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जैसलमेरः दुर्लभ प्रजाति के गिद्धों के मिले शव

जैसलमेर के धोलिया-खेतोलाई गांव के बीच शुक्रवार को आधा दर्जन दुर्लभ प्रजाति के गिद्धों के शव मिले जिसके बाद सूचना पर वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मौके पर पहुंचकर बिखरे शवों को एकत्र कर अपने कब्जे में लिया.

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Published : Oct 18, 2019, 11:03 PM IST

जैसलमेर. जिले के धोलिया-खेतोलाई गांव में शुक्रवार को वन्यजीव प्रेमियों को मॉनिटरिंग के दौरान इलाके में दुर्लभ प्रजाति के गिद्धों के शव मिले, इस पर उन्होंने वन विभाग को सूचित किया. जिसके बाद वन विभाग के अधिकारियों ने बिखरे शवों को एकत्र कर अपने कब्जे में लिया.

दुर्लभ प्रजाति के गिद्धों के मिले शव

गौरतलब है की इस क्षेत्र में वन विभाग का बहुत बड़ा आरक्षित क्षेत्र होने के कारण यहां विभिन्न प्रजातियों के पशु- पक्षी स्वच्छंद विचरण करते है, इलाके से गुजरने वाली हाइटेंशन बिजली की तारे इनके लिए मौत का कारण बनी हुई है और कई बार इस तरह के मामले भी सामने आए है.

पढ़ेंः जैसलमेर के शराब ठेकों में हुई डिकॉय ऑपरेशन की कार्यवाही

बता दें कि धोलिया-खेतोलाई गांव के बीच शुक्रवार को वन्यजीव प्रेमी राधेश्याम पेमाणी और उनके साथी वन्यजीवों को देखने के लिए निकले हुए थे. इस दौरान उन्हें एक हाइटेंशन बिजली के खम्भे के पास क्षत विक्षत हालात में करीब आधा दर्जन गिद्धों के शव बिखरे पड़े मिले. जिस पर उन्होंने इसकी सूचना लाठी स्थित वन विभाग के कार्मिकों को दी. सूचना पर क्षेत्रीय वन अधिकारी जगदीश विश्नोई सहित टीम मौके पर पहुंची तथा गिद्धों के बिखरे शवों को एकत्र कर उन्हें लाठी वनविभाग लेकर आए. शव काफी पुरानी होने के कारण उनका पोस्टमार्टम नहीं हो सका जिसके बाद वन विभाग ने शवों को दफना दिया.

जैसलमेर. जिले के धोलिया-खेतोलाई गांव में शुक्रवार को वन्यजीव प्रेमियों को मॉनिटरिंग के दौरान इलाके में दुर्लभ प्रजाति के गिद्धों के शव मिले, इस पर उन्होंने वन विभाग को सूचित किया. जिसके बाद वन विभाग के अधिकारियों ने बिखरे शवों को एकत्र कर अपने कब्जे में लिया.

दुर्लभ प्रजाति के गिद्धों के मिले शव

गौरतलब है की इस क्षेत्र में वन विभाग का बहुत बड़ा आरक्षित क्षेत्र होने के कारण यहां विभिन्न प्रजातियों के पशु- पक्षी स्वच्छंद विचरण करते है, इलाके से गुजरने वाली हाइटेंशन बिजली की तारे इनके लिए मौत का कारण बनी हुई है और कई बार इस तरह के मामले भी सामने आए है.

पढ़ेंः जैसलमेर के शराब ठेकों में हुई डिकॉय ऑपरेशन की कार्यवाही

बता दें कि धोलिया-खेतोलाई गांव के बीच शुक्रवार को वन्यजीव प्रेमी राधेश्याम पेमाणी और उनके साथी वन्यजीवों को देखने के लिए निकले हुए थे. इस दौरान उन्हें एक हाइटेंशन बिजली के खम्भे के पास क्षत विक्षत हालात में करीब आधा दर्जन गिद्धों के शव बिखरे पड़े मिले. जिस पर उन्होंने इसकी सूचना लाठी स्थित वन विभाग के कार्मिकों को दी. सूचना पर क्षेत्रीय वन अधिकारी जगदीश विश्नोई सहित टीम मौके पर पहुंची तथा गिद्धों के बिखरे शवों को एकत्र कर उन्हें लाठी वनविभाग लेकर आए. शव काफी पुरानी होने के कारण उनका पोस्टमार्टम नहीं हो सका जिसके बाद वन विभाग ने शवों को दफना दिया.

Intro:Body:दुर्लभ प्रजाति के गिद्धों के मिले शव

वन्य जीवो की मॉनिटरिंग के दौरान मिले शव

वन्यजीव प्रेमियों ने वन विभाग को किया सूचित

वनविभाग ने दफनाया शवों को

जैसलमेर के धोलिया-खेतोलाई गांव के बीच आज आधा दर्जन दुर्लभ प्रजाति के गिद्धों के शव मिले तथा सूचना पर वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने मौके पर पहुंचकर बिखरे शवों को एकत्र कर अपने कब्जे में लिया। जानकारी के अनुसार आज वन्यजीव प्रेमियों को मॉनिटरिंग के दौरान इलाके में दुर्लभ प्रजाति के गिद्धों के शव मिले, इस पर उन्होंने वन विभाग को सूचित किया। गौरतलब है की इस क्षेत्र में वन विभाग का बहुत बड़ा आरक्षित क्षेत्र होने के कारण यहां विभिन्न प्रजातियों के पशु- पक्षी स्वच्छंद विचरण करते है, इलाके से गुजरने वाली हाइटेंशन बिजली की तारे इनके लिए मौत का कारण बनी हुई है और कई बार इसके मामले भी सामने आये है।

धोलिया-खेतोलाई गांव के बीच आज वन्यजीव प्रेमी राधेश्याम पेमाणी और उनके साथी वन्यजीवों को देखने के लिए निकले हुए थे। इस दौरान उन्हें एक हाइटेंशन बिजली के खम्भे के पास क्षत विक्षत हालात में करीब आधा दर्जन गिद्धों के शव बिखरे पड़े मिले। जिस पर उन्होंने इसकी सूचना लाठी स्थित वन विभाग के कार्मिकों को दी। सूचना पर क्षेत्रीय वन अधिकारी जगदीश विश्नोई सहित टीम मौके पर पहुंची तथा गिद्धोंं के बिखरे शवों को एकत्र कर उन्हें लाठी वनविभाग लेकर आए। शव काफी पुरानी होने के कारण उनका पोस्टमार्टम नहीं हो सका और वन विभाग ने इन्हे दफना दिया । जैसलमेर में दुर्लभ प्रजाति के गिद्धों और गोडावण की मौत के मामले लगातार सामने आते है जिसको लेकर वन विभाग को कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, नहीं तो ये प्रजातियां विलुप्त हो जाएगी।

बाईट -1 - राधेश्याम पैमानी, वन्यजीव प्रेमी Conclusion:
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