जैसलमेर. पश्चिमी भारत-पाक सीमा की सुरक्षा के लिए तैनात बीएसएफ के कई जवान कोविड-19 के संक्रमण की चपेट में भी आए, लेकिन जवानों ने अपने मजबूत हौसले से न केवल महामारी को हराया, बल्कि उसके बाद बॉर्डर के गांवों में आमजन की सहायता के लिए आगे भी आ रहे हैं और सीमावर्ती गांवों में आमजन को राहत पहुंचाने के लिए मदद कर रहे हैं. साथ ही सरहद पर पल-पल चौकस निगाहों के साथ हर परिस्थिति से निपटने के लिए जवान तैयार हैं.
पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा पर राजस्थान फ्रंटियर क्षेत्र में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की अलग-अलग बटालियन के सैकड़ों जवान कोविड-19 के संक्रमण की चपेट में आए और इसके बाद जवानों ने दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ बॉर्डर की सुरक्षा के साथ संक्रमण से निपटने के लिए तैयार हो गए.
बीएसएफ ने प्रत्येक बटालियन पर क्वारंटाइन सेंटर स्थापित कर दिए, जहां जवानों के सामान्य लक्षण नजर आने पर उन्हें क्वारन्टीन कर दिया गया, उसके बाद बीएसएफ की ओर से उपचार उपलब्ध करवाया गया. मजबूत हौसले के चलते सैंकड़ों जवान कोरोना को मात देकर अब बॉर्डर पर फिर से अपनी ड्यूटी कर रहे हैं.
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बीएसएफ की ओर से सीमा चौकियों पर संक्रमण न फैलने को लेकर पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. यहां सभी मुख्यालयों, बटालियान और सीमा चौकियों पर क्वारंटाइन सेंटर स्थापित किए गए हैं. आपात स्थिति से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम के साथ सेंटर बनाए गए हैं. यात्रा करने वाले जवानों को क्वारंटाइन किया जा रहा है. देश के विभिन्न राज्यों से आए जवान अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा करते हैं, कई जवान छुट्टी से या बाहर से आ रहे हैं तो विशेष एहतियात बरती जा रही हैं.
बीएसएफ के जवान सीमा पर ड्यूटी के साथ-साथ आमजन का ख्याल रख रहे हैं. चौकी के गेट, कार्यालय और अन्य जगह सैनिटाइजर रखे हुए हैं. कोई भी बिना सैनिटाइजर किए चौकी में अंदर या बाहर नहीं निकल सकता. यहां तक की जीरो लाइन और तारबंदी पर गश्त के लिए जाने वाले जवान भी सैनिटाइजर और मॉस्क का उपयोग कर रहे हैं और तारबंदी के पास गश्त के समय एक-दूसरे से कम से कम दो मीटर की दूरी बनाकर चल रहे हैं.