ETV Bharat / state

बृज की होली से अनूठी है जैसलमेर की होली, भगवान श्री कृष्ण के साथ यहां होली खेलते हैं...होली के रसिया

जैसलमेर के सोनार किले स्थित भगवान श्री लक्ष्मीनाथ के मंदिर से होली के आयोजन का आगाज होता है. जहां होली के रसिया होलकष्टम लगने के साथ ही भगवान के मंदिर में फागोत्सव आरंभ कर देते हैं. यहां मान्यता है कि जब होली के रसिया भगवान के मंदिर में बैठकर फाग का गायन करते हैं तो स्वयं भगवान इनके साथ फाग का आनंद लेते हैं. इसी वजह से शहर के सभी लोग इस दौरान मंदिर आते हैं. ताकि वो भी भगवान की उपस्थिति को महसूस कर सके.

जैसलमेर न्यूज, राजस्थान न्यूज, jaislmer news, rajasthan news
बृज की होली से अनूठी है जैसलमेर की होली
author img

By

Published : Mar 27, 2021, 4:55 PM IST

जैसलमेर. जैसलमेर में होली के रंग चढ़ने लगे हैं जो एकादशी आते ही अपने पूरे परवान पर होते हैं. रियासत काल से ही जैसलमेर में होली के पर्व की अपनी एक अलग पहचान है. जहां राजा और प्रजा सभी एक साथ मिलकर होली खेलते हैं और आपस में भाईचारे का संदेश देते हैं. इसके अलावा जिले की होली की तुलना बृज की होली के साथ की जाती है.

बृज की होली से अनूठी है जैसलमेर की होली

बता दें कि रियासत काल से जैसलमेर के सोनार किले स्थित भगवान श्री लक्ष्मीनाथ के मंदिर से होली के आयोजन का आगाज होता है. जहां पर होली के रसिया होलकष्टम लगने के साथ ही भगवान के मंदिर में फागोत्सव आरंभ कर देते हैं और मान्यता है कि जब होली के रसिया भगवान के मंदिर में बैठकर फाग का गायन करते हैं तो स्वयं भगवान लक्ष्मीनाथ इन रसियों के साथ बैठकर फाग का आनंद लेते हैं.

पढ़ें: राजस्थान उपचुनाव: 3 विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची जारी

इसी वजह से शहर के सभी लोग इस दौरान मंदिर आते हैं, ताकि वो भी भगवान की उपस्थिति को महसूस कर सके. बत दें कि जैसलमेर रियासत के राजा यदुवंशी हैं. ऐसे में आज भी भगवान श्री कृष्ण के अवतार के रूप में जनता इनका सम्मान और सत्कार करती है. होली के त्यौहार पर एकादशी के दिन स्वयं राज परिवार से महारावल लक्ष्मीनाथ मंदिर आते हैं और फाग गाने वाले होली के रसिया पर गुलाल उड़ाकर होली का आगाज करते हैं और फिर इनके साथ बैठकर होली के गीतों का आनंद उठाते हैं. हालांकि इस बार राजपरिवार में पूर्व महारावल बृजराजसिंह के निधन के चलते शोक है.

ऐसे में कोई भी राज परिवार सदस्य इस बार होली में शामिल नहीं हुआ लेकिन राज परिवार की ओर से भेजी गई गुलाल भगवान लक्ष्मीनाथ जी और भक्तों पर उड़ा कर इस परंपरा का निर्वहन किया गया. साथ ही प्रतिवर्ष होली के दिन कई देशी और विदेशी सैलानी भी विशेषतः जैसलमेर की इस अनूठी होली में शामिल होने यहां आते हैं. इस बार कोरोना के चलते पर्यटक भी इसमें शामिल नहीं हो सके लेकिन स्थानीयवासी होली में रंग में पूरी तरह से रंगे हुए दिखाई दिए. जिसमें बुजुर्ग, युवाओं के साथ महिलाएं भी शामिल हुई.

जैसलमेर. जैसलमेर में होली के रंग चढ़ने लगे हैं जो एकादशी आते ही अपने पूरे परवान पर होते हैं. रियासत काल से ही जैसलमेर में होली के पर्व की अपनी एक अलग पहचान है. जहां राजा और प्रजा सभी एक साथ मिलकर होली खेलते हैं और आपस में भाईचारे का संदेश देते हैं. इसके अलावा जिले की होली की तुलना बृज की होली के साथ की जाती है.

बृज की होली से अनूठी है जैसलमेर की होली

बता दें कि रियासत काल से जैसलमेर के सोनार किले स्थित भगवान श्री लक्ष्मीनाथ के मंदिर से होली के आयोजन का आगाज होता है. जहां पर होली के रसिया होलकष्टम लगने के साथ ही भगवान के मंदिर में फागोत्सव आरंभ कर देते हैं और मान्यता है कि जब होली के रसिया भगवान के मंदिर में बैठकर फाग का गायन करते हैं तो स्वयं भगवान लक्ष्मीनाथ इन रसियों के साथ बैठकर फाग का आनंद लेते हैं.

पढ़ें: राजस्थान उपचुनाव: 3 विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची जारी

इसी वजह से शहर के सभी लोग इस दौरान मंदिर आते हैं, ताकि वो भी भगवान की उपस्थिति को महसूस कर सके. बत दें कि जैसलमेर रियासत के राजा यदुवंशी हैं. ऐसे में आज भी भगवान श्री कृष्ण के अवतार के रूप में जनता इनका सम्मान और सत्कार करती है. होली के त्यौहार पर एकादशी के दिन स्वयं राज परिवार से महारावल लक्ष्मीनाथ मंदिर आते हैं और फाग गाने वाले होली के रसिया पर गुलाल उड़ाकर होली का आगाज करते हैं और फिर इनके साथ बैठकर होली के गीतों का आनंद उठाते हैं. हालांकि इस बार राजपरिवार में पूर्व महारावल बृजराजसिंह के निधन के चलते शोक है.

ऐसे में कोई भी राज परिवार सदस्य इस बार होली में शामिल नहीं हुआ लेकिन राज परिवार की ओर से भेजी गई गुलाल भगवान लक्ष्मीनाथ जी और भक्तों पर उड़ा कर इस परंपरा का निर्वहन किया गया. साथ ही प्रतिवर्ष होली के दिन कई देशी और विदेशी सैलानी भी विशेषतः जैसलमेर की इस अनूठी होली में शामिल होने यहां आते हैं. इस बार कोरोना के चलते पर्यटक भी इसमें शामिल नहीं हो सके लेकिन स्थानीयवासी होली में रंग में पूरी तरह से रंगे हुए दिखाई दिए. जिसमें बुजुर्ग, युवाओं के साथ महिलाएं भी शामिल हुई.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.