जालोर. तहसीलदार, भू-अभिलेख निरीक्षक सहित 11 लोगों के खिलाफ कोतवाली थाने में मामला दर्ज हुआ है. मामले में कूटरचित दस्तावेजों से भूमि की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया गया है. मामला एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्जकर जांच जालोर वृताधिकारी जयदेव सियाग को सौंपी गई है.
पुलिस को पीड़ित बलदेव पुत्र बच्छराज मेघवाल ने बताया कि 2 जनवरी 1998 को इकरारनामा के जरिए मौजा जालोर ए के खसरा नम्बर 1966 रकबा 0.80 हेक्टेयर में से 8712 वर्ग फुट की कृषि भूमि मैंने खरीदी थी. भूमि पर मेरा मकान और चाहरदीवारी बनी हुई है. इस भूमि पर मेरे नाम से लाइट और पानी का कनेक्शन लिया हुआ है. पिछले 22 साल से भूमि पर मेरा कब्जा है.
यह भूमि नारायण पुत्र मोडाजी सरगरा निवासी लेटा से खरीदी थी, जिसकी जानकारी नारायण की पत्नी धोलकीदे वी भावेश पुत्र नारायण और मधु, सुपारी व लता पिसरान नारायण सरगरा निवासी लेटा को मेरे खरीद के दिन से है. फिर भी दिनांक 18 मार्च 2020 को धोलकी वगैरा ने देसु निवासी कुईयाराम सरगरा के साथ मिलकर मेरे कब्जे और निवास की खरीदशुदा भूमि की कागजी बेचान रजिस्ट्री कुटरचित दस्तावेज पंकज भारती और परमवीर सिंह आदि ने मिलकर तैयार करवाकर उप पंजीयक जालोर के कार्यालय में गलत साख डलवाकर पेश की.
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तब पीड़ित ने उसी समय उप पंजीयक जालोर के समक्ष आपत्ति दर्ज करवाई थी, जिसका नोट नियम 39 बेचान रजिस्ट्री पर डाला गया था. उसके बावजूद सामने वाले पक्ष के लोगों ने जाली दस्तावेजों के सहायता से जमीन बेच दी. ऐसे में पीड़ित की रिपोर्ट पर कोतवाली पुलिस ने धोकल देवी, भावेश, मधु, सुपारी, लता, खरीरदार कुईयाराम, साक्षी पंकज भारती और परमवीर सिंह इसके अलावा जालोर पटवारी हल्का रामप्रकाश मेघवाल, भू-अभिलेख निरीक्षक मुजरे खां और तहसीलदार मादाराम मीणा के विरुद्ध कुटरचित दस्तावेज तैयार करा और बिना कब्जे के व नियम- 39 का नोट का ज्ञान होते हुए भी म्युटेशन गलत रूप से षड्यंत्र पूर्वक भरने का मामला दर्जकर जांच शुरू कर दी है.
आपत्ति के बावजूद भरा म्युटेशन
पीड़ित ने बताया कि जब फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करवाने गए तो तहसीलदार के सामने आपत्ति लगाई थी, जिसके बाद रजिस्ट्री के पेज नम्बर- 4 के पीछे नोट लगाया गया था. नोट नियम- 39 को फोटो स्टेट कॉपी में नहीं लेकर कुटरचित दस्तावेज तैयार करके पीड़ित के कब्जे की जमीन का म्युटेशन कुईयाराम के नाम म्युटेशन सं. 2439 दिनांक 25 मई 2020 को ओमप्रकाश मेघवाल पटवारी ने भर दिया. उसके बाद आरआई मुजरेखां और तहसीलदार मादाराम मीणा ने बिना दस्तावेज व मौके के कब्जे की जांच किए बिना म्युटेशन स्वीकृत किया है, जिसके कारण तहसीलदार पर भी मामला दर्ज किया गया है.