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गणेश चतुर्थी स्पेशल: जैसलमेर के चूंधी गणेश करते हैं भक्तों के घरों का सपना पूरा

जैसलमेर के चूंधी गणेश जी को घर देने वाले गणेश जी के नाम से भी लोग जानते है. यहां के बारे में लोग बताते है कि अपना खुद का मकान बनाने का सपना चूंधी गणेश जी पूरा करते है. साथ ही इस मंदिर का इतिहास भी कांफी पुराना बताया जाता है. यहां लोग मंदिर परिसर में पत्थरों से मकान की प्रतिकृति बनाकर मनोकामना मांगते है. मंदिर के आसपास आप सैंकड़ों की संख्या में घर की इच्छा रखने वाले लोगों के घर बने देखेंगे.

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Published : Sep 2, 2019, 8:03 PM IST

Chundhi Ganesh Temple Jaisalmer, जैसलमेर चूंधी गणेश मंदिर

जैसलमेर. शहर से 12 किलोमीटर दूर स्थित भगवान गणेश जी का एक ऐसा मंदिर स्थित है जो कि भक्तों को घर प्रदान करता है. दूर दूर से भक्त यहां भगवान के दर्शनों के लिये आते हैं और भगवान के समक्ष अपने आशियाने की मनोकामना प्रकट करते हैं. यह केवल मान्यता मात्र नहीं हैं ऐसा बताया जाता है है कि यहां पर आने वाले भक्तों को भगवान बाकायदा घर दिये भी हैं. इसी का परिणाम ही है कि यहां आने वाले दर्शानार्थियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है.

जैसलमेर के चूंधी गणेश करते है भक्तों के घरों का सपना पूरा

अपने घर का सपना किस व्यक्ति का नहीं होता. अपने आशियाने की हर कोई तमन्ना रखता है. इस सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की जाती है लेकिन फिर भी काफी लोग खुद का आशियाना बनाने में सफल नहीं हो पाते. जैसलमेर के चूंधी गणेश जी के मंदिर में आने वाले भक्त मंदिर के आस-पास बिखरे पत्थरों से अपना मन चाहा घर बनाते हैं और गणेश जी से प्रार्थना करते हैं की जैसा घर उन्होंने उनके मंदिर में बनाया है, वैसा ही घर उनका स्वयं का भी जल्दी बना दें.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: विश्व का एकमात्र गणेश मंदिर, यहां है बिना सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा

14 सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है चूंधी गणेश मंदिर
जैसलमेर की स्थापना से भी पुराने इस मंदिर के इतिहास के बारे में अगर बात करें तो पता लगता है कि करीब 14 सौ वर्ष से भी पुराना यह मंदिर है. उस काल में चंवद ऋषि द्वारा यहां 5 सौ वर्ष तक तप किया था. इसलिए इस स्थान का नाम चूंधी पड़ा था. इतना ही नहीं विभिन्न समय काल में विभिन्न ऋषि मुनियों ने यहां तपस्या कर इस स्थान के तप को बढ़ाया है. इसी का परिणाम है कि आज यहां आने वाले दर्शनार्थियों को यहां आने के बाद शांति और सुकून की अनुभूति होती है.

मंदिर परिसर में बने छोट-छोट मकान इसका परिणाम
आज के वैज्ञानिक युग में इस प्रकार की बातें बेमानी सी लगती है, लेकिन आस्था व श्रद्धा के आगे विज्ञान में घुटने टेकता है. जहां पर विज्ञान के शोध समाप्त होते हैं. वहां से आरम्भ होते भगवान की चमत्कार और इसी का परिणाम है कि आज भी आस्था व श्रद्धा के वशीभूत भगवान भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा भी करते हैं और ऐसा ही कुछ हो रहा है जैसलमेर के चूंधी गणेश जी के मंदिर में. जहां मंदिर परिसर के पास बने सैकड़ों की संख्या में छोटे-छोटे मकान यह गवाही दे रहे हैं कि भगवान है और वे भक्तों की मनोकामना को पूरा करने के लिए हरपल तैयार रहते हैं. भक्तों का मनाना है की हमने जितने घर बनाए भगवान गणेश ने उतनी घर दिए है.

पढ़ें- राजसमंद के मंशापूर्ण महागणपति मंदिर में होती है मनोकामना पूरी...पूरे देश में ऐसी प्रतिमा कही नहीं

चूंधी गणेश की देशभर के मंदिरों में अपनी विशेष पहचान
बरसाती नदी के बीच बना यह मंदिर देशभर के मंदिरों में अपनी विशेष पहचान रखता है .इसका कारण यह भी है कि भारत में ऐसे कम ही मंदिर है जो कि किसी नदी के बीच बने हो. चूंधी गणेश जी की महिमा को और अधिक बढ़ाने वाली बात यह भी है कि यहां पर स्थित गणेश जी की प्रतिमा को ना तो किसी कारीगर से बनवाया था और ना ही किसी ने यहां पर इनकी प्राण प्रतिष्ठा की. इस मूर्ति के बारे में मान्यता यह है कि यह प्रतिमा स्वयंभू ही प्रकट हुई थी.

ऐसी मान्यता यहां सभी देवता मिलकर गणेश जी का करते है जलाभिषेक
नदी के बीच होने के कारण बरसात के दिनों में कई बार ऐसा होता है कि गणेश जी की प्रतिमा पानी में डूबी होती हैं. इसलिये मूर्ति के बारे में यह मान्यता भी है कि प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी से पहले बारिश होती है और सभी देवता मिल कर गणेश जी का जलाभिषेक करते हैं. मंदिर के दोनों तरफ दो कुंए स्थापित हैं. इन कुओं के बारे में कहा जाता है की इन कुओं में हरिद्वार में बहने वाली मां गंगा का जल आता है, क्योंकि किवदंती है की एक श्रद्धालु भक्त के रिश्तेदार हरिद्वार में गंगा स्नान कर रहे थे और वह स्वयं चूंधी के इस कुएं के समक्ष तपस्या कर रहे थे. स्नान करते समय उनके रिश्तेदार के हाथ से कंगन निकल कर गंगा में बह गया. कंगन बहता-बहता चूंधी में आ गया. ऐसा भी माना जाता है की वर्ष में एक बार इन कुओं में गंगा का पानी प्रकृति तौर पर आ जाता है. गणेश जी के मंदिर के सामने राम दरबार का मंदिर है. जिसमें श्री राम अपनी भार्या माता सीता, भ्राता लक्ष्मण और अपने परम प्रिय हनुमान जी संग विराजते हैं. भगवान श्री कृष्ण अपने बाल रूप में पालने में विराजित हो मंदिर में आने वाले भक्तों से झूला झूलते हैं. इस मंदिर के ठीक सामने शिव मंदिर है.

पढ़ें- जोधपुर के प्राचीन गणेश मंदिर में हुई महाआरती, सैकड़ों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

हर साल गणेश चतुर्थी के दिन भरता है भव्य मेला
चूंधी गणेश की इन्हीं मान्यताओं और चमत्कारों के चलते यहां पर प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी के दिन भव्य मेला भरता है. जिसमें जैसलमेर सहित अन्य जिलों व राज्यों से भी कई श्रद्धालु भगवान गणपति के दर्शन करने और उनसे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु एकत्रित होते हैं. गणेश चतुर्थी के दिन यहां भरे जाने वाले मेले का आयोजन यहां की स्थानीय समिति की ओर से किया जाता है. जिसमें जैसलमेर से चूंधी तक दर्शनार्थियों को लाने के लिये बसों की व्यवस्था के साथ-साथ मंदिर परिसर में आने वाले दर्शनार्थियों की व्यवस्था करना उनके लिए प्रसादी की व्यवस्था करना एवं सभी के लिये महाप्रसादी का आयोजन करना शामिल होता है.

जैसलमेर. शहर से 12 किलोमीटर दूर स्थित भगवान गणेश जी का एक ऐसा मंदिर स्थित है जो कि भक्तों को घर प्रदान करता है. दूर दूर से भक्त यहां भगवान के दर्शनों के लिये आते हैं और भगवान के समक्ष अपने आशियाने की मनोकामना प्रकट करते हैं. यह केवल मान्यता मात्र नहीं हैं ऐसा बताया जाता है है कि यहां पर आने वाले भक्तों को भगवान बाकायदा घर दिये भी हैं. इसी का परिणाम ही है कि यहां आने वाले दर्शानार्थियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है.

जैसलमेर के चूंधी गणेश करते है भक्तों के घरों का सपना पूरा

अपने घर का सपना किस व्यक्ति का नहीं होता. अपने आशियाने की हर कोई तमन्ना रखता है. इस सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की जाती है लेकिन फिर भी काफी लोग खुद का आशियाना बनाने में सफल नहीं हो पाते. जैसलमेर के चूंधी गणेश जी के मंदिर में आने वाले भक्त मंदिर के आस-पास बिखरे पत्थरों से अपना मन चाहा घर बनाते हैं और गणेश जी से प्रार्थना करते हैं की जैसा घर उन्होंने उनके मंदिर में बनाया है, वैसा ही घर उनका स्वयं का भी जल्दी बना दें.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: विश्व का एकमात्र गणेश मंदिर, यहां है बिना सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा

14 सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है चूंधी गणेश मंदिर
जैसलमेर की स्थापना से भी पुराने इस मंदिर के इतिहास के बारे में अगर बात करें तो पता लगता है कि करीब 14 सौ वर्ष से भी पुराना यह मंदिर है. उस काल में चंवद ऋषि द्वारा यहां 5 सौ वर्ष तक तप किया था. इसलिए इस स्थान का नाम चूंधी पड़ा था. इतना ही नहीं विभिन्न समय काल में विभिन्न ऋषि मुनियों ने यहां तपस्या कर इस स्थान के तप को बढ़ाया है. इसी का परिणाम है कि आज यहां आने वाले दर्शनार्थियों को यहां आने के बाद शांति और सुकून की अनुभूति होती है.

मंदिर परिसर में बने छोट-छोट मकान इसका परिणाम
आज के वैज्ञानिक युग में इस प्रकार की बातें बेमानी सी लगती है, लेकिन आस्था व श्रद्धा के आगे विज्ञान में घुटने टेकता है. जहां पर विज्ञान के शोध समाप्त होते हैं. वहां से आरम्भ होते भगवान की चमत्कार और इसी का परिणाम है कि आज भी आस्था व श्रद्धा के वशीभूत भगवान भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा भी करते हैं और ऐसा ही कुछ हो रहा है जैसलमेर के चूंधी गणेश जी के मंदिर में. जहां मंदिर परिसर के पास बने सैकड़ों की संख्या में छोटे-छोटे मकान यह गवाही दे रहे हैं कि भगवान है और वे भक्तों की मनोकामना को पूरा करने के लिए हरपल तैयार रहते हैं. भक्तों का मनाना है की हमने जितने घर बनाए भगवान गणेश ने उतनी घर दिए है.

पढ़ें- राजसमंद के मंशापूर्ण महागणपति मंदिर में होती है मनोकामना पूरी...पूरे देश में ऐसी प्रतिमा कही नहीं

चूंधी गणेश की देशभर के मंदिरों में अपनी विशेष पहचान
बरसाती नदी के बीच बना यह मंदिर देशभर के मंदिरों में अपनी विशेष पहचान रखता है .इसका कारण यह भी है कि भारत में ऐसे कम ही मंदिर है जो कि किसी नदी के बीच बने हो. चूंधी गणेश जी की महिमा को और अधिक बढ़ाने वाली बात यह भी है कि यहां पर स्थित गणेश जी की प्रतिमा को ना तो किसी कारीगर से बनवाया था और ना ही किसी ने यहां पर इनकी प्राण प्रतिष्ठा की. इस मूर्ति के बारे में मान्यता यह है कि यह प्रतिमा स्वयंभू ही प्रकट हुई थी.

ऐसी मान्यता यहां सभी देवता मिलकर गणेश जी का करते है जलाभिषेक
नदी के बीच होने के कारण बरसात के दिनों में कई बार ऐसा होता है कि गणेश जी की प्रतिमा पानी में डूबी होती हैं. इसलिये मूर्ति के बारे में यह मान्यता भी है कि प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी से पहले बारिश होती है और सभी देवता मिल कर गणेश जी का जलाभिषेक करते हैं. मंदिर के दोनों तरफ दो कुंए स्थापित हैं. इन कुओं के बारे में कहा जाता है की इन कुओं में हरिद्वार में बहने वाली मां गंगा का जल आता है, क्योंकि किवदंती है की एक श्रद्धालु भक्त के रिश्तेदार हरिद्वार में गंगा स्नान कर रहे थे और वह स्वयं चूंधी के इस कुएं के समक्ष तपस्या कर रहे थे. स्नान करते समय उनके रिश्तेदार के हाथ से कंगन निकल कर गंगा में बह गया. कंगन बहता-बहता चूंधी में आ गया. ऐसा भी माना जाता है की वर्ष में एक बार इन कुओं में गंगा का पानी प्रकृति तौर पर आ जाता है. गणेश जी के मंदिर के सामने राम दरबार का मंदिर है. जिसमें श्री राम अपनी भार्या माता सीता, भ्राता लक्ष्मण और अपने परम प्रिय हनुमान जी संग विराजते हैं. भगवान श्री कृष्ण अपने बाल रूप में पालने में विराजित हो मंदिर में आने वाले भक्तों से झूला झूलते हैं. इस मंदिर के ठीक सामने शिव मंदिर है.

पढ़ें- जोधपुर के प्राचीन गणेश मंदिर में हुई महाआरती, सैकड़ों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

हर साल गणेश चतुर्थी के दिन भरता है भव्य मेला
चूंधी गणेश की इन्हीं मान्यताओं और चमत्कारों के चलते यहां पर प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी के दिन भव्य मेला भरता है. जिसमें जैसलमेर सहित अन्य जिलों व राज्यों से भी कई श्रद्धालु भगवान गणपति के दर्शन करने और उनसे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु एकत्रित होते हैं. गणेश चतुर्थी के दिन यहां भरे जाने वाले मेले का आयोजन यहां की स्थानीय समिति की ओर से किया जाता है. जिसमें जैसलमेर से चूंधी तक दर्शनार्थियों को लाने के लिये बसों की व्यवस्था के साथ-साथ मंदिर परिसर में आने वाले दर्शनार्थियों की व्यवस्था करना उनके लिए प्रसादी की व्यवस्था करना एवं सभी के लिये महाप्रसादी का आयोजन करना शामिल होता है.

Intro:Body:Note:- पैकेज में वीओ नही किया गया है।

घर देने वाले गणेश जी…
खुद का मकान बनाने का सपना पूरा करते है जैसलमेर के चूंधी गणेश
चौदह सौ साल पुराना है यह मंदिर
गणेश जी के इस मंदिर में दर्शनों के लिए आएं जैसा घर चाहें वैसा पाए
यहां लोग पत्थरों से मकान की प्रतिकृति बना मांगते है मन्नत
एंकर - अगर किसी को नया घर खरीदना हो या फिर बनवाना हो तो वह या तो किसी बिल्डर के पास जायेगा या फिर किसी मजदूरों व कारीगरों की टीम से संपर्क करेगा जो कि घर बनाती हो लेकिन जैसलमेर में यह काम भगवान के भरोसे छोडा हुआ है सुनने में यह जरूर अटपटा लगेगा लेकिन यह सच्चाई है। जैसलमेर से 12 किलोमीटर दूर स्थित भगवानगणेश जी का एक ऐसा मंदिर स्थित है जो कि भक्तों को घर प्रदान करता है। दूर दूर से भक्त यहां भगवान के दर्शनों के लिये आते हैं और भगवान के समक्ष अपने आशियाने की मनोकामना प्रकट करते हैं और गणेश जी इस मनोकामना को पूरा भी करते हैंए यह केवल मान्यता मात्र नहीं हैं यहां पर आने वाले भक्तों को भगवान बाकायदा घर दिये भी हैं और यह इसी का परिणाम ही है कि यहां आने वाले दर्शानार्थियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढती ही जा रही है।.
वीओ - प्रत्येक व्यक्ति का सपना होता है कि उसका अपना आशियाना हो। इस सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की जाती है लेकिन फिर भी काफी लोग खुद का आशियाना बनाने में सफल नहीं हो पाते। जैसलमेर जिले से बारह किलोमीटर दूर चुंधि स्थान पर गणेश जी का मंदिर है। इस मंदिर में आने वाले भक्त मंदिर के आस-पास बिखरे पत्थरों से अपना मन चाहा घर बनाते हैं और गणेश जी से प्रार्थना करते हैं की जैसा घरउन्होंने उनके मंदिर में बनाया है वैसा ही घर उनका स्वयं का भी जल्दी बना दें। गणेश जी अपने भक्तों की पुकार शीघ्र ही सुन कर उन्हें उनका अपना घर दे देते हैं
बाईट-1- विमल कुमार गोपा - दर्शनार्थी
वीओ - आईये आज हम आपको लिये चलते हैं जैसलमेर से 12 किलोमीटर दूर उस स्थान पर जिसे लोग चूंधी गणेश जी का स्थान कहते हैं। जैसलमेर की स्थापना से भी पुराने इस मंदिर के इतिहास के बारे में अगर बात करें तो पता लगता है कि करीब 14 सौ वर्ष से भी पुराना है यह मंदिर और उस काल में चंवद ऋषि द्वारा यहां 5 सौ वर्ष तक तप किया था इस लिये इस स्थान का नाम चूंधी पडा था इतना ही नहीं विभिन्न समय काल में विभिन्न ऋषि मुनियों ने यहां तपस्या कर इस स्थान के तप को बढाया है और इसी का परिणाम है कि आज यहां आने वाले दर्शनार्थियों को यहां आने के बाद शांति व सकून प्राप्त होता है और प्राप्त होती है उन मनोकामनाओं की पूर्ती जो वे लोग मन में लेकर आते हैं।
बाईट-2- सतीश चुरा , मंदिर पुजारी
वीओ - आज के वैज्ञानिक युग में इस प्रकार की बातें बेमानी सी लगती है लेकिन आस्था व श्रद्धा के आगे विज्ञान में घुटने टेकता है जहां पर विज्ञान के शोध समाप्त होते हैं वहां से आरम्भ होते भगवान की चमत्कारए और इसी का परिणाम है कि आज भी आस्था व श्रद्धा के वशीभूत भगवान भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा भी करते हैं और ऐसा ही कुछ हो रहा है जैसलमेर के चूंधी गणेश जी के मंदिर में जहां मंदिर परिसर के पास बने सैकडों की संख्या में छोटे छोटे मकान यह गवाही दे रहे हैं कि भगवान है और वे भक्तों की मनोकामना पूर्ती के लिये हरपल तैयार रहते हैं। चूंधीगणेशजी के भक्तों की माने तो यहां आने वाले दर्शनार्थी अपनी विभिन्न मनोकामनाओं के साथ यहां आते हैं और गजानन्द जी उनकी मनोकामनाओं को निश्चित ही पूरा करते हैंए मान्यता है कि मन में सच्ची श्रद्धा के साथ अगर यहां दर्शन कर गणेश जी से कुछ मांगा जाये तो मनोकामना कभी निष्फल नहीं जाती है। भक्तो का मनाना है की हमने जितने घर बनाये भगवान गणेश ने उतनी घरहमें दिए है।
बाईट-3 -वंदना - दर्शनार्थी
बाईट-4 - दर्शनार्थी
वीओ - बरसाती नदी के बीच बना यह मंदिर देश भर के मंदिरों में अपनी विशेष पहचान रखता है और इसका कारण यह भी है कि भारत में ऐसे कम ही मंदिर है जो कि किसी नदी के बीच बने होए चूंधी गणेश जी की महिमा को और अधिक बढाने वाली बात यह भी है कि यहां पर स्थित गणेश जी की प्रतिमा को न तो किसी कारीगर ने बनवाया था और न ही किसी ने यहां पर इनकी प्राण प्रतिष्ठा की थी इस मूर्ती के बारे में मान्यता यह है कि यह प्रतिमा स्वयं भू ही प्रकट हुई थी। और नदी के बीच होने के कारण बरसात के दिनों में कई बार ऐसा होता है कि गणेश जी की प्रतिमा पानी में डूबी होती हैं इसलिये मूर्ती के बारे में यह मान्यता भी है कि प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी से पहले बारिश होती है और सभी देवता मिल कर गणेश जी का जलाभिषेक करते हैं। मंदिर के दोनों तरफ दो कुंए स्थापित हैं। इन कुओं के बारे में कहा जाता है की इन कुओं में हरिद्वार में बहने वाली मां गंगा का जल आता है क्योंकि किवदंती है की एक श्रद्धालु भक्त के रिश्तेदार हरिद्वार में गंगा स्नान कर रहे थे और वह स्वयं चुंधि के इस कुएं के समक्ष तपस्या कर रहे थे। स्नान करते समय उनके रिश्तेदार के हाथ से कंगन निकल कर गंगा में बह गया। कंगन बहता-बहता चुंधि में आ गया। ऐसा भी माना जाता है की वर्ष में एक बार इन कुओं में गंगा का पानी प्रकृति तौर पर आ जाता है। गणेश जी के मंदिर के सामने राम दरबार का मंदिर है। जिसमें श्री राम अपनी भार्या माता सीता, भ्राता लक्ष्मण और अपने परम प्रिय हनुमान जी संग विराजते हैं। भगवान श्री कृष्ण अपने बाल रूप में पालने में विराजित हो मंदिर में आने वाले भक्तों से झूला झूलते हैं। इस मंदिर के ठीक सामने शिव मंदिर है।
बाईट- 5 -ग्वालदास गोयदानी - मेला आयोजनकर्ता
वीओ - चूंधी गणेश की इन्हीं मान्यताओं व चमत्कारों के चलते यहां पर प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी के दिन भव्य मेला भरता है जिसमें जैसलमेर सहित अन्य जिलों व राज्यों से भी कई श्रद्धालु भगवान गणपति के दर्शन करने व उनसे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु एकत्रित होते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन यहां भरे जाने वाले मेले का आयोजन यहां की स्थानीय समिति द्वारा किया जाता है जिसमें जैसलमेर से चूंधी तक दर्शनार्थियों को लाने के लिये बसों की व्यवस्था के साथ साथए मंदिर परिसर में आने वाले दर्शनार्थियों की व्यवस्था करना उनके लिये प्रसादी की व्यवस्था करना एवं सभी के लिये महाप्रसादी का आयोजन करना शामिल होता है।
बाईट- 6 - सतीश चुरा , मंदिर पुजारीConclusion:
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