जैसलमेर. कला के क्षेत्र में जैसलमेर अपनी एक अलग पहचान रखता है. लोक कला के क्षेत्र में पूरी दुनिया में जिले का नाम रोशन करने वाले अनवर खान के नाम अब एक बड़ी उपलब्धि दर्ज होने वाली है.
भारत सरकार ने अनवर खान को प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार देने का एलान किया है. घोषणा के बाद से अनवर खान और उनके चाहने वाले बेहद खुश हैं. अनवर के नाम की घोषणा होते ही उनके घर बधाई देने वालों का तांता लग गया है.
अनवर की गायकी का एक अलग ही जादू है, जब वे लोक गीत गाते हैं, तो सुनने वाले एक अलग ही दुनिया में कहीं खो जाते हैं. थार के लोक संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में अनवर खान का एक बहुत बड़ा योगदान रहा है.
जीवन परिचय...
अनवर खान का जन्म जैसलमेर जिले के छोटे से गांव बईया में साल 1960 में हुआ था. उनके पिता और दादा भी पेशे से एक लोक गायक ही थे. अनवर खान को संगीत विरासत में ही मिला. उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से उसे न केवल सहेजकर रखा, बल्कि देश और दुनिया में एक अलग पहचान भी दिलवाई.
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अनवर संगीत के सच्चे साधक रहे हैं, और उन्होंने जिससे भी सीखा दिल से सीखा. संगीत की प्रारम्भिक शिक्षा उन्होंने अपने पिता से ही ली. इसके अलावा उन्होंने चांदण मुल्तान और सदीक खान जैसे उस्तादों से लोक संगीत के गुर सीखे.
उपलब्धियां...
अनवर खान की ख्याति और काबिलियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि वे अब तक 55 से अधिक देशों में अपनी गायकी का नमूना पेश कर चुके हैं. इसके अलावा वे कई हिंदी फिल्मों में भी अपनी आवाज दे चुके हैं. विख्यात संगीतकार ए.आर. रहमान के साथ काम करने को अनवर बड़ी उपलब्धि मानते हैं. अनवर एक अच्छे सूफी गायक भी हैं.
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अनवर खान मारवाड़ी के अलावा राजस्थानी, हिंदी, उर्दू, पंजाबी के साथ ही सिंधी भाषा में भी गाने गा चुके हैं. वे गजल सम्राट स्वर्गीय जगजीत सिंह के साथ भी काम कर चुके हैं.
पुरस्कार और सम्मान...
अनवर खान की ख्याति देश-विदेश तक फैली है. लंबे समय से कला जगत में उनके योगदान के दौरान उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है. उन्हें संगीत नाटक अकादमी नेशनल अवार्ड, मारवाड़ रत्न अवार्ड, मरुधरा अवार्ड और राजस्थान रत्न अवार्ड मिल चुका है. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है.
क्या कहते हैं अनवर खान...
अनवर खान का कहना है, कि शास्त्रीय संगीत की आत्मा लोक गीतों में बसती है. वे लोक संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना चाहते हैं. हालांकि, अनवर लोक संगीत के भविष्य को लेकर चिंतित हैं. वे कहते हैं, कि हमारी कला को सहेजकर रखा जाना बेहद आवश्यक है. अगर सरकार द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाली पीढ़ी तक यह कैसे पहुंच पाएगा.