जालोर. कुछ करने का जज्बा और जुनून हो तो इसमें उम्र बाधा नहीं बनती. 60 वर्ष की आयु के एक व्यक्ति ने इस कहावत को सच कर दिखाया है. दरअसल, जालोर के बुजुर्ग कालूराम रावल 33 हजार किलोमीटर साइकिल यात्रा कर चुके हैं.
देश में नशा मुक्ति का अभियान को लेकर 60 साल के बुजर्ग कालूराम रावल साइकिल से सद्भावना यात्रा निकाल रहे हैं. यह यात्रा उन्होंने अप्रैल 2011 में यह यात्रा शुरू की थी. जिसे अब 9 साल हो गए हैं. लोगों को जागरूक करने के लिए कालूराम रावल अब तक 33 हजार किमी की यात्रा साइकिल से कर चुके हैं. वे लोकसभा चुनाव के बाद फिर से यह यात्रा शुरू करेंगे.
ईटीवी भारत से बातचीत में कालूराम रावल ने सद्भावना यात्रा को लेकर जानकारी दी है. साथ ही उन्होंने यात्रा के दौरान अपने अनुभव भी साझा किए हैं. रावल ने बताया कि उनकी जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आए. इसके बावजूद वे अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटे. उनमें देश को एक अनोखा संदेश देने का जुनून है.
शुरूआत में जब कालूराम ने घर से साइकिल पर सद्भावना यात्रा शुरु की तो लोगों उनका मजाक उड़ाया. लेकिन यात्रा जैसे- जैसे बढ़ी इसकी लोकप्रियता भी बढ़ती गई. इस दौरान उन्हें सरकारी और निजी संस्थाओं से कई प्रमाण पत्र भी मिले. उनकी फाइल प्रमाण पत्रों से भरी है. उन्होंने बताया कि वे जहां जाते हैं वहां अनुशासन, योग और पर्यावरण की रक्षा की बात करते हैं.
कालूराम बताते हैं कि साइकिल में टॉनिक शक्ति होती है. इसलिए हर घर में साइकिल होनी चाहिए. साइकिलिंग किसी पावर बीटा से कम नहीं है. यह स्वास्थ्य के लिए जरूरी है. वहीं जब हम पेट्रोल डीजल गाड़ी से दूर रहते हैं तो पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है. कालूराम रावल का एक नारा है कि हर घर में वाईकिल नहीं साइकिल रखो, साइकिल में टॉनिक ओर वीटा है इससे शक्ति मिलती है.
साइकिल से सदभावना यात्रा निकालने के पीछे के उद्देश्य का जिक्र करते हुए रावल कहते हैं कि को हर हाल में हमें टूटने से बचाना है. टूटती भारतीय संकृति के लिए जागरूकता जरूरी है. इसलिए देश के लोगों में राष्ट्रभक्ति भक्ति जगाने की कोशिश कर रहा हूं. देश में अच्छे लोग बहुत हैं. उनके अंदर जनजागृति जगाने व सर्वधर्म, सदभावना, राष्ट्र प्रेम व अमन शांति का पैगाम देने के लिए साइकिल से यात्रा शुरू की है.
रावल कहते हैं कि वे यात्रा के माध्यम से में जगह जगह लोगों के नशे से बचने की सलाह देते हैं. उन्होंने कहा कि नशे ने व्यक्ति से साथ ही देश को भी खोखला कर दिया है. कम उम्र में महिलाएं विधवा हो रही है. नशे के कारण आज भारत की आधी आबादी बर्बाद होने के कगार पर है.
नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के फैन हैं रावल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कालूराम रावल से सबसे प्रिय नेता हैं. रावल कहते हैं कि मोदी ने देश के लिए अच्छा काम किया है. गुजरात में शराब बंदी की और वर्तमान प्रधानमंत्री रहते हुए भी देश के हित में कई कदम उठाए. वहीं नीतीश कुमार ने अपने राज्य में शराब बंदी कर नशे पर लगाम लगाने की कोशिश की. जिसके कारण उनके फोटो मेरी साइकिल पर है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा कई अन्य नेता हैं, जिनसे वे प्रभावित हैं और उन्हें अपना आदर्श मानते हैं. वहीं रावल ने कांग्रेस से सवाल किया है.
हिंदी भाषा को सर्वमान्य बनाने के लिए रावल का संघर्ष जारी
कालूराम रावल देश में हिंदी भाषा को लेकर भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं. वे कहते हैं कि उनकी यात्रा उद्देश्य लोगों में हिन्दी भाषा के प्रति प्रेम जगाने को लेकर भी है. रावल ने बताया कि सद्भावना यात्रा के दौरान वे भारत के कई ऐसे क्षेत्रों में गए जहां हिंदी को प्राथमिकता नहीं दी जाती है. वहां स्थानीय भाषाओं का महत्व है. अपनी सद्भावना यात्रा के दौरान कालूराम रावल हिंद गीतों के जरिए लोगों से जुड़े. रावल ने बताया कि गैर हिन्दीभाषी क्षेत्रों के लोगों को हिन्दी बोलना नहीं आता. लेकिन वे हिन्दी गानों को सुनना पसंद करते हैं.
देश भ्रमण पर लिखेंगे किताब
कालूराम रावल अप्रैल 2011 में गुजरात से सद्भावना यात्रा की शुरुआत की थी. वे अब तक कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक और अहमदाबाद से लेकर जलियावाला बाग और अमृतसर स्वर्ण मंदिर तक यात्रा कर चुके हैं. इस दौरान वे जिस रास्ते से गुजरे वहां के लोगों और नशा मुक्ति, पर्यावरण रक्षा और सद्भावना के प्रति जागरूक किया है. बता दें कि रावल के परिवार में उनके 5 बेटे व 4 बेटियां हैं. इसके अलावा पत्नी, 6 पौते और 4 चार पोतियां हैं. रावल परिवार की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं.