जैसलमेर. देश में आज किसान सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है, जहां एक ओर किसान कृषि कानूनों को लेकर पिछले 100 दिनों से अधिक समय से अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं बात करें तो सीमावर्ती जिले जैसलमेर के भी किसान गत 9 फरवरी से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन यहां किसान कृषि कानूनों को लेकर नहीं बल्कि अपने हक के पानी को लेकर धरने पर बैठे हैं. जैसलमेर जिले के किसानों ने 9 फरवरी से मोहनगढ़ नहरी क्षेत्र के जीरो आरडी पर सिंचाई पानी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया था और पिछले कई दिनों से किसानों का एक दल जैसलमेर जिला मुख्यालय स्थित नहरी विभाग के कार्यालय के सामने भी धरने पर बैठा है. इनमें से 12 किसान 1 मार्च से आमरण अनशन पर बैठे हैं. किसानों की मांग है कि जब तक उन्हें उनके हक का पानी नहीं मिलता, तब तक उनका यह अनशन जारी रहेगा.
इस दौरान किसानों ने कहा कि पानी की मांग को लेकर जीरो आरडी पर जब किसानों ने आमरण अनशन किया था, तो नहरी विभाग के अधिकारियों सहित जिला प्रशासन के अधिकारियों ने आकर उन्हें आश्वासन दिया था कि उन्हें उनके हक का पानी जल्द मिलेगा और अनशन समाप्त कर दिया गया. कुछ दिन उन्हें पूरा पानी भी मिला, लेकिन उसके बाद फिर से वहीं स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसके चलते उन्हें मजबूरन फिर से अनशन पर बैठना पड़ा. किसानों का कहना है कि उन्हें हर बार आश्वासन ही मिलता है, लेकिन उनके हक का पूरा पानी नहीं मिलता है.
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अब किसानों की मांग है कि उनकी जो फसलें लगभग पूरी तरह से चौपट हो गई है, उसका राज्य सरकार उचित मुआवजा दें. साथ ही लिखित में दें कि आगे से उन्हें उनकी बारी का पूरा पानी मिलेगा. तभी वो अपना अनशन समाप्त करेंगे. उनका कहना है कि पिछले कई समय से पानी नहीं मिलने के चलते उनकी फसलें तो पूरी तरह चौपट हो गई, लेकिन अब तो नहरी क्षेत्र के आमजन और मवेशियों के सामने पीने के पानी की भी समस्या उत्पन्न हो गई है. किसानों ने चेतावनी दी है कि उन्हें 5 मार्च तक पानी मिलने का आश्वासन दिया गया है और यदि समय रहते यह पानी नहीं पहुंचा तो वे 7 मार्च को भारी संख्या में जयपुर जाकर विधानसभा का घेराव करेंगे.