जैसलमेर. शारदीय नवरात्र में दुर्गा पूजा के दौरान मां के नौ रूपों की पूजा-उपासना की जाती है. सनातन धर्म के अनुसार लोग नवरात्र में विभिन्न देवियों की पूजा-अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना करते हैं. जैसलमेर जिले में हर वर्ष भारत-पाक सीमा पर तनोट माता मंदिर, देगराय माता मंदिर, तेमड़ेराय मंदिर सहित कई मंदिरों में दर्शनार्थियों का जमावड़ा रहता था और हजारों की संख्या में पैदल श्रद्धालु भी पहुंचते थे. लेकिन इस बार कोरोना के चलते मंदिर परिसर के कपाट तो खुले हैं, लेकिन भक्तों की संख्या में कमी देखने को मिली है.
कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए मंदिर ट्रस्ट की ओर से सभी प्रकार की एहतियात बरती जा रही है. तनोट माता मंदिर में इन दिनों सीमित संख्या में ही भक्तों को मुख्य मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है. साथ ही आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को सैनिटाइजर का उपयोग और मास्क के उपयोग के साथ-साथ उपयुक्त दूरी रखने के लिए निर्देशित किया जा रहा है. इस बार मंदिर समिति ने हर वर्ष आयोजित होने वाले मेलों को स्थगित कर दिया है. साथ ही बीएसएफ की ओर से लगाए जाने वाले लंगर का आयोजन भी टाल दिया गया है.
पढ़ें- अजमेर : शारदीय नवरात्र पर 93वां दुर्गा पूजा महोत्सव शुरू, बंगाली परंपरा के अनुसार निभाई गई रस्में
तनोट के अतिरिक्त जैसलमेर शहर और आसपास के सभी शक्तिपीठों एवं देवी मंदिरों में कुछ ऐसे ही नजारे देखने को मिल रहे हैं. यहां चरणामृत से पहले सैनिटाइजर आने वाले भक्तों को दिया जा रहा है ताकि वे खुद को संक्रमण मुक्त रख सके.
जिला कलेक्टर आशीष मोदी ने सभी उपखण्ड अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले सभी मंदिरों में आने-जाने वाले सभी श्रद्धालुओं की नियमित मॉनिटरिंग करें. साथ ही यह सुनिश्चित करें कि कोरोना गाइडलाइन की पूरी पालना हो. जिला कलेक्टर ने मंदिर समिति को भी मंदिर में इस दौरान उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं ताकि इस दौरान कोरोना संक्रमण नहीं फैले.