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क्या सैलानियों का जैसलमेर से हो रहा है मोह भंग ?... देखिए खास रिपोर्ट - जैसलमेर की खबरें

स्वर्णनगरी की अर्थव्यवस्था यहां के पर्यटन पर निर्भर है, फिलहाल पर्यटन पिट रहा है तो बाजार मंदी झेलने को मजबूर है. समय रहते हालात नहीं सुधारे तो जैसलमेर शहर के लिए बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है. यहां का पर्यटन खत्म हो जाएगा और स्थाई तौर पर मंदी झेलनी पड़ेगी. बाजार में पैसे का टर्न ऑवर नहीं हो रहा है जिससे व्यवसायी भी परेशान है. सैलानियों की आवक में कमी शहर के लिए सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है.

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Published : Sep 18, 2019, 6:58 PM IST

जैसलमेर. जिले में जुलाई-अगस्त माह में जहां हर साल 80 हजार से 1 लाख सैलानी आते हैं. वहीं इस बार यह आंकड़ा 37 हजार तक ही पहुंचा है यानि 60 प्रतिशत सैलानियों की कमी देखी गई है. सीजन का पहला पड़ाव तो मंदी की मार झेल चुका है और अब पर्यटन व्यवसायियों को सीजन के दूसरे पड़ाव से उम्मीद है. साल दर साल सैलानियों की आवक में कमी जैसलमेर के पर्यटन को बहुत बड़ा झटका है.

जैसलमेर में ठप हो रहा पर्यटन व्यवसाय

जैसलमेर में विदेशी सैलानियों की आवक तो एकदम कम हो रही है. जैसलमेर का पर्यटन विदेशी पर्यटकों से ही गुलजार रहता था, लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां विदेशी सैलानियों की आवक में कमी आई है. इस बार तो कमी बहुत ज्यादा देखने को मिल रही है. विदेशी सैलानियों का सबसे खास सीजन जुलाई व अगस्त माह होता था. इस दौरान फ्रांस व स्पेन के हजारों पर्यटक आते थे, लेकिन इस बार इन दोनों माहों में 8,500 विदेशी पर्यटक भी नहीं आए.

पढ़ें: देश में आर्थिक मंदी की मार, 150 यूनिट बंद 2 व्यापारियों ने की खुदकुशी

लपकों के कारण बढ़ी समस्याएं

विदेशी सैलानियों की आवक में कमी के पीछे उनका जैसलमेर से मोह भंग होना बताया जा रहा है. जैसलमेर की छवि जो पहले थी वह अब नहीं रही है. यहां की स्थानीय समस्याएं पर्यटन बिगाड़ने में भारी पड़ रही है. बदमाशों और चोर-लुटेरों की समस्या का पुलिस व प्रशासन स्थाई समाधान नहीं निकाल पा रही है, ऐसे में सैलानियों के साथ ठगी व दुर्व्यवहार के मामले लगातार चलते रहे हैं. इससे परेशान होकर विदेशी पर्यटक अब यहां आने से कतराने लगे हैं.

हवाई सेवा शुरू लेकिन नहीं हुआ फायदा

गत साल हवाई कनेक्टिविटी का फायदा यह हुआ कि जैसलमेर में देसी पर्यटकों की रिकार्ड आवक हुई है. ऐसे में विदेशी सैलानियों की आवक पर हवाई कनेक्टिविटी का कोई खास असर नहीं हुआ है. जुलाई व अगस्त माह में इतने कम सैलानी आए हैं मानो हवाई सेवा शुरू होने का इस पर्यटन सीजन में कोई फायदा नहीं हुआ हैं. हालांकि इन दोनों माह में दिल्ली व मुंबई की फ्लाइट शुरू नहीं थी.

पढ़ें: प्रदेश के 5 जिले छोड़ अभी तक सभी जिलों में 40 फीसदी से ज्यादा बारिश

हवाई सेवा शुरू होने से पहले ऐसा लग रहा था कि जैसलमेर के पर्यटन को काफी लाभ होगा, लेकिन अभी तक ऐसा नजर नहीं आ रहा है. समय रहते हालात नहीं सुधरे तो जिस तरह से जैसलमेर में सैलानियों की आवक का ग्राफ तेजी से गिर रहा है उससे तो लग रहा है आगामी कुछ सालों में यहां का पर्यटन खत्म हो जाएगा.

जिम्मेदार कौन ?

  • शहरवासी : जो शहर को साफ सुथरा रखने को लेकर जागरूक नहीं.
  • पर्यटन व्यवसायी : जो पर्यटन नगरी की व्यवस्थाएं सुधारने में सहयोग नहीं कर रहे.
  • जिला प्रशासन : पर्यटन को बढ़ाने के लिए प्रयास नहीं, नए पर्यटन क्षेत्र तलाशने व विकसित करने के प्रति सजग नहीं.
  • सरकार : स्वर्णनगरी के पर्यटन के लिए विशेष पैकेज नहीं दे रही है.
  • नगरपरिषद : 5 किमी दायरे में फैले शहर को साफ सुथरा, विकसित व पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने में विफल.
  • लपके : जो पर्यटन के लिए नासूर बन चुके हैं. सैलानियों के साथ ठगी व दुर्व्यवहार करते हैं.

जैसलमेर. जिले में जुलाई-अगस्त माह में जहां हर साल 80 हजार से 1 लाख सैलानी आते हैं. वहीं इस बार यह आंकड़ा 37 हजार तक ही पहुंचा है यानि 60 प्रतिशत सैलानियों की कमी देखी गई है. सीजन का पहला पड़ाव तो मंदी की मार झेल चुका है और अब पर्यटन व्यवसायियों को सीजन के दूसरे पड़ाव से उम्मीद है. साल दर साल सैलानियों की आवक में कमी जैसलमेर के पर्यटन को बहुत बड़ा झटका है.

जैसलमेर में ठप हो रहा पर्यटन व्यवसाय

जैसलमेर में विदेशी सैलानियों की आवक तो एकदम कम हो रही है. जैसलमेर का पर्यटन विदेशी पर्यटकों से ही गुलजार रहता था, लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां विदेशी सैलानियों की आवक में कमी आई है. इस बार तो कमी बहुत ज्यादा देखने को मिल रही है. विदेशी सैलानियों का सबसे खास सीजन जुलाई व अगस्त माह होता था. इस दौरान फ्रांस व स्पेन के हजारों पर्यटक आते थे, लेकिन इस बार इन दोनों माहों में 8,500 विदेशी पर्यटक भी नहीं आए.

पढ़ें: देश में आर्थिक मंदी की मार, 150 यूनिट बंद 2 व्यापारियों ने की खुदकुशी

लपकों के कारण बढ़ी समस्याएं

विदेशी सैलानियों की आवक में कमी के पीछे उनका जैसलमेर से मोह भंग होना बताया जा रहा है. जैसलमेर की छवि जो पहले थी वह अब नहीं रही है. यहां की स्थानीय समस्याएं पर्यटन बिगाड़ने में भारी पड़ रही है. बदमाशों और चोर-लुटेरों की समस्या का पुलिस व प्रशासन स्थाई समाधान नहीं निकाल पा रही है, ऐसे में सैलानियों के साथ ठगी व दुर्व्यवहार के मामले लगातार चलते रहे हैं. इससे परेशान होकर विदेशी पर्यटक अब यहां आने से कतराने लगे हैं.

हवाई सेवा शुरू लेकिन नहीं हुआ फायदा

गत साल हवाई कनेक्टिविटी का फायदा यह हुआ कि जैसलमेर में देसी पर्यटकों की रिकार्ड आवक हुई है. ऐसे में विदेशी सैलानियों की आवक पर हवाई कनेक्टिविटी का कोई खास असर नहीं हुआ है. जुलाई व अगस्त माह में इतने कम सैलानी आए हैं मानो हवाई सेवा शुरू होने का इस पर्यटन सीजन में कोई फायदा नहीं हुआ हैं. हालांकि इन दोनों माह में दिल्ली व मुंबई की फ्लाइट शुरू नहीं थी.

पढ़ें: प्रदेश के 5 जिले छोड़ अभी तक सभी जिलों में 40 फीसदी से ज्यादा बारिश

हवाई सेवा शुरू होने से पहले ऐसा लग रहा था कि जैसलमेर के पर्यटन को काफी लाभ होगा, लेकिन अभी तक ऐसा नजर नहीं आ रहा है. समय रहते हालात नहीं सुधरे तो जिस तरह से जैसलमेर में सैलानियों की आवक का ग्राफ तेजी से गिर रहा है उससे तो लग रहा है आगामी कुछ सालों में यहां का पर्यटन खत्म हो जाएगा.

जिम्मेदार कौन ?

  • शहरवासी : जो शहर को साफ सुथरा रखने को लेकर जागरूक नहीं.
  • पर्यटन व्यवसायी : जो पर्यटन नगरी की व्यवस्थाएं सुधारने में सहयोग नहीं कर रहे.
  • जिला प्रशासन : पर्यटन को बढ़ाने के लिए प्रयास नहीं, नए पर्यटन क्षेत्र तलाशने व विकसित करने के प्रति सजग नहीं.
  • सरकार : स्वर्णनगरी के पर्यटन के लिए विशेष पैकेज नहीं दे रही है.
  • नगरपरिषद : 5 किमी दायरे में फैले शहर को साफ सुथरा, विकसित व पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने में विफल.
  • लपके : जो पर्यटन के लिए नासूर बन चुके हैं. सैलानियों के साथ ठगी व दुर्व्यवहार करते हैं.
Intro:Body:DAY PLAN STORY

स्वर्णनगरी के पर्यटन अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल
पर्यटन पिट रहा है तो बाजार मंदी झेलने को मजबूर
पर्यटकों के घटते ठहराव है बड़ा चिंता का विषय
सीजन का पहला पड़ाव तो मंदी की मार झेल चुका, अब दूसरे पड़ाव से उम्मीद
क्या सैलानियों का जैसलमेर से मोह भंग हो रहा है ?

स्वर्णनगरी की अर्थव्यवस्था यहां के पर्यटन पर निर्भर है, फिलहाल पर्यटन पिट रहा है तो बाजार मंदी झेलने को मजबूर है। समय रहते हालात नहीं सुधारे तो जैसलमेर शहर के लिए बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। यहां का पर्यटन खत्म हो जाएगा और स्थाई तौर पर मंदी झेलनी पड़ेगी। बाजार में पैसे का टर्न ऑवर नहीं हो रहा है जिससे व्यवसायी भी परेशान है। सैलानियों की आवक में कमी शहर के लिए सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है।


जैसलमेर में जुलाई-अगस्त माह में जहां हर साल 80 हजार से 1 लाख सैलानी आते हैं वहीं इस बार यह आंकड़ा 37 हजार तक ही पहुंचा है यानि 60 प्रतिशत सैलानी कम आए। सीजन का पहला पड़ाव तो मंदी की मार झेल चुका है और अब पर्यटन व्यवसायियों को सीजन के दूसरे पड़ाव से उम्मीद है। साल दर साल सैलानियों की आवक में कमी जैसलमेर के पर्यटन को बहुत बड़ा झटका है। विदेशी सैलानियों की आवक तो एकदम कम हो रही है जैसलमेर का पर्यटन विदेशी पर्यटकों से ही गुलजार रहता था, लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां विदेशी सैलानियों की आवक में कमी आई है। इस बार तो कमी बहुत ज्यादा देखने को मिल रही है। विदेशी सैलानियों का पीक सीजन जुलाई व अगस्त माह होता था। इस दौरान फ्रांस व स्पेन के हजारों पर्यटक आते थे , लेकिन इस बार इन दो माह में 8500 विदेशी पर्यटक भी नहीं आए।

क्या सैलानियों का जैसलमेर से मोह भंग हो रहा है ?
विदेशी सैलानियों की आवक में कमी के पीछे उनका जैसलमेर से मोहभंग होना बताया जा रहा है। जैसलमेर की छवि जो पहले थी अब नहीं रही है। यहां की स्थानीय समस्याएं पर्यटन बिगाड़ने में भारी पड़ रही है। लपकों की समस्या का पुलिस व प्रशासन स्थाई समाधान नहीं निकाल पा रही है, ऐसे में सैलानियों के साथ ठगी व दुर्व्यवहार के मामले लगातार चलते रहे । इससे परेशान हाेकर विदेशी पर्यटक अब यहां आने से कतराने लगे हैं।

हवाई सेवा शुरू होने का फायदा नहीं -
गत साल हवाई कनेक्टिविटी का फायदा यह हुआ कि जैसलमेर में देसी पर्यटकों की रिकार्ड आवक हुई, ऐसे में विदेशी सैलानियों की आवक पर हवाई कनेक्टिविटी का कोई खास असर नहीं हुआ है। जुलाई व अगस्त माह में इतने कम सैलानी आए हैं मानो हवाई सेवा शुरू होने का इस पर्यटन सीजन में कोई फायदा नहीं हुआ। हालांकि इन दोनों माह में दिल्ली व मुंबई की फ्लाइट शुरू नहीं थी। हवाई सेवा शुरू होने से पहले ऐसा लग रहा था कि जैसलमेर के पर्यटन को काफी लाभ होगा, लेकिन अभी तक ऐसा नजर नहीं आ रहा है। समय रहते हालात नहीं सुधरने तो जिस तरह से जैसलमेर में सैलानियों की आवक का ग्राफ तेजी से गिर रहा है उससे तो ऐसा लग रहा है आगामी कुछ सालों में यहां का पर्यटन खत्म हो जाएगा।

बाईट-1- अरविन्द व्यास - पर्यटन व्यवसाई
बाईट-2- अरुण पुरोहित - उपाध्यक्ष - गाइड एशोशियन जैसलमेर


जिम्मेदार कौन ?
शहरवासी : जो शहर को साफ सुथरा रखने को लेकर जागरूक नहीं।
पर्यटन व्यवसायी : जो पर्यटन नगरी की व्यवस्थाएं सुधारने में सहयोग नहीं कर रहे।
जिला प्रशासन : पर्यटन को बढ़ाने के लिए प्रयास नहीं, नए पर्यटन क्षेत्र तलाशने व विकसित करने के प्रति सजग नहीं।
सरकार : स्वर्णनगरी के पर्यटन के लिए विशेष पैकेज नहीं दे रही।
नगरपरिषद : 5 किमी दायरे में फैले शहर को साफ सुथरा, विकसित व पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने में विफल।
लपके : जो पर्यटन के लिए नासूर बन चुके हैं। सैलानियों के साथ ठगी व दुर्व्यवहार करने वाले। Conclusion:
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