जैसलमेर. जिले में डॉक्टर्स का एक सेमीनार आयोजित किया गया.जिसमें मेडिकल से सम्बंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई. इस दौरान सबसे ज्यादा चर्चा जीन थैरेपी के बारे में की गई. जिससे जल्द ही भारत में आरम्भ किया जाएगा,ताकि दुनिया की श्रेष्ठ तकनीक से भारत को लाभ दिलवाया जा सके.
इस दौरान महिला चिकित्सक अर्पिता लाखोटिया ने जीन थैरेपी के बारे में बताया कि हमारे शरीर में हजारों बीमारियां ऐसी है. जो किसी जीन संरचना में आए विकार और आवश्यक जीन की अनुपस्थिति के कारण होती हैं, लेकिन जैव प्रौद्योगिकी की सहायता से ऐसी बीमारियों का उपचार होना संभव है.
उन्होंने बताया कि जीन चिकित्सा के अंतर्गत मुख्य रूप से तीन विधियां प्रयोग में लाई जाती है. जिसमें जीन प्रतिस्थापन, जीन सुधार और जीन ऑग्मेंटेशन प्रमुख है. वहीं विकृत और दोषमुक्त जीन के स्थान पर विकृती जीन को प्रतिस्थापित करने की प्रक्रिया जीन प्रतिस्थापन कहलाती है.
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जबकि जीन करेक्शन के अंतर्गत जीन में आये आणविक विकारो को थोड़ा परिवर्तित करके उसे ठीक किया जाता है. कोशिका के अंतर्गत विकृत जीन के साथ एक पूरी तरह से कार्य करने वाले जीन को डाल दिया जाता है. जो स्वतंत्र रूप से कार्य करते हुए विकारो को दूर कर देता है. जिसे जीन ऑग्मेंटेशन कहते है.
जीन चिकित्सा के लाभ
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान द्वारा मेटा स्टेटिक मेलानोमा का उपचार.
- माइलॉयड कोशिकाओं को प्रभावित करने वाले रोगो का उपचार.
- पार्किसन रोग का उपचार.
- हंटिंगटन कोइया का उपचार.
- थैलेसेमिया ए सिस्टिक फाइब्रोसिस और कैंसर के कुछ प्रकारो का उपचार.
- चुहिया में सिकल रोग का सफलतापूर्वक उपचान किया गया है.
- एस. सी. आई. डी. सी. सीवियर कंबाइड डिफिसियेंसी या बबल ब्वाय रोग के उपचार का विकास 2002 में किया गया.