जालोर. जिले के कई गांवों में कुछ दिन पूर्व अचानक अंतराष्ट्रीय सीमा पार से आए टिड्डी दल ने रबी की फसल पर धावा बोल दिया. जिसके कारण हजारों हेक्टेयर में फैली किसानों की रबी की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई. जिसमें सीधे तौर पर केंद्र सरकार और टिड्डी नियंत्रण दल की लापरवाही सामने आ रही है. लेकिन कोई खुल कर बोलना नहीं चाह रहा है.
वहीं दूसरी ओर अपनी फसल बर्बाद होने के बाद किसान खून के आंसू रोने को मजबूर है. पिछले चार माह से लगातार पाकिस्तान और बाड़मेर जिले के सीमावर्ती गांवों में टिड्डी के होने के संकेत मिल रहे थे. टिड्डी की अलार्मिंग स्थिति को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के कृषि एवं खाद्य संगठन (एफएओ) के प्रतिनिधि और विश्व में मरुस्थलीय टिड्डी के विशेषज्ञ कीथ क्रीसमेन की मौजूदगी में 19 सितम्बर 2019 को पाकिस्तान के सिंध सूबे के जीरो पॉइंट स्थित काॅन्फ्रेंस हाल में भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों की बैठक हुई थी. जिसमें भारत की ओर से देश के प्लांट प्रोडक्शन डायरेक्टर राजेश मलिक ने भाग लिया था.
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बैठक में पाकिस्तान के अधिकारियों ने टिड्डी पर नियंत्रण करने में असमर्थता जताते हुए कहा कि इस बार चीन से कीटनाशक दवाई नहीं मिलने के कारण टिड्डी पर नियंत्रण नहीं कर पाएंगे. जिसके बाद भारत की सरकार को टिड्डी नियंत्रण करने को लेकर अपने स्तर पर कड़े कदम उठाने की जरूरत थी, लेकिन इस खतरों को भांपने के बावजूद भारतीय अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाया. उसी का परिणाम रहा कि टिड्डी ने हजारों हेक्टेयर में किसानों की फसल बर्बाद कर दी है और अभी भी टिड्डी का खतरा मंडरा रहा है.
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कृषि प्रधान देश में टिड्डी पर नियंत्रण करने के लिए केंद्र सरकार ने अलग से एक विभाग बना रखा है जिसका काम केवल टिड्डी पर नियंत्रण करने का है लेकिन फिर भी टिड्डी पर नियंत्रण नहीं हो सका. जिस वजह से टिड्डी ने पूरी फसल को बर्बाद कर दिया. 13 दिसम्बर को जालोर के गांवों में टिड्डी मिलने की पुष्टि होने के बाद टीम की एक गाड़ी मौके के लिए आई थी टिड्डी नियंत्रण करने के लिए, लेकिन उनके पास कोई ठोस संसाधन नहीं थे. कीटनाशक दवाई का छिड़काव करने के लिए एक गाड़ी थी लेकिन उस पर लगी मशीन घंटे भर में खराब हो गई. उनके बाद जोधपुर से अन्य टीम मंगवाने की बात कहीं, लेकिन दूसरी टीम पहुंची ही नहीं. टिड्डी ने क्षेत्र में रबी की फसल को बर्बाद कर दिया और आगे बढ़ गई.
25 साल बाद वापस आई टिड्डी
जानकारी के अनुसार राजस्थान के गांवों में करीबन 25 साल पहले टिड्डी के हमले में लाखों हेक्टेयर में फसल बर्बाद हुई थी. उसके बाद अब इस साल टिड्डी ने वापस आक्रमण किया है. इस लंबे अंतराल में अधिकारी टिड्डी नियंत्रण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए. जिले के गांवों में टिड्डी दल के धावे में हजारों हेक्टेयर में किसानों की फसल को पूरी तरह से चौपट कर दिया. अब किसान मुआवजे की मांग कर रहे है, लेकिन मुआवजे पर संशय बना हुआ है.
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सोमवार को वन और पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था तो उन्होंने कहा था कि फसल का बीमा करवाया हुआ है तो किसानों को मुआवजा मिलेगा, लेकिन सैकड़ों किसान ऐसे है जिन्होंने अपनी खून पसीने की कमाई से फसल की बुआई की थी, लेकिन फसल का बीमा नहीं करवा पाए थे. अब उनको मुआवजा कैसे मिलेगा इस पर संशय बना हुआ है.