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जालोर में फसल बीमा के नाम पर किसानों से छल....10 दिनों में पूरे जिले का सर्वे, प्रशासन भी हैरान

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Published : Aug 17, 2019, 5:39 AM IST

जालोर में किसान को बीमा राशि नहीं मिलने से किसान विरोध कर रहा हैं. उनका दावा है कि बीमा कंपनी किसानों से छलावा कर रही है. 10 दिनों में 800 से ज्यादा राजस्व गांवों को फसल बीमा के लिए सर्वे रिपोर्ट बनाया गया है. जिससे किसान को रिपोर्ट पर शक है. इसकी जानकारी मिलने से प्रशासन भी हैरान है.

farmers protest in jalore, जालोर न्यूज

जालोर. जिले में फिसल बीमा कम्पनी किसानों के साथ मनमानी कर रही है. जिसके खिलाफ किसानों ने सड़क पर उतर आए हैं और विरोध कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि बीमा कम्पनी 31 जुलाई 2019 तक ऑनलाइन फसलों का बीमा किया. उसके बाद 13 अगस्त को अपनी सर्वे रिपोर्ट प्रशासन के सामने रखी.

ऐसे में किसान बीमा कम्पनी पर सवाल खड़ा कर रहा है कि मात्र 10 दिनों में जिले की 244 ग्राम पंचायतों के तकरीबन 800 से ज्यादा राजस्व गांवों का सर्वे बिना किसी टीम के किस आधार पर कर लिया है. किसानों का कहना है कि पूरे जिले का सर्वे करने के लिए 200 लोगों की टीम भी होती, तो भी दस दिनों में सर्वे नहीं किया जा सकता था.

फसल बीमा कंपनी का विरोध करते किसान

बता दें कि केंद्र सरकार ने देश के अन्नदाताओं को उनकी फसलों का बीमा करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी. इसमें किसानों को बड़े-बड़े सपने दिखाए गए थे. उनको कहा गया था कि इसमें कुछ प्रतिशत प्रीमियम राशि किसानों को देनी पड़ेगी. वहीं बाकी राशि केंद्र और राज्य सरकार वहन करेगी. जिसके बाद अगर किसानों की फसल खराब होती है, तो क्लेम राशि दी जाएगी.

ये भी पढ़ें- पहलू खान मॉब लिंचिंग मामलाः प्रियंका गांधी के ट्वीट पर भड़की भाजपा, लगाया कोर्ट की अवहेलना का आरोप

2018 में जालोर जिले में सरकार ने अकाल घोषित कर दिया था. इसके वाबजूद भी बीमा कम्पनी ने किसानों को क्लेम की राशि नहीं दी है. पूरा साल बीत गया. लेकिन बीमा राशि नहीं मिलने के कारण किसान उस बीमा राशि के क्लेम को लेकर आज भी आंदोलन कर रहे हैं. उनको सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है. वहीं 2019 में भी किसानों के साथ छलावा करने के लिए कंपनी ने नया पैतरा अपनाया है. इसके लिए 31 जुलाई तक ऑनलाइन बीमा किया गया. उसके ठीक 10 दिन बाद ही कंपनी सर्वे रिपोर्ट प्रशासन को सौप देती है. जिसमें बताया जाता है कि जिले के 244 ग्राम पंचायतों में से 117 ग्राम पंचायतों में किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई नहीं की है.

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जबकि किसान दावा कर रहा है कि उन्होंने फसलों की बुवाई की है. ऐसे में किसान सवाल खड़ा कर रहा है कि जिस बीमा कंपनी ने जिले के 244 ग्राम पंचायतों के तकरीबन 800 से ज्यादा राजस्व गांव है. उसका सर्वे किस आधार पर किया. और दिखाया कि 117 ग्राम पंचायतों में तो बुवाई हुई ही नहीं हैं. किसानों का कहना है कि जो कंपनी अभी से ही 25 प्रतिशत के लिए किसानों के साथ छलावा कर रही है. वह किसानों के साथ आगे कैसे न्याय कर पाएगी. यह संभव नहीं है.

ये भी पढ़ें- जयपुर में चोर गिरोह का पर्दाफाश, 5 गिरफ्तार, 4 बाल अपचारी निरुद्ध

जानकारी के अनुसार किसानों का यह भी आरोप है कि बीमा करने वाली कंपनी का जालोर में ऑफिस भी नहीं है. उसने बड़े स्तर पर तकरीबन 800 राजस्व गांवों का सर्वे प्रशासन और किसानों को भनक लगने से पहले ही करवा दिया है. वहीं मात्र दस दिनों में पूरे जिले का सर्वे करने की जानकारी मिलने के बाद प्रशासनिक अधिकारी भी हैरान है. जिसके बाद प्रशासनिक अधिकारी भी सकते में आ गए हैं.

जालोर. जिले में फिसल बीमा कम्पनी किसानों के साथ मनमानी कर रही है. जिसके खिलाफ किसानों ने सड़क पर उतर आए हैं और विरोध कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि बीमा कम्पनी 31 जुलाई 2019 तक ऑनलाइन फसलों का बीमा किया. उसके बाद 13 अगस्त को अपनी सर्वे रिपोर्ट प्रशासन के सामने रखी.

ऐसे में किसान बीमा कम्पनी पर सवाल खड़ा कर रहा है कि मात्र 10 दिनों में जिले की 244 ग्राम पंचायतों के तकरीबन 800 से ज्यादा राजस्व गांवों का सर्वे बिना किसी टीम के किस आधार पर कर लिया है. किसानों का कहना है कि पूरे जिले का सर्वे करने के लिए 200 लोगों की टीम भी होती, तो भी दस दिनों में सर्वे नहीं किया जा सकता था.

फसल बीमा कंपनी का विरोध करते किसान

बता दें कि केंद्र सरकार ने देश के अन्नदाताओं को उनकी फसलों का बीमा करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी. इसमें किसानों को बड़े-बड़े सपने दिखाए गए थे. उनको कहा गया था कि इसमें कुछ प्रतिशत प्रीमियम राशि किसानों को देनी पड़ेगी. वहीं बाकी राशि केंद्र और राज्य सरकार वहन करेगी. जिसके बाद अगर किसानों की फसल खराब होती है, तो क्लेम राशि दी जाएगी.

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2018 में जालोर जिले में सरकार ने अकाल घोषित कर दिया था. इसके वाबजूद भी बीमा कम्पनी ने किसानों को क्लेम की राशि नहीं दी है. पूरा साल बीत गया. लेकिन बीमा राशि नहीं मिलने के कारण किसान उस बीमा राशि के क्लेम को लेकर आज भी आंदोलन कर रहे हैं. उनको सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है. वहीं 2019 में भी किसानों के साथ छलावा करने के लिए कंपनी ने नया पैतरा अपनाया है. इसके लिए 31 जुलाई तक ऑनलाइन बीमा किया गया. उसके ठीक 10 दिन बाद ही कंपनी सर्वे रिपोर्ट प्रशासन को सौप देती है. जिसमें बताया जाता है कि जिले के 244 ग्राम पंचायतों में से 117 ग्राम पंचायतों में किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई नहीं की है.

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जबकि किसान दावा कर रहा है कि उन्होंने फसलों की बुवाई की है. ऐसे में किसान सवाल खड़ा कर रहा है कि जिस बीमा कंपनी ने जिले के 244 ग्राम पंचायतों के तकरीबन 800 से ज्यादा राजस्व गांव है. उसका सर्वे किस आधार पर किया. और दिखाया कि 117 ग्राम पंचायतों में तो बुवाई हुई ही नहीं हैं. किसानों का कहना है कि जो कंपनी अभी से ही 25 प्रतिशत के लिए किसानों के साथ छलावा कर रही है. वह किसानों के साथ आगे कैसे न्याय कर पाएगी. यह संभव नहीं है.

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जानकारी के अनुसार किसानों का यह भी आरोप है कि बीमा करने वाली कंपनी का जालोर में ऑफिस भी नहीं है. उसने बड़े स्तर पर तकरीबन 800 राजस्व गांवों का सर्वे प्रशासन और किसानों को भनक लगने से पहले ही करवा दिया है. वहीं मात्र दस दिनों में पूरे जिले का सर्वे करने की जानकारी मिलने के बाद प्रशासनिक अधिकारी भी हैरान है. जिसके बाद प्रशासनिक अधिकारी भी सकते में आ गए हैं.

Intro:संभव नहीं है जिले का सर्वे करना
जिले में 31 जुलाई तक तो ऑनलाइन फसलों का बीमा किया गया। उसके बाद 13 अगस्त को बीमा कम्पनी सर्वे रिपोर्ट प्रशासन के सामने रखती है। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है की मात्र वर्किंग 10 दिनों में जिले की 244 ग्राम पंचायतों के करीबन 800 से ज्यादा राजस्व गांवों का सर्वे बिना किसी टीम के किस आधार पर कर लिया। किसानों का कहना है कि पूरे जिले का सर्वे करने के लिए करीबन 200 लोगों की टीम लगाई जाती है तो भी दस दिनों में सर्वे नहीं किया जा सकता है।





Body:प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों के साथ किया जा रहा है छलावा, मात्र 10 दिन में कंपनी ने कर दिया कागजों में पूरे जिले का सर्वे,
जालोर
केंद्र सरकार ने देश के अन्नदाताओं को उनकी फसलों का बीमा करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की। इसमें किसानों को बड़े बड़े सपने दिखाए गए। उनको कहा गया कि इसमें कुछ प्रतिशत प्रीमियम राशि किसानों को देनी पड़ेगी, वहीं अन्य राशि केंद्र सरकार और राज्य सरकार वहन करेगी। जिसके बाद अगर किसानों की फसल खराब होती है तो क्लेम राशि दी जाएगी, लेकिन हकीकत में ऐसा होता दिख नहीं रहा है। 2018 में जालोर जिले में सरकार ने अकाल घोषित कर रखा था , लेकिन बीमा कम्पनी ने किसानों को क्लेम की राशि नहीं दी हैं। पूरा साल बीतने के बावजूद आज भी किसान उस बीमा राशि के क्लेम को लेकर आंदोलन कर रहे है,लेकिन उनको सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है। वहीं 2019 में भी किसानों के साथ छलावा करने के लिए कंपनी ने नया पैंतरा अपनाया और 31 जुलाई तक ऑनलाइन बीमा किया गया, उसके ठीक 10 दिन बाद में कंपनी एक सर्वे लेकर प्रशासन के पास पहुंच जाती है और कहती है कि जिले के 244 ग्राम पंचायत 117 ग्राम पंचायतों में किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई नहीं की है, जबकि किसान दावा कर रहे हैं कि उन्होंने फसलों की बुवाई की है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल तो यहां खड़ा हो रहा है कि जिस बीमा कंपनी ने जिले के 244 ग्राम पंचायतों के राजस्व गांव करीबन 800 से ज्यादा है उनका सर्वे किस आधार पर कर लिया और दिखा दिया कि 117 ग्राम पंचायत में तो बुवाई हुई नहीं है। किसानों का कहना है कि जो कंपनी अभी से 25 परसेंट की राशि देखकर किसानों के साथ छलावा करना चाहती है। वह किसानों के साथ में आगे जाकर क्या न्याय कर पाएगी। यह संभव नहीं है। किसानों का यह भी आरोप है कि बीमा करने वाली कंपनी का जालोर में ऑफिस भी नहीं है और उसने बड़े स्तर पर करीबन 800 राजस्व गांवों का सर्वे प्रशासन व किसानों को भनक लगने से पहले ही करवा दिया। यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है। वहीं मात्र दस दिन में पूरे जिले का सर्वे करने की जानकारी मिलने के बाद प्रशासनिक अधिकारी भी हैरान है कि यह बात किस आधार पर और कौन सी टीम लगाकर करवा दिया यह किसी के गले नहीं उतर रहा है यही बात प्रशासन के सामने जाने के बाद प्रशासनिक अधिकारी भी सकते में आ गए कि एक प्राइवेट कंपनी ने बीमा करने के 10 दिन बाद में पूरे जिले का सर्वे किस आधार पर कर लिया। जिसकी किसी को भनक तक नहीं लगी। बीमा करने वाली कंपनी ने प्रशासन के सामने जो रिपोर्ट पेश की। जिसमें बताया कि 117 गांव में बिल्कुल बुवाई नहीं की गई है, जबकि किसान दावा कर रहे हैं कि उन्होंने पूर्णतया फसलों की बुवाई की है और फसलों का बीमा करवा कर प्रीमियम राशि जमा करवाई है। ऐसे में अब सवाल खड़ा हो रहा है बीमा करने वाली कंपनी अभी से किसानों के साथ फर्जी सर्वे रिपोर्ट दिखाकर धोखा करना चाहती है वो आगे जाकर फसलों का क्लेम राशि दे पाएगी या नहीं।
बाईट- जोगाराम पंचार, अध्यक्ष भारतीय किसान संघ चितलवानाConclusion:
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