रानीवाड़ा (जालोर). संदिग्ध मरीजों को रखने के लिए देवनारायण आवासीय विद्यालय चांडपुरा में बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर को लेकर रानीवाड़ा चिकित्सा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखे एक अधेड़ व्यक्ति को सही समय में इलाज नहीं मिल पाने से मौत हो गई.
दरअसल गुरुवार शाम को एक अधेड़ व्यक्ति को क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया था. जिसकी गुरुवार देर रात 10 बजे अचानक तबीयत बिगड़ गई. जिसके बावजूद संदिग्ध अधेड़ को 14 घण्टे तक अस्पताल में भर्ती नहीं करवाया गया. सुबह 12.30 बजे 108 एम्बुलेंस की मदद से उसे जालोर रेफर किया गया. लेकिन अधेड़ ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.
जानकारी के अनुसार क्वॉरेंटाइन सेंटर में लाए गए अधेड़ को श्वास लेने में तकलीफ हो रही थी. साथ ही तेज बुखार जैसे लक्षण भी उसमें पाए गए थे. देर रात को संदिग्ध की तबियत बिगड़ गई. जिसके कारण सेंटर में मौजूद शिक्षकों ने एसडीएम को मामले की जानकारी दी. जिसके बाद चिकित्सकों ने अधेड़ का चेकअप करके महज कागजी खानापूर्ति पूरी कर ली.
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वहीं आधी रात को अधेड़ की तबियत ज्यादा बिगड़ गई. सुबह चाय नाश्ता देने गए, तो अधेड़ की हालत ज्यादा खराब थी. अधेड़ ने टॉयलेट तक कपड़ों में कर दिया था. ऐसे में हालात नाजुक होने के कारण वापस चिकित्सकों को बताया गया. जिसके बाद क्वॉरेंटाइन सेंटर में कोरोना जांच का सैम्पल लेकर 108 एम्बुलेंस से अधेड़ को जालोर के लिए रेफर किया गया था. लेकिन बीच रास्ते में ही अधेड़ की मौत हो गई.
सबसे बड़ा सवाल 14 घण्टों तक क्यों नहीं लेकर गए अस्पताल?
पहले तो नॉर्मल उपचार करके महज खानापूर्ति की गई. जिसके बाद शुक्रवार को जालोर रेफर करने के लिए 108 एम्बुलेंस बुलाई गई. करीबन 11 बजे एम्बुलेंस देवनारायण आवासीय विद्यालय पहुंची. उसके बाद कोरोना जांच का सैम्पल लेना था. लेकिन चिकित्सकों के पास पीपीई किट उपलब्ध नहीं था.
ऐसे में करीबन 1 घण्टे तक एम्बुलेंस आवासीय स्कूल में खड़ी रही. वहीं दूसरी तरफ मरीज तड़पता रहा. करीबन एक घण्टे भर बाद 12 बजे पीपीई किट आया. तब जाकर संदिग्ध व्यक्ति के कोरोना जांच के सैम्पल लेकर 12.30 बजे जालोर के लिए रेफर किया था. लेकिन बीच रास्ते में ही दम तोड़ दिया.