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स्पेशल: नई मिसाल...'बंजर' भूमि पर बना दिया Garden

भीनमाल के कोट कास्ता गांव ने एक नई मिसाल पेश की है. गांव से सटी करीब 9 बीघा बंजर पड़ी चारागाह भूमि और छोटी नाली पर ग्रामीणों ने अपनी मेहनत के ऐसे बीज बोए, कि चारागाह भूमि और नाली का स्वरूप ही बदल गया. पहले जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया और अब करीब 2 हजार पौधे लगाकार गार्डन बना दिया.

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9 बीघा जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाकर करीब 2 हजार पौधे लगाकर बना दिया गार्डन
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Published : Feb 25, 2020, 12:01 AM IST

भीनमाल (जालोर). 'संगठन में शक्ति है' इस वाक्य को सिद्ध किया है, एक छोटे से गांव के लोगों ने. अगर कुछ करने की चाहत हो तो मिलकर बहुत कुछ किया जा सकता है. कुछ ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला भीनमाल से समीप कोट कास्ता गांव में. यहां जन प्रतिनिधि, अधिकारी, कर्मचारी और गांव के लोगों ने मिलकर एक अतिक्रमण जमीन पर करीब 2 हजार पौधे लगाकार उसे प्रेरणादायी गार्डन बना दिया.

9 बीघा जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाकर करीब 2 हजार पौधे लगाकर बना दिया गार्डन

कोट कास्ता ग्राम पंचायत और ग्रामीणों ने गांव से सटी करीब 9 बीघा बंजर पड़ी चारागाह भूमि और छोटी नाली पर मेहनत के ऐसे बीज बोए की चारागाह भूमि व नाली का स्वरूप ही बदल गया. पंचायत और ग्रामीणों की मेहनत के बदौलत बंजर पड़ी चारागाह भूमि पर सैकड़ों हरे-भरे वृक्ष हरित क्रांति की मिसाल दे रहे हैं. पंचायत ने मनरेगा के तहत चारागाह भूमि की छोटी नाली को भी मॉडल तालाब का स्वरूप दे दिया. अब यह चारागाह भूमि और छोटी नाली किसी महानगर के उद्यान से कम नजर नहीं आ रही है. पूरी नौ बीघा जमीन हरी-भरी नजर आ रही है.

यह भी पढ़ेंः स्पेशलः 'बेखौफ' बजरी माफिया, अधिकारियों की अनदेखी के कारण बूंदी की मेज नदी पर ही लगा लिया प्लांट

गांव के इस सार्वजनिक उद्यान में ग्रामीण सुबह शाम टहलने के लिए जाते हैं. उद्यान का सौन्दर्यीकरण देखते ही बन रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि सुबह-शाम उद्यान में पहुंचकर सेहत लाभ ले रहे हैं.

पहले करवाया अतिक्रमण मुक्त फिर लगाए वृक्ष...

ग्राम विकास अधिकारी जालाराम विश्नोई ने बताया कि उद्यान विकसित होने से पहले इस भूमि पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा था. इसके अलावा खाली पड़ी जमीन पर लोग खुले में शौच जाते थे. पंचायत ने प्रशासन की मदद से पूरी चारागाह भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाया. फिर ग्रामीणों की मदद से बंजर भूमि पर सघन वृक्षारोपण किया. वर्तमान में उद्यान में विभिन्न प्रजाति के करीब 2 हजार पौधे लगे हुए हैं.

छोटी नाली को दिया मॉडल तालाब का स्वरूप...

वृक्षारोपण के बाद चारागाह भूमि के पास छोटी नाली पर मनरेगा के तहत कार्य शुरू करवाया गया. मनरेगा के तहत नाली का विकास करवाकर उसको मॉडल तालाब का स्वरूप दिया गया. नाली की पाल पर इंटरब्लॉकिंग कर ग्रामीणों के लिए वॉकिंग ट्रैक बनाया गया. इसके बाद जन सहयोग से पाल पर बनी इंटरब्लॉकिंग के किनारे सोलर लाइटें लगवाई गई.

मनरेगा श्रमिक हर रोज पिलाते है वृक्षों को पानी...

पंचायत में मनरेगा पर कार्य कर रही महिला श्रमिक हर रोज वृक्षों की देखभाल करती हैं. महिला श्रमिक सुबह-शाम वृक्षों को पानी पिलाती हैं. वृक्षों की देखभाल होने से पूरे उद्यान में हरितमा छाई नजर आती है. महिला श्रमिकों का कहना है कि वृक्षों की देखभाल करने से सुकुन मिलता है.

ले रहे हैं सेहत लाभ...

हरे-भरे उद्यान और मॉडल तालाब पर ग्रामीण सुबह-शाम पहुंचकर शुद्व पर्यावरण में वॉकिंग कर सेहत लाभ ले रहे हैं. उद्यान में हर रोज 30-40 लोग वॉकिंग करने आते हैं.

भीनमाल (जालोर). 'संगठन में शक्ति है' इस वाक्य को सिद्ध किया है, एक छोटे से गांव के लोगों ने. अगर कुछ करने की चाहत हो तो मिलकर बहुत कुछ किया जा सकता है. कुछ ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला भीनमाल से समीप कोट कास्ता गांव में. यहां जन प्रतिनिधि, अधिकारी, कर्मचारी और गांव के लोगों ने मिलकर एक अतिक्रमण जमीन पर करीब 2 हजार पौधे लगाकार उसे प्रेरणादायी गार्डन बना दिया.

9 बीघा जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाकर करीब 2 हजार पौधे लगाकर बना दिया गार्डन

कोट कास्ता ग्राम पंचायत और ग्रामीणों ने गांव से सटी करीब 9 बीघा बंजर पड़ी चारागाह भूमि और छोटी नाली पर मेहनत के ऐसे बीज बोए की चारागाह भूमि व नाली का स्वरूप ही बदल गया. पंचायत और ग्रामीणों की मेहनत के बदौलत बंजर पड़ी चारागाह भूमि पर सैकड़ों हरे-भरे वृक्ष हरित क्रांति की मिसाल दे रहे हैं. पंचायत ने मनरेगा के तहत चारागाह भूमि की छोटी नाली को भी मॉडल तालाब का स्वरूप दे दिया. अब यह चारागाह भूमि और छोटी नाली किसी महानगर के उद्यान से कम नजर नहीं आ रही है. पूरी नौ बीघा जमीन हरी-भरी नजर आ रही है.

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गांव के इस सार्वजनिक उद्यान में ग्रामीण सुबह शाम टहलने के लिए जाते हैं. उद्यान का सौन्दर्यीकरण देखते ही बन रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि सुबह-शाम उद्यान में पहुंचकर सेहत लाभ ले रहे हैं.

पहले करवाया अतिक्रमण मुक्त फिर लगाए वृक्ष...

ग्राम विकास अधिकारी जालाराम विश्नोई ने बताया कि उद्यान विकसित होने से पहले इस भूमि पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा था. इसके अलावा खाली पड़ी जमीन पर लोग खुले में शौच जाते थे. पंचायत ने प्रशासन की मदद से पूरी चारागाह भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाया. फिर ग्रामीणों की मदद से बंजर भूमि पर सघन वृक्षारोपण किया. वर्तमान में उद्यान में विभिन्न प्रजाति के करीब 2 हजार पौधे लगे हुए हैं.

छोटी नाली को दिया मॉडल तालाब का स्वरूप...

वृक्षारोपण के बाद चारागाह भूमि के पास छोटी नाली पर मनरेगा के तहत कार्य शुरू करवाया गया. मनरेगा के तहत नाली का विकास करवाकर उसको मॉडल तालाब का स्वरूप दिया गया. नाली की पाल पर इंटरब्लॉकिंग कर ग्रामीणों के लिए वॉकिंग ट्रैक बनाया गया. इसके बाद जन सहयोग से पाल पर बनी इंटरब्लॉकिंग के किनारे सोलर लाइटें लगवाई गई.

मनरेगा श्रमिक हर रोज पिलाते है वृक्षों को पानी...

पंचायत में मनरेगा पर कार्य कर रही महिला श्रमिक हर रोज वृक्षों की देखभाल करती हैं. महिला श्रमिक सुबह-शाम वृक्षों को पानी पिलाती हैं. वृक्षों की देखभाल होने से पूरे उद्यान में हरितमा छाई नजर आती है. महिला श्रमिकों का कहना है कि वृक्षों की देखभाल करने से सुकुन मिलता है.

ले रहे हैं सेहत लाभ...

हरे-भरे उद्यान और मॉडल तालाब पर ग्रामीण सुबह-शाम पहुंचकर शुद्व पर्यावरण में वॉकिंग कर सेहत लाभ ले रहे हैं. उद्यान में हर रोज 30-40 लोग वॉकिंग करने आते हैं.

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