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जैसलमेर से भगवान श्रीराम का पुराना नाता...मंदिर शिलान्यास पर स्वर्णनगरी में दिखा उत्साह - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

देशभर की तरह जैसलमेर में भी भगवान श्री राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला और भूमि पूजन के बाद जश्न मनाया गया. इस दौरान सभी ने अपने-अपने तरीके से एक-दूसरे को बधाई दी.

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मंदिर शिलान्यास पर स्वर्णनगरी में दिखा उत्साह
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Published : Aug 5, 2020, 5:45 PM IST

जैसलमेर. करीब 500 साल से अयोध्या में चल रहे राम मंदिर विवाद समाप्त हो चुका है. भगवान श्री राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला और भूमि पूजन बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया. इसके बाद राजस्थान के सरहदी जिले जैसलमेर में भी चारों ओर उत्साह का माहौल देखने को मिला. इस दौरान सभी ने अपने-अपने तरीके से इस दिन और भी खास बनाने में जुटे हुए है.

मंदिर शिलान्यास पर स्वर्णनगरी में दिखा उत्साह

वरिष्ठ इतिहासकार नंद किशोर शर्मा ने जैसलमेर और भगवान राम का संबंध बताते हुए कहा कि लंका चढ़ाई के दौरान समुंद्र पार करने के दौरान समुंद्र द्वारा रास्ता नहीं देने पर भगवान राम ने अपने धनुष पर तीर चढ़ाकर समुंद्र को सुखाने की जैसे ही ठानी. इस दौरान समुद्र देवता प्रकट हुए और श्रीराम से माफी मांगी.

पढ़ें- कांग्रेस काम करने में विश्वास रखती है और भाजपा नौटंकी करने में: प्रमोद जैन भाया

इस पर भगवान राम ने धनुष पर चढ़े तीर को पश्चिम दिशा की ओर छोड़ा जो जैसलमेर में आकर गिरा और यहां जो विशाल समुद्र था, वो सुख कर रेगिस्तान बन गया. इस तरह जैसलमेर और इस पश्चिमी भू-भाग में रहने वाले जीव-जंतुओं का भी भगवान श्रीराम से पुराना नाता है.

इतिहासकर शर्मा ने बताया कि उन्होंने इस अवसर पर एक लावणी की रचना की जो भव्य मंदिर निर्माण के मंगल अवसर के साथ देश में एकता और अखंडता को प्रदर्शित करती है. जैसलमेर के मरू सांस्कृतिक केंद्र में स्थानीय कलाकारों द्वारा इस लावणी को विशेष तौर पर प्रस्तुत किया गया, जिसने वहां उपस्थित सभी का मन मोह लिया.

जैसलमेर. करीब 500 साल से अयोध्या में चल रहे राम मंदिर विवाद समाप्त हो चुका है. भगवान श्री राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला और भूमि पूजन बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया. इसके बाद राजस्थान के सरहदी जिले जैसलमेर में भी चारों ओर उत्साह का माहौल देखने को मिला. इस दौरान सभी ने अपने-अपने तरीके से इस दिन और भी खास बनाने में जुटे हुए है.

मंदिर शिलान्यास पर स्वर्णनगरी में दिखा उत्साह

वरिष्ठ इतिहासकार नंद किशोर शर्मा ने जैसलमेर और भगवान राम का संबंध बताते हुए कहा कि लंका चढ़ाई के दौरान समुंद्र पार करने के दौरान समुंद्र द्वारा रास्ता नहीं देने पर भगवान राम ने अपने धनुष पर तीर चढ़ाकर समुंद्र को सुखाने की जैसे ही ठानी. इस दौरान समुद्र देवता प्रकट हुए और श्रीराम से माफी मांगी.

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इस पर भगवान राम ने धनुष पर चढ़े तीर को पश्चिम दिशा की ओर छोड़ा जो जैसलमेर में आकर गिरा और यहां जो विशाल समुद्र था, वो सुख कर रेगिस्तान बन गया. इस तरह जैसलमेर और इस पश्चिमी भू-भाग में रहने वाले जीव-जंतुओं का भी भगवान श्रीराम से पुराना नाता है.

इतिहासकर शर्मा ने बताया कि उन्होंने इस अवसर पर एक लावणी की रचना की जो भव्य मंदिर निर्माण के मंगल अवसर के साथ देश में एकता और अखंडता को प्रदर्शित करती है. जैसलमेर के मरू सांस्कृतिक केंद्र में स्थानीय कलाकारों द्वारा इस लावणी को विशेष तौर पर प्रस्तुत किया गया, जिसने वहां उपस्थित सभी का मन मोह लिया.

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