रानीवाड़ा(जालोर). एक तरफ सरकार हर घर में बिजली पहुंचाने का दावा कर रही है. वहीं जालोर के रानीवाड़ा की तस्वीर उस योजना को मुंह चिड़ाती नजर आ रही है, जहां हजारों करोड़ों रुपए विभिन्न योजनाओं के तहत खर्च किए जा रहे हैं. रानीवाड़ा के भाटवास गांव के लोग आज भी घरेलू बिजली कनेक्शन की उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन सरकारी नुमाइंदे उम्मीदों पर पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे.
भाटवास के विधार्थी रात में चिमनी, लालटेन, दीपक की रोशनी के तले पढ़ने को मजबूर हैं. ग्रामीणों का कहना है, कि घरेलू विद्युत कनेक्शन के लिए वे पिछले 3 सालों से बिजली विभाग कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया, कि हमारे बच्चे चिमनी के जरिए पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन अधिकारी मनमानी कर रहे हैं.
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सूर्यास्त होते ही सन्नाटा
जिन घरों में बिजली के कनेक्शन नहीं हैं. वहां सूर्यास्त से पहले ही करीब-करीब घर के सभी काम कर लिए जाते हैं. भोजन बनाकर लोग खा लेते हैं. सूर्यास्त के कुछ समय बाद ही लोग सो जाते हैं. यदि किसी का कोई काम बच गया है तो चिमनी और लालटेन की रोशनी में ही करते हैं.
विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई बनी चुनौती
बिजली के बिना बच्चों के लिए पढ़ना चुनौती बना हुआ है. आगामी दिनों में 8वीं, 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं होनी हैं. ऐसे में बच्चे जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. वे देर रात 11-12 बजे तक चिमनी और लालटेन की रोशनी में पढ़ रहे हैं.