने अपने राज्य में शराब बंदी कर नशे पर लगाम लगाने की कोशिश की जिसके कारण उनके फोटो मेरी साइकिल पर है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा कई अन्य नेता भी जिनसे मैं प्रभावित हूं अपना आदर्श मानता हूं।
हिंदी भाषा के लिए कर रहा हु संघर्ष
कालूराम रावल बताते है कि लोगों को हिंदी भाषा के प्रति प्रेम जगाने के लिए कार्य कर रहा हु। देश के अलग अलग क्षेत्रों में अलग भाषा का महत्व है। वो एक बात का जिक्र करते हुए बताते है कि सदभावना यात्रा के दौरान में एक बार एक राज्य में गया जहां पर लोग हिंदी को नहीं बोलने देते है वहा पर मैने एक गीत गाया तो वो लोगों को अच्छा लगा तो बार बार मुझसे वो गीत गाने के लिए कहा गया। जब मैने पूछा कि बार बार गीत क्यों गाने का बोल रहे हो तो सामने से जवाब आया कि हिंदी में गीत अच्छा लगता है तो मैने कहा कि जब हिंदी में गीत अच्छा लगता है तो हिंदी भाषा बोलने पर क्यों अच्छी नहीं लगती है। रावल कहते है जब देश में सभी जगह हिंदी भाषा बोलनी शुरू हुई जब भारत वापस विश्व गुरु बन जायेगा।
देश भ्रमण पर लिखेंगे किताब
कालूराम रावल अप्रैल 2011 में गुजरात से सद्भावना यात्रा की शुरुआत की थी जिसमें कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक और अहमदाबाद से लेकर जलियावाला बाग व अमृतसर स्वर्ण मंदिर तक यात्रा की है। इस दौरान बीच में जो भी राज्य आए उनमें लोगों से मिले और नशा मुक्ति और पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए लोगों से अपील की। वह कहते हैं कि देश भ्रमण पर वह किताब लिखेंगे। जिसमें दावा करते हैं कि वह बातें होगी जो देश राज करने वाले लोगों को केंद्रित करेगी।
परिवार को भी संभालते है रावल
रावल के परिवार में 5 लड़के व 4 लड़किया है। इसके अलावा पत्नी व 6 पौते 4 चार पोतियां है। रावल परिवार को संभालने के साथ सामाजिक कार्यक्रमों में शिरकत करते हैं।



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